• last year
जब भी जी चाहे, नई दुनिया बसा लेते हैं लोग,
आसमान से बातें करते हैं,
लेकिन दिल में छुपी होती है दर्द की लहरें,
कभी हंसते हैं, कभी रोते हैं,
खुशियों का मुखौटा पहनकर,
अंदर ही अंदर,
जख्मों को सहलाते हैं।

हर मोड़ पर, नए सपने सजाते हैं,
पर सच्चाई के काले बादल,
छुपे होते हैं उन रंगीन फलक के पीछे,
कोई खोया हुआ साथी,
कोई अधूरी कहानी,
दिल के किसी कोने में,
तड़पती रहती है।

जिंदगी के इस मेला में,
कभी चुपचाप, कभी शोर में,
हम अपने जख्मों को छिपाते हैं,
जब भी जी चाहे, नई दुनिया बसा लेते हैं लोग,
लेकिन अतीत की परछाइयाँ,
हमेशा हमारे साथ रहती हैं।

नए रिश्ते, नए ख्वाब,
फिर भी एक खालीपन,
जिसे कोई नहीं समझता,
जैसे दीवारों पर टंगे हुए हैं,
अनकहे अल्फाज़,
जो कभी ना सुनाई देते,
बस दिल के कोने में,
गूंजते रहते हैं।

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