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Two Cats and The Monkey Story | बंदर और दो बिल्लियाँ Hindi Kahaniya | 3D Hindi Stories for Kids

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Transcript
00:00कई दिन पहले एक गाउं में दो बिल्लियां रहती थी
00:06जानते हैं उनका नाम क्या था?
00:08लालू और कालू
00:10वे दोनों बड़े अच्छे दोस्त थे
00:12बूख लगी है दोस्त
00:14मुझे भी बूख लगी है
00:22चलो खाने के लिए
00:24जाने के लिए
00:26जाने के लिए
00:28चलो खाने के लिए
00:30कुछ ढूढ़ते है
00:32चलो
00:54उस घर में ढूढ़ते है दोस्त
00:56चलो
01:26जाने के लिए
01:48जाने के लिए
01:56जाने के लिए
02:02तुम्हें कुछ मिला
02:04नहीं कुछ नहीं मिला
02:06सिवा मार के
02:08मुझे भी कुछ नहीं मिला
02:10चलो और ढूढ़ते है
02:12यहाँ कोई नहीं है
02:14चलो देखते है
02:42जाने के लिए
02:44नहीं जाने के लिए
03:00यह रोटी मेरी है
03:02नहीं ये मेरी है
03:12पूर् brigade
03:17हुवार� EK
03:21हुवार EK
03:30हरे ہरे ठैरो
03:36यह रोती मैंने देखी
03:38इसलिए ये मैरी है हूं
03:40ये मुझे मिला
03:43ये रोटी मेरी है
03:45मेरी है
03:47ये मेरी है
03:48नहीं, मेरी है
03:50मैं इसे तुम दोनों में बराबर बांढता हूँ
04:00ये टुकडा बड़ा है
04:05अरे, अब ये टुकडा बड़ा है
04:10बिल्लियां हैरान होकर देखती रह गईं
04:14ये एक जंगल में एक खर्गोश और कच्चुआ रहते थे
04:18हरोश को बड़ा घंतमानी Forward को होरते होते थी
04:22हरोश को बड़ा गंबड़ा होन है
04:24ये नौरोर्ट की एह त्रिककटी, विठाण की
04:28प़ाप्रहणी है
04:32ये नौरोर्त की त्रिकक्ती।
04:35प्रेक जंगल में एक खर्गोष और कच्वा रहते थे
04:42खर्गोष को बड़ा घमंड था कि वो तेस दोड़ सकता है
04:46वो कच्वे की धीमी चाल को देखकर खिली ओडाता था
04:50ऐसे में एक दिन
04:53क्यों कच्वा काका, क्या तुम मेरे साथ दोड़ लगाओगे
04:59क्यों नहीं
05:01हम दोनों में जो जीतेगा उसे बढ़िया इनाम मिलेगा
05:06ऐसा ही सही
05:08अब इस दोड़ को देखने के लिए जंगल के सारे जानवर बढ़ी उत्सुकता के साथ वहां पहुंचे
05:14हम दोनों में जो पहले उस दूर वाले पहारी पर पहुंचेगा समझो वो जीता
05:21ठीक
05:23दोड़ शुरू हुई
05:31करबोश तेस दोड़ने लगा
05:33कच्वा धीरे धीरे चलने लगा
05:44करबोश और तेस दोड़ने लगा
05:57करबोश और तेस दोड़ने लगा
05:59कच्वा भी धीरे धीरे चलने लगा
06:13अब इस तरह थोड़ी दूर जाने के बाद खरगोश पीछे मुढ कर देखा
06:25उसे कच्वा कहीं दिखाई नहीं दिया
06:28ये कच्वा अभी नहीं आने वाला
06:33चलो थोड़ी देर आराम कर ले
06:36अब ऐसे आराम करते करते खरगोश की आंक लग गई
06:46कच्वा धीरे धीरे खरगोश के पास पहुचा और चुप चाप उसे पार कर चला गया
07:06वहाँ पहुच कर उसने कच्वे को देखा और कहा
07:32दोस्त तुम ही जीते मुझे माफ करो
07:35इससे हमें पता चलता है की गर्व का सर हमेशा नीचा होता है
07:47एक जंगल में एक शेर और चुहा रहते थे
07:55एक दिन दोपहर को नटखट चुहा खेलता पुरत्ता सोते हुए शेर पर जागेता है
08:23शेर महराज शमा करो गलती हो गई शमा करो
08:43तुने मेरी नीन खराब की है मैं तुझे खा जाओंगा
08:51ना ना मुझे मत खाना मुझे खाने से आपकी बूग नहीं मिटेगी
