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#acharyaprashant
वीडियो जानकारी: 22.04.23, प्रश्नोत्तरी सत्र, ग्रेटर नॉएडा
विवरण:
इस वीडियो में आचार्य जी ने महिलाओं की जिम्मेदारियों, गिल्ट, और समाज में उनकी भूमिका पर चर्चा की है। एक श्रोता ने अपने अनुभव साझा किए कि कैसे वे अपने लिए कुछ करने पर गिल्ट महसूस करती हैं, खासकर जब वे पारिवारिक जिम्मेदारियों को छोड़ देती हैं। आचार्य जी ने इस गिल्ट को समझने और उसके पीछे के कारणों पर प्रकाश डाला।
उन्होंने बताया कि गिल्ट तब उत्पन्न होता है जब हम अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से नहीं समझते। अगर कोई महिला अपने लिए कुछ करती है, तो उसे गिल्ट महसूस करने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि उसे अपनी प्राथमिकताओं और जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से समझना चाहिए। आचार्य जी ने यह भी कहा कि समाज में महिलाओं के प्रति जो अपेक्षाएँ हैं, वे अक्सर बाहरी दबावों से आती हैं, और हमें अपनी असली जिम्मेदारियों को पहचानना चाहिए।
आचार्य जी ने यह सुझाव दिया कि महिलाओं को अपनी पहचान और जिम्मेदारियों को समझते हुए अपने जीवन में संतुलन बनाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि गिल्ट का अनुभव तब सही होता है जब हम अपनी वास्तविक जिम्मेदारियों को छोड़ देते हैं, लेकिन अगर हम अपने लिए कुछ कर रहे हैं, तो हमें उस पर गर्व होना चाहिए।
प्रसंग:
मैं स्त्री हूँ, मेरी ज़िन्दगी दूसरों के लिए है
स्त्री हूँ, इसलिए खुद के लिए कुछ नहीं कर सकती
स्त्री होने की वजह से क्या मुझे जीने का हक़ नहीं
संगीत: मिलिंद दाते
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उन्होंने बताया कि गिल्ट तब उत्पन्न होता है जब हम अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से नहीं समझते। अगर कोई महिला अपने लिए कुछ करती है, तो उसे गिल्ट महसूस करने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि उसे अपनी प्राथमिकताओं और जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से समझना चाहिए। आचार्य जी ने यह भी कहा कि समाज में महिलाओं के प्रति जो अपेक्षाएँ हैं, वे अक्सर बाहरी दबावों से आती हैं, और हमें अपनी असली जिम्मेदारियों को पहचानना चाहिए।
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प्रसंग:
मैं स्त्री हूँ, मेरी ज़िन्दगी दूसरों के लिए है
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