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Tirupati Balaji Prasad : Kashi, Mathura और Ayodhya के प्रसाद की तहकीकात | Daily Discussion


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00:00पुरे देश में इन दिनों प्रसाद की क्वालिटी का मुद्धा गर्माया हुआ है।
00:12मामला शुरू हुआ तो आंध्प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर से था।
00:16लेकिन अब देश के सभी कोनों में मौझूद मंदिरों के प्रसाद पर जाच की तलवार लटक रही है।
00:22यूपी में भी मंदिरों के प्रसाद की जाच हो रही है।
00:25यूपी की सबसे चर्चित मंदिरों में शामिल काशी, मथुरा और आयोध्या मंदिर भी इस जाच के दाएरे से दूर नहीं है।
00:31नमस्कार मैं हुँ किरन आप देख रहे हैं डेली लाईं।
00:34काशी, मथुरा और आयोध्या में प्रभू को लगबख 20 किंचल का भोग रोजारना चड़ता है।
00:40हर साल प्रसाद की जाच होती है।
00:42सवाल इसके बाद ये उठता है कि आखिर फिर ये प्रसाद बनाता कौन है।
00:46प्रसाद इतना है तो जाच कैसे होती है।
00:49एक एक करके आपको बाबा विश्वनात, कानह और रामलला के प्रसाद के बारे में बताते हैं।
00:55बात पहले बाबा विश्वनात के मंदिर की।
00:57काशी विश्वनात मंदिर नयास प्रबंधन यहाँ प्रसाद का पूरा ख्याल रखता है।
01:01यहां महा प्रसाद यानि लडू पेडा तैयार करने की जिम्मेधारी दो संस्थाओं के पास हैं।
01:06पहली और सबसे प्रमुख संस्था है महालक्ष्मी ट्रेडर्स।
01:09और दूसरी संस्था है बेला पापर स्वेहम सहायता समूम।
01:13यह दो संस्थायें एक दिन में करीब एक हजार किलो महा प्रसाद तैयार करते हैं।
01:18महालक्ष्मी ट्रेडर्स के मालिक अशोग कुमार सेठ हैं।
01:21अशोग कुमार ने अपने ही घर में कारखाना बनाया है।
01:24कारखाने में एक शिफ्ट में सोलह से 20 महिला और पुरुष महा प्रसाद को तैयार करते हैं।
01:29दैनिक भासकर को दिये गए इंटरवियों में अशोग ने बताया था
01:32कि हर दिर 2 से 2.5 क्विंटल तक लड़ू की सप्लाई मंदिर में की जाती है।
01:36और अगर तेवहार हुआ तो उस समय करीब 3 से 4 क्विंटल तक की डिमांड होती है।
01:41खास बात ये भी है कि लड़ू बनाने के काम के लिए सिर्फ सनातनी और सात्विक लोगों को रखा गया है।
01:48अशोक ने बताया कि यहां कारिगर लहसुन, प्याज या नशीले पदार्थों का सेवन तक नहीं करते।
01:53सफाई का ध्यान रखते हुए कोई भी कारिगर मास्क बिना पहने लड़ू नहीं बनाता।
01:58और लंच के लिए भी उन्हें बिल्डिंग से बाहर जाना पड़ता है।
02:01अशोक ने बताया कि वे पूरा प्रसाद सी-सी-टी-वी के साथ अपनी मौझूदगी में बनवाते हैं।
02:06प्रसाद के लिए लड़ू में आटा, बेसन, काजू, इलाईची, बादाम, घी, चीनी, मेवा का इस्तेमाल किया जाता है।
02:19और इसमें पराग कमपनी का गोवरधन घी यूज़ होता है।
02:23जिसकी सप्लाइ के लिए पराग के मुंबई हेड ओफिस से सीधे बात करके सप्लाइ कराई जाती है।
02:28मंदिर नियास के लेटर पर भारतिय खाद सुरक्षा और मानक प्राधिकरण यानि FSA से आई खाद सुरक्षा तै करता है।
02:35विभाग ने अप्रैल में ही अशोक सेट के महालक्षमी ट्रेडर्स की जाच की थी जिसमें सभी मानक पूरे मिले।