08:55मुझे यदी आप छोड़ दोगे तो किसी दिन मैं आपके काम आओंगा
09:01तु इतना छोटा है बला तु क्या मेरी मदद करेगा जा
09:07अब शेर एक दिन जंगल में तहलता हुआ एक शिकारी के जाल में फ़स जाता है
09:23बचाओ बचाओ चूहा शेर की आवास सुनकर आता है और जाल को अपने दांतों से कुटर कुटर शेर को छुड़ा देता है
09:43अब इस कहानी से हमें सीखने को क्या मिला बचो यही कि किसी को भी कम नहीं समझना चाहिए
09:55यह बहुत पहले की बात है एक जंगल में सारे जानवर मिल जुलकर और आजाद रहते थे
10:07ऐसे में उस जंगल में एक बुढ़ा शेर आया
10:37और बचो उस सब जानवरों को अपनी मरजी से मार कर खाने लगा
10:49इस से परेशान होकर सब जानवरों ने एक मिरने लिया और शेर से मिलने गए
11:07इस जंगल के हम जानवरों ने एक निर्ने लिया है
11:13ऐसा निर्ने
11:17हम में से हर रोज एक जानवर आपका भोजन बन कर आएगा
11:22नहीं, मैं क्यों तुमारी बात मानू
11:26ऐसे ही जलता रहा तो थोड़े ही दिनों में हम सब मर जाएंगे
11:37फिर आपको खाना नहीं मिलेगा ना
11:40आप भी भुड़े होगे शिकार नहीं कर सकते
11:44सारे जानवरों की फरियात सुनकर शेर ने कहा ठीक है
11:48अब बच्चो हर रोज एक जानवर शेर का भोजन बन कर जाने लगा
11:58एक दिन खर्गोश की बारी आई
12:01खर्गोश नियमित समय पर न जाकर जानबूच कर देर करने लगा
12:08इतनी देर क्यों तुम्हे खाने से अब भूग भी नहीं मरेगी
12:20मेरे साथ एक और जानवर भी आया
12:24लेकिन उसे रास्ते में एक और शेर ने खा डाला
12:28इस जंगल में मुझसे ज़्यादा बलवान शेर और है क्या
12:33मुझे दिखाओ
12:34आये महराज
12:38खरगोश उस शेर को एक कुए के पास ले गया
12:49महराज वो शेर इस कुए के अंदर शिपा है
12:54शेर उस कुए में जहांका
12:56वहाँ उसे अपना ही प्रतिबिंद दिखाई दिया
13:00उसे दूसरा शेर समझकर उसे मागने के लिए कुए में कूठ पड़ा
13:07कुए से बाहर निकल नहीं पाया और बेचारा मर गया
13:22तो बच्चो इस तरहे खरगोश ने अपनी चतुराई से उस शेर से जंगल के सभी जानवरों को छुटकारा दिलाया
13:31सभी जानवरों ने खरगोश की तारीफ की और सारे जानवर खुशी खुशी फिर से जीने लगे
13:40बहुत पहले सरयु नदी के तट पर एक जामून का पेड़ हुआ करता था
13:46अनजी नाम का एक बंदर उस पेड़ पर लगे जामून खाता और आराम से रहता था
13:53उसी नदी में अनजी का दोस्त मकर नाम का मगर भी अपने परिवार के साथ रहता था
14:00अनजी अपने दोस्त को भी हर रोज जामून खिलाता था
14:12ऐसे में एक दिन
14:14हर रोज केवल हम दोनों ही खाते हैं
14:22आज कुछ जामून भावी के लिए भी ले जाओ
14:26ठीक है दोस्त
14:44वाँ बहुत मीठे है कहा से लाये
15:00मेरे दोस्त अनजी और मैं हर रोज इसे खाते हैं
15:06आज तुम्हारे लिए लाया हूँ
15:09वाँ अगर ये जामून इतने मीठे हैं
15:18तो उस बंदर का जिगर कितना मीठा होगा जो इसे खाता है
15:24ये सोचकर एक दिन मकर की बीवी रोते हुए अपने पती से कहती है
15:30मैं बीमार हूँ
15:34वैद ने कहा है कि बंदर का जिगर खाना ही इस बीमारी का इलाज है
15:41आप तुरण अपने दोस्ट अनजी का जिगर ले आओ
15:46अनजी मेरा प्रीय दोस्ट है
15:50मैं उसका जिगर नहीं ला सकता
15:53आप मुझे प्यार नहीं करते
15:56इसलिए आप नहीं लाना चाहते
15:59मत रो उसे कुछ ना कुछ कह कर ले आता हूँ
16:12दोस्ट आज तुम्हें मेरे साथ मेरे घर दावत पर आना होगा
