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वीडियो जानकारी: 09.07.22, बातचीत सत्र, ऋषिकेश

प्रसंग:
बलावलेपादथ चेद्भवन्तो युद्धकाङ्‌क्षिणः।
तदागच्छत तृप्यन्तु मच्छिवाः पिशितेन वः॥

देवी कह रही हैं, जो उनकी शक्तियाँ हैं उनको संबोधित करके -
यह जो राक्षस हैं इनके माँस का भक्षण करके ही तुम तृप्ति पाओगे।
~ दुर्गा सप्तशती (अध्याय ८, श्लोक २७)

तेषां मातृगणो जातो ननर्तासृङ्‌मदोद्धतः॥ॐ॥
यह जो राक्षस हैं इसका रक्त ही मद हैे।
~ दुर्गा सप्तशती (अध्याय ८, श्लोक ६३)

इष्टान्भोगान्हि वो देवा दास्यन्ते यज्ञभाविताः।
तैर्दत्तानप्रदायैभ्यो यो भुङ्क्ते स्तेन एव सः।।

यज्ञ द्वारा पोषित देवतागण तुम्हें इष्ट भोग प्रदान करेंगे।
उनके द्वारा दिये हुये भोगों को जो पुरुष उनको दिए बिना ही भोगता है वह निश्चय ही चोर है।
~ श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय ३, श्लोक १२)

~ माँ काली कौन हैं?
~ शराब-माँस खाने पर विवाद क्या?
~ माँ काली की माँस और मदिरा से क्या संबंध है?
~ प्रकृति की उपासना कैसे करें?
~ सभी देवियाँ किस चीज़ का प्रतीक हैं?

संगीत: मिलिंद दाते
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