02:41काशी का फूर्ट सेफ़्टी विभाग कभी भी बिना बताये प्रसाद की जाच करने पहुंच जाता है।
02:46अब बात करते हैं कि आखिर मथुरा और व्रिंदावन में प्रसाद कैसे बनता है।
02:50यहां बाके भिहारी, श्री कृष्ण जन्मस्थान, बरसाना के राधाराणी और दुआरकाधेश मंदिर में बताया गया कि सभी मंदीरों की खुद की रसोई है।
02:58वहीं पर भोग तैयार होता है। भक्त जो बाहर से प्रसाद लेकर आते हैं, उसका सिर्फ नजर भोग लगता है।
03:04श्री कृष्ण जन्मस्थान में बनने वाले प्रसाद में हर दिन 2000 किलों लडू शामिल होते हैं।
03:09तियोहार होने पर इनकी डिमांड तीन गुना बढ़ जाती है। यह लडू गाय के घी से बनते हैं। और इस घी के लिए मंदिर की गोषाला की गायों के दूद का इस्तेमाल होता है।
03:18जो भक्त दर्शन के लिए आते हैं, उन्हें यही लडू दिया जाता है।
03:22बांके भिहारी मंदिर में भगवान को चार समय का भोग लगता है। बाल भोग, राज भोग, उत्थापन भोग और शेहन भोग।
03:29राज भोग में कच्चा प्रसाद और शेहन भोग में पक्का प्रसाद चड़ाया जाता है।
03:33भगवान को चड़ाया जाने वाला कच्चा प्रसाद मंदिर की परिक्रमा में बनाई गई रसोई में बनता है। जबकि पक्का प्रसाद मंदिर का निर्माण कराने वाले सेठ हरगुलाल की हवेली में।
03:43बाके भिहारी मंदिर की रसोई में प्रसाद बना कर इसे वहाँ से भगवान के गर्बग्रह में ले जाने का अलग रास्ता भी बना है।
03:49भगवान का प्रसाद तैयार करने वाला रसोईया प्रसाद बनाते समय भीगे कपड़े पहनता है और बनने के बाद प्रसाद को ले कर वही एक अलग रास्ते से गर्बग्रह में जाता है।
03:59भगवान बाके बिहारी जी को चड़ाए जाने वाले प्रसाद में गाय की घी का इस्तेमाल होता है। यह घी तैशुदा गाउं और गौशाला के लोगों से ही लिया जाता है।
04:07कादि सुरक्ष भीभाग के सहायक आयुक धिरेन पृताप सिंग इस बारे में कहते हैं कि मंदिरों की रसोई में तैयार होने वाले प्रसाद की हर 6 महीने में जांच होती है।
04:16केंडर सरकार की ओर से भोग योजना के तहट ब्रज की 10 मंदिरों को भोग प्रमाड पत्र भी दिया गया है।
04:22अब बात करेंगे प्रदेश में सबसे ज्यादा चर्चा में हैने वाले आयोध्या के राम मंदिर की।
04:28आयोध्या के राम मंदिर में विराजमान रामलला को बाहर से लाय गया प्रसाद नहीं चड़ता है।
04:33अगर आप भी कभी आयोध्या गए होंगे तो देखा होगा की दर्शन के बाद यहां हर भक्त को सुगंधित इलाइची के दाने का एक पैकेट दिया जाता है।
04:41और रामलला बंदिर के पास बनी सीता राम यादव की दुकान से हर रोज सुबार पांच किलो खुरचन, पेड़ा, दही और रबडी मंदिर लाई जाती है।
04:49दिन का पहला भोग रामलला को इसी से लगता है। और ये प्रोसेस अभी की नहीं बलकी सौ साल पुरानी है। दुकान पर काम करने वाले कहते हैं कि पेड़ा, दही और रबडी बनाने के लिए वे खुद अपनी ही गौशाला से दूद ले कर आते हैं। शुद्धता से सम�
05:19लड़ू मंदिर में भूग के लिए पहुँचते हैं। महंत संजेदास ने हन्वानगड़ी की कुछ दुकानों पर जाकर प्रसाद की क्वालिटी की जान्च खुद भी की है, जो की पूरी तरह ठीