वीडियो जानकारी: 26.12.24, डीएवी पब्लिक स्कूल, साहिबाबाद
तीन बातें जो मेरे पिता मुझे सिखा गए || आचार्य प्रशांत (2024)
विवरण:
आचार्य जी ने बच्चों को संबोधित करते हुए उनके जीवन में पढ़ाई (education), सही संगति (right company) और आत्मनिर्भर सोच (independent thinking) के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपने पिता से मिली शिक्षा और किताबों के माध्यम से अर्जित ज्ञान (knowledge) का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे किताबें मनुष्य को छोटी सोच और बाहरी नकारात्मक प्रभावों (external negative influences) से बचाती हैं। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया (social media) और लोकप्रियता (popularity) के प्रति आकर्षण युवाओं के लिए खतरनाक हो सकता है, इसलिए सजग (alert) रहना आवश्यक है। सच बोलना, स्पष्टवादिता (clarity) अपनाना और किसी भी दबाव के आगे न झुकना आत्मसम्मान (self-respect) और प्रगति का आधार है।
उत्कृष्टता (excellence) हासिल करने के लिए भीड़ से अलग रहना और बाहरी प्रभावों (external influences) से बचना जरूरी है। आत्मसंयम (self-discipline) और उच्च आदर्शों (high ideals) को अपनाने से जीवन सुंदर और सार्थक (meaningful) बनता है। बच्चों को सुरक्षित माहौल और प्रेरणा मिलने से वे अपनी क्षमताओं (abilities) को पहचानकर सही दिशा में बढ़ सकते हैं। आचार्य जी ने यह भी बताया कि जीवन में सही आदर्शों (right values) और ऊँचे मूल्यों (higher principles) की संगति ही व्यक्ति को बड़ी उपलब्धियों तक पहुँचाती है।
🎧 सुनिए #आचार्यप्रशांत को Spotify पर:
https://open.spotify.com/show/3f0KFweIdHB0vfcoizFcET?si=c8f9a6ba31964a06
संगीत: मिलिंद दाते
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तीन बातें जो मेरे पिता मुझे सिखा गए || आचार्य प्रशांत (2024)
विवरण:
आचार्य जी ने बच्चों को संबोधित करते हुए उनके जीवन में पढ़ाई (education), सही संगति (right company) और आत्मनिर्भर सोच (independent thinking) के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपने पिता से मिली शिक्षा और किताबों के माध्यम से अर्जित ज्ञान (knowledge) का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे किताबें मनुष्य को छोटी सोच और बाहरी नकारात्मक प्रभावों (external negative influences) से बचाती हैं। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया (social media) और लोकप्रियता (popularity) के प्रति आकर्षण युवाओं के लिए खतरनाक हो सकता है, इसलिए सजग (alert) रहना आवश्यक है। सच बोलना, स्पष्टवादिता (clarity) अपनाना और किसी भी दबाव के आगे न झुकना आत्मसम्मान (self-respect) और प्रगति का आधार है।
उत्कृष्टता (excellence) हासिल करने के लिए भीड़ से अलग रहना और बाहरी प्रभावों (external influences) से बचना जरूरी है। आत्मसंयम (self-discipline) और उच्च आदर्शों (high ideals) को अपनाने से जीवन सुंदर और सार्थक (meaningful) बनता है। बच्चों को सुरक्षित माहौल और प्रेरणा मिलने से वे अपनी क्षमताओं (abilities) को पहचानकर सही दिशा में बढ़ सकते हैं। आचार्य जी ने यह भी बताया कि जीवन में सही आदर्शों (right values) और ऊँचे मूल्यों (higher principles) की संगति ही व्यक्ति को बड़ी उपलब्धियों तक पहुँचाती है।
🎧 सुनिए #आचार्यप्रशांत को Spotify पर:
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संगीत: मिलिंद दाते
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