16:21मुझे तैरना नहीं आता कैसे आओ
16:25तो क्या हुआ अपनी पीछ पर तुम्हें बिठा कर ध्यान से ले जाओंगा
16:32ठीक है फिर आता हूँ
16:37चलो चलो चलो चलो चलो
16:56माफ करना दोस्ट तुम्हारी भावी बहुत पीमार है
17:02वैद्यों ने कहा है कि बंदर का जिगर ही इसका इलाज है
17:11ये बात मुझे पहले क्यों नहीं बताया
17:15मैंने अपना जिगर पेड़ पर रखा है
17:19ताकि वो गीला ना हो जाए
17:21चलो वापस लोड़ कर ले आते हैं
17:26ठीथ है वापस लोड़ते हैं
17:43मैं नहीं जानता था कि तुम ऐसे धोके बात करते हैं
17:48मैं नहीं जानता था कि तुम ऐसे धोके बात करते हैं
17:52दोबारा ऐसे गलती मत करना
18:10बहुत साल पहले बच्चों
18:12समंदर के किनारे एक गाँ था
18:19वहाँ एक कवे का जुंड रहता था
18:29वे आपस में ये शर्त लगाते कि कौन सबसे ज्यादा तेज उड़सकता है
18:34या कौन सबसे ज्यादा दूर उड़सकता है वगएरा
18:48उन सबी शर्तों में एक कवा हमेशा जीत रहता था
18:53वो केवल जोशिला ही नहीं बलकि कई कर्तमे भी करता था
18:58वो बड़े घमन में गह से कहता था
19:00क़वो में ही नहीं पक्षिउं में भी मैं ही सबसे तेज हूं
19:07वदगों अ outrageous है
19:10बल्की कई कर्तमे भी करता था।
19:19वो बड़े घमन्ड से कहता था, कवों में ही नहीं, पक्षियों में भी मैं ही सबसे तेज हूँ।
19:30अब एक दिन, हंसों की टोली उड़ते हुए वहाँ आराम करने उदरी।
19:40अब हमें चलना जाएँ।
20:11कौन हो तुम, कहा जा रहे हो?
20:15हम इस देश से दूसरे देश जा रहे हैं, गर्मियों के बाद लौट आएंगे।
20:23क्या मुझे से भी दूर उड़ सकते हो?
20:27तुम्हारा हम से क्या मुकाबला?
20:30हम कई देश घूमते रहते हैं, तो मुझे से मुकाबला करो।
20:35भला तुम्हारा मेरा क्या मुकाबला?
20:39तुम और कवों से मुकाबला करो।
20:43तुम्हें डर है कि तुम हार जाओगे, इसलिए ऐसे बोलते हो।
20:49ठीक है।
21:06मुकाबला शुरू हुआ, कववा अपनी कर्तवे दिखाने लगा।
21:11हन्स बड़े आराम से उड़ रहा था।
21:15थोड़ी देर बाद कववा ठक गया और कर्तवे बंद कर आराम से उड़ने लगा।
21:36वैसे उड़ते उड़ते समंदर में तूर उड़ गया।
21:42बहुत ठक गया हूँ, यहाँ आराम करने के लिए कोई ठक भी नहीं है।
21:53अले, सिर चक्रा रहा है, बचाओ, बचाओ।
22:05बाद करने लिए ख चूक करने के लिए, पर यह चौक गयी था।
22:23बचाओ बाद करने लियए, यह चौक ख चूक करने लिए ख चूक ख करने मिंत है।
22:26आज सीखने को मिला
22:28घमन्डी का सर्व
22:30हमेशा नीचा होता है
22:40एक गाउ में
22:42एक किसान रहता था
22:44वो बतख पालता था
22:56आज सीखने को मिला
22:58घमन्डी का सर्व
23:00हमेशा नीचा होता है
23:26एक जिन एक बतख सोने का अंड़ा देती है
23:52सोने का अंड़ा
23:54इस से मेरे सारे दुख दूर हो जाएंगे
24:16अब बतख हर दिन
24:18एक सोने का अंड़ा देती है
24:24किसान धीरे धीरे भुन्वान हो गया था
24:28ऐसे में एक दिन
24:30क्यों जी बतख के पेट में
24:32बहुत सारे सोने के अंड़े होंगे
24:34क्यों ना सभी एक साथ निकाल ले
24:36हम फिर बहुत हमीर बन जाएंगे
24:38ऐसा ही करते हैं
24:55किसान बतख का पेट काट देता है
24:59सिवा खून और अतरी के कुछ नहीं मिला
25:03तो हमें इस कहानी से क्या सीखने को मिला बच्चो
25:06लालच बुरी बला है

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