वीडियो जानकारी: 13.11.24, बोध प्रत्यूषा, ग्रेटर नॉएडा
आज़ादी चाहिए तो पहले मानो कि गुलाम हो (धोखे अहंकार के) || आचार्य प्रशांत (2024)
📋 Video Chapters:
0:00 - Intro
1:10 - अहम और वृत्ति का वास्तविक रूप
4:12 - अहम और गेंद का उदाहरण
5:51 - वृत्ति और शरीर का गहरा रिश्ता
11:52 - मुक्ति का सही अर्थ
13:16 - गुलामी को स्वीकार करने का महत्व
14:53 - सोचने का भ्रम और मिक्सर ग्राइंडर का उदाहरण
16:22 - पर्सनल टाइम और प्रोफेशनल टाइम की व्यर्थता
19:28 - वृत्ति कैसे काम करती है
20:55 - मिट्टी बनना ही मुक्ति है
25:41 - मन को तन समझ लेना ही मुक्ति है
विवरण:
आचार्य जी ने Ego और Tendencies के गहरे संबंध को स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि Ego भी एक Tendency है, जो शरीर की Tendency से जुड़ी होती है। Ego की सबसे बड़ी भूल यह होती है कि वह स्वयं को स्वतंत्र और अलग मानता है। लेकिन असल में, Ego का हर अनुभव बाहरी चीजों पर निर्भर होता है। आचार्य जी ने समझाया कि जैसे एक Ball अपनी Boundary जानती है और उसकी हर Movement किसी बाहरी Impact पर निर्भर होती है, वैसे ही Ego भी निर्भर होता है।
Liberation का अर्थ है Ego की इस भ्रांति को तोड़ना कि वह स्वतंत्र है। जब यह स्पष्ट हो जाता है कि Ego की कोई निजी Power नहीं है और वह भी Nature का ही हिस्सा है, तभी सच्ची Liberation मिलती है। उन्होंने इस प्रक्रिया को नमक के Ocean में गल जाने के समान बताया, जहां व्यक्ति की निजी Identity विलीन हो जाती है।
🎧 सुनिए #आचार्यप्रशांत को Spotify पर:
https://open.spotify.com/show/3f0KFweIdHB0vfcoizFcET?si=c8f9a6ba31964a06
आज़ादी चाहिए तो पहले मानो कि गुलाम हो (धोखे अहंकार के) || आचार्य प्रशांत (2024)
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1:10 - अहम और वृत्ति का वास्तविक रूप
4:12 - अहम और गेंद का उदाहरण
5:51 - वृत्ति और शरीर का गहरा रिश्ता
11:52 - मुक्ति का सही अर्थ
13:16 - गुलामी को स्वीकार करने का महत्व
14:53 - सोचने का भ्रम और मिक्सर ग्राइंडर का उदाहरण
16:22 - पर्सनल टाइम और प्रोफेशनल टाइम की व्यर्थता
19:28 - वृत्ति कैसे काम करती है
20:55 - मिट्टी बनना ही मुक्ति है
25:41 - मन को तन समझ लेना ही मुक्ति है
विवरण:
आचार्य जी ने Ego और Tendencies के गहरे संबंध को स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि Ego भी एक Tendency है, जो शरीर की Tendency से जुड़ी होती है। Ego की सबसे बड़ी भूल यह होती है कि वह स्वयं को स्वतंत्र और अलग मानता है। लेकिन असल में, Ego का हर अनुभव बाहरी चीजों पर निर्भर होता है। आचार्य जी ने समझाया कि जैसे एक Ball अपनी Boundary जानती है और उसकी हर Movement किसी बाहरी Impact पर निर्भर होती है, वैसे ही Ego भी निर्भर होता है।
Liberation का अर्थ है Ego की इस भ्रांति को तोड़ना कि वह स्वतंत्र है। जब यह स्पष्ट हो जाता है कि Ego की कोई निजी Power नहीं है और वह भी Nature का ही हिस्सा है, तभी सच्ची Liberation मिलती है। उन्होंने इस प्रक्रिया को नमक के Ocean में गल जाने के समान बताया, जहां व्यक्ति की निजी Identity विलीन हो जाती है।
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