वीडियो जानकारी: 09.03.24, संत सरिता, ग्रेटर नॉएडा
विवरण:
इस वीडियो में आचार्य जी ने "ओरांगुटान, अनाथ, बेघर और सेक्स गुलाम" नामक किताब के बारे में चर्चा की है, जिसमें ओरांगुटान के साथ हो रहे अत्याचारों और उनके संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। उन्होंने बताया कि कैसे ओरांगुटान को कैद करके उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है, और यह कि यह विषय समाज में अधिक चर्चा का विषय क्यों नहीं बन रहा है।
आचार्य जी ने यह भी कहा कि हमें यह समझना चाहिए कि दुनिया में हो रहे अन्याय के लिए केवल बाहरी शक्तियों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने बताया कि हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और समाज में बदलाव लाने के लिए सक्रिय रूप से काम करना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि जब हम किसी समस्या को देखते हैं, तो हमें खुद को उस समस्या का समाधान करने के लिए आगे बढ़ाना चाहिए, न कि केवल दूसरों पर निर्भर रहना चाहिए। उन्होंने चेतना के स्तर को बढ़ाने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए व्यक्तिगत प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया।
प्रसंग:
~ इंसान की हैवानियत जानवरों को भी नहीं छोड़ती?
~ जगत की व्यवस्था को ठीक करने का काम किसका है?
~ सही बातों को कैसे उजागर करें?
~ इस प्रलय की समस्या का समाधान कैसे होगा?
~ मनुष्य जीवन का उद्देश्य क्या है, उससे अन्य प्रजातियों को क्या लाभ होगा?
संगीत: मिलिंद दाते
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#acharyaprashant
विवरण:
इस वीडियो में आचार्य जी ने "ओरांगुटान, अनाथ, बेघर और सेक्स गुलाम" नामक किताब के बारे में चर्चा की है, जिसमें ओरांगुटान के साथ हो रहे अत्याचारों और उनके संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। उन्होंने बताया कि कैसे ओरांगुटान को कैद करके उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है, और यह कि यह विषय समाज में अधिक चर्चा का विषय क्यों नहीं बन रहा है।
आचार्य जी ने यह भी कहा कि हमें यह समझना चाहिए कि दुनिया में हो रहे अन्याय के लिए केवल बाहरी शक्तियों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने बताया कि हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और समाज में बदलाव लाने के लिए सक्रिय रूप से काम करना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि जब हम किसी समस्या को देखते हैं, तो हमें खुद को उस समस्या का समाधान करने के लिए आगे बढ़ाना चाहिए, न कि केवल दूसरों पर निर्भर रहना चाहिए। उन्होंने चेतना के स्तर को बढ़ाने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए व्यक्तिगत प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया।
प्रसंग:
~ इंसान की हैवानियत जानवरों को भी नहीं छोड़ती?
~ जगत की व्यवस्था को ठीक करने का काम किसका है?
~ सही बातों को कैसे उजागर करें?
~ इस प्रलय की समस्या का समाधान कैसे होगा?
~ मनुष्य जीवन का उद्देश्य क्या है, उससे अन्य प्रजातियों को क्या लाभ होगा?
संगीत: मिलिंद दाते
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