• 2 days ago
लखनऊ, यूपी: प्रयागराज में महाकुंभ के बीच अलग अलग साधु संत, उनकी जीवनशैली और पृष्ठभूमि लगातार चर्चा का विषय बनी हुई है। आईएएनएस ने आईआईटी से पढ़कर अमेरिका गए और अमेरिका से भारत लौटकर संतों जैसा जीवन जीने वाले आचार्य जयशंकर से खास बातचीत की। आचार्य ने बताया कि जब वो भारत में थे और जब वो अमेरिका गए तो उन्होंने देखा कि कहीं भी कोई खुश नहीं था। अमेरिका में सबकुछ आरामदायक था फिर भी लोग खुश नहीं थे। इसके बाद इन्हें धर्म का रास्ता दिखाया गया जिसे इन्होंने अपनाया। अपने गुरु से भारत में रहकर अध्ययन, मनन किया और फिर उसी परंपरा को आगे बढ़ाया। महाकुंभ में व्यवस्था को लेकर उन्होंने कहा कि इस बार व्यवस्था पहले से बढ़िया है। इसके अलावा उन्होंने अभय सिंह के बयान पर कहा कि वो भी आईआईटी से हैं लेकिन हमें ये नहीं देखना चाहिए कि वो नशा करता है या करता था हमें देखना चाहिए कि व्यक्ति किन किन परिस्थितियों से होकर धर्म की ओर वापसी करता है।

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00:00मैं इधर बी एच्यू में इंजिनेरिंग किया आयेटी बी एच्यू में बी टक पढ़ाई किया उसके बाद मैं उस में काम कर रहा था
00:10और उधर मेरा गुरू से मुलाकात कुआ तो उनसे मिलने के बाद वेदानत पढ़ना है ऐसा उसके पहले भी मेरा कुछ खोज था
00:24तो उसका सोच ऐसा था मेरा उस समय कि हम सब लोग जिंदगी में क्या चाहते हैं
00:36किसी को हम जाके पूछते हैं तो बोलेगा कि आनन्द से रहना है तृप्ती से रहना है ऐसा ही सब लोग सोचते हैं
00:46सभी का खोज यही है मैं आनन्द सुक और तृप्ती से रहना चाहता हूं ऐसा
00:55उसमें एक दो आउर पूछेंगे तो आउर इसमें तोड़ा क्लारिटी आएगा कि कब आप आनन्द से रहना चाहते हैं
01:06सुबे या दोपेर को और शाम को या रात में कैसा मतलब ऐसा पूछेंगे तो क्या बोलेंगे
01:15सब लोग बोलेंगे कि सदा सर्वकाल आनन्द से आनन्द में रहना चाहता हूं या तृप्ती से रहना चाहता हूं ऐसा ही बोलेंगे लोग
01:27एक और पूछेंगे तो किदर आनन्द से रहना चाहते हैं घर में आफिस में या कम्यूट करने का समय
01:39ऐसा आप पूछेंगे तो भी क्या बोलेंगे सबी जगह अभी मैं आनन्द से रहना चाहता हूं यही है सबका
01:49तो ऐसा है तो आप क्या डून रहे हैं सच्चाई में कि अनन्द ता अनन्द को डून रहे हैं सब लोग
01:59लेकिन उसको किदर डून रहे हैं इस जगत में ये objective world हम बोलते हैं न ये universe में हमारा इंद्रिय विशयक रूप में ये आनन्द हम डून रहे हैं
02:19लेकिन ये सब अनित्य है अनित्य जगत में नित्य आनन्द मिलने का कुछ संभावना ही नहीं है
02:27लेकिन इसी का विवेक नहीं है तो ये मेरे मन में था कि मुझे पूर्ण तृप्ती से रहना है तो क्या करना है जिन्दिकी में ऐसा सोचा और उसका कुछ जवाब नहीं था मेरे पास क्योंकि जो भी मैं imagine करके देखा कि बहुत बड़ा आदमी बन गया हूँ
02:51मेरे पास बहुत फैसा है या powerful हो गया या बहुत famous हो गया ऐसा सब होने के बाद भी मैं क्या देखा कि वो लोग सब अभी भी दुक में हैं ऐसा बोल सकते हैं कि US में भी मैं देखा पहले सोच रहा था कि इंडिया में सब लोग मुझ्किल में है इदर उतना facilities नहीं है
03:19US में तो बहुत developed country है लेकिन उदर में भी मैं क्या देखा उदर जाके कि इदर लोग uncomfortably unhappy है इदर तो आपका लग्ज़री नहीं है लेकिन uncomfortable है फिर भी आप unhappy और happy रह सकते हैं इदर उदर जाके देखेंगे तो एक ही डिफरेंस है कि उदर लोग बहुत फैसा है या बहुत �
03:49अपका लग्ज़री नहीं है इदर आपका लग्ज़री नहीं है उदर बहुत फैसा है लेकिन वही व्यवस्ता है कुछ आलग नहीं है
04:02हम लोग सब दुख में रहते हैं सभी लोग जो भी आप accomplished करने के बाद भी
04:10तो ऐसा क्या है कि जो आप उसको वो साध्य को सिद्ध करने के बाद
04:20सब कुछ मेरा दुख ही नहीं हो सकता है परिपूर्ण आनन से मैं रह सकता हूँ ऐसा है क्या कुछ
04:30तो हमारा संस्कृति में ही है इधर क्योंकि इधर मोक्ष करके एक पुरुशार्थ हमारा ही परंपरा में
04:45संप्रदाय में है वो इधर ही आप प्राप्त कर सकते हैं उसके लिए मर के कुछ स्वर्ग को जाने का जरूरत नहीं है
04:56अभी और इधर ही आपको वो मिल सकता है उसके लिए प्राइतन करेंगे तो तो इसी लिए मैं ये सब करने के लिए मेरे गुरु से पढ़ने के लिए मैं वापस आगा
05:10आप जो भी कर रहे हैं वो धर्म के अनुसार करना चाहते हैं वो धर्म के अनुसार करना चाहते हैं वो धर्म के अनुसार करना चाहते हैं वो धर्म के अनुसार करना चाहते हैं वो धर्म के अनुसार करना चाहते हैं वो धर्म के अनुसार करना चाहते हैं वो धर्म के अ
05:40अनुसार करना चाहते हैं वो धर्म के अनुसार करना चाहते हैं वो धर्म के अनुसार करना चाहते हैं वो धर्म के अनुसार करना चाहते हैं वो धर्म के अनुसार करना चाहते हैं वो धर्म के अनुसार करना चाहते हैं वो धर्म के अनुसार करना चाहते हैं वो धर्म के अन�
06:10लेकिन मनिश्यों का speciality क्या है विशेशता क्या है वो धर्म ही है तो जो भी आप करना चाहते हैं अर्था और काम भी उसको fullfill करने के लिए धर्म के मार्ग में जाके करना है वो ही important चीज़ है वो धर्म से ही मोक्ष के लिए भी आप जा सकते हैं धर्म नहीं है तो मोक्ष भी
06:40धर्म के बिना मोक्ष नहीं हो सकता है तो अधर्मा प्रवर्ति किसी व्यक्ति में है तो उसको जो भी सजा मिलना चाहिए तो वो मिलना ही चाहिए उसे किसी को आम प्रोटेक्ट नहीं करने का रोपने का नहीं है कोई action लेना है तो उसके उपर तो लेना पड़ेगा जो �
07:10उसको लेना है जो भी action लेना है तो लेना है इसमें कुछ शंका नहीं है तो मैं बहुत खुश हूँ हम जाके आये अभी कुम का सब व्यवस्ता अच्छा बहुत अच्छा किया है और यात्रियों के लिए भी सभी सुविधाएं उदर दिया है
07:31जो भी अभी मैं बहुत लोगों सो अभी भी बोल रहा हूं कि ये आपका एक once in a lifetime का event जैसा मैं बोलता हूं सबको कि आप आना चाहिए और कुम जैसा एक मेले में आके उसमें भाग लेना तो वो हमारे लिए भी एक सत्वशुद्धी बोलता है
08:01वो संत लोगों के साथ रहना और उनका सत्संग करना उनके साथ और उदर चनान करना और जब करना जो भी आप करना चाहते हैं उदर लेकिन ये कुछ पिकनिक जैसा नहीं है या टूरिसम जैसा नहीं है
08:31एक विवेक पुरुशार्थ विवेक बोलते हैं हम उसके लिए ये सब बहुत आपको help करता है तो इसी लिए लोग इदर लोगों को आना चाहिए और जो भी विवस्ताएं किये हैं उसको लाब लेना चाहिए ये कुम्ब है ये अभी तक जो भी मेला हुआ है उसको लाब ल
09:01ये एक चीज़ बोलते हैं हमारा संप्रदाय में रिशी मूल और नदी मूल को नहीं देखना चाहिए अभी वो कैसा है अभी वो ठीक ठाक है तो वो संथ है तो संथ है नदी भी जो बहुत जगे से आती है लेकिन वो पवित्र हो जाती है इसी तरह के से हमारा रिशीयों का �
09:31उनका जन्म कैसा हुआ और वाल्मिकी का कथा तो आपको मालूम होगा वो क्या किया था पहले
09:41और उसके बाद कैसा रिशी बन गया तो वो सब जो भूत काल में हुआ उसको उदरी चोड़के
09:51अभी कौन कैसा है वो ही important है वो ही देखना चाहिए
09:57जो भी सही है उसी को करना है सब को स्वतंतरता का मतलब ये नहीं कि मैं अपने इच्छे के हिसाब चे कुछ भी करूँगा ऐसा नहीं है
10:13स्वतंतरता मतलब सही चीज करने के लिए आपके पास स्वतंतरता होना चाहिए क्योंकि हम सब को मालुम है क्या सही है क्या गलत है क्योंकि हम सब के मन में एक चीज क्लियर है
10:29क्योंकि दूसरे लोग हमसे कैसा बिहेव करना है उसमें 100% clarity है सब लोग मुझे सत्य बोलना है मुझे कोई हिमसा नहीं करने का ये सब clarity है
10:47कोई expectation दूसरे लोगों को भी है तो हमारा behavior भी ऐसा ही होना चाहिए इसे को सामान्य धर्म बोलते हैं सामान्य धर्म और विशेष धर्म सब को मालुम है क्या सही है क्या गलत है जानने के बाद भी लोग गलत करते हैं
11:09उसका कारण ये हम हमारा इच्छा के direction में जा रहे हैं राग द्वेश को उसको fulfill करने के लिए आप सही और गलत को चोड़ दिया तो आपका जिन्दगी बहुत दुख में ही वो end होगा
11:29लेकिन जो भी आपका राग है या द्वेश है उसके बिना भी आप सही और गलत क्या है वो देखके आपका जिन्दगी आप चलाएंगे तो खुशी रहेंगे
11:59परिशानी नहीं देना चाहिए अपने आपको भी परिशानी नहीं देना चाहिए दूसरे लोगों को भी खुश रखे ही हम खुश रहे सकते हैं तो ऐसा अपना जिन्दगी जीना चाहिए सब लोग यही संदेश है कि आप स्वतंतरता से जीना है तो आप सही चीज करने के �
12:29लिए नहीं आपको करने के लिए नहीं आपको करने के लिए नहीं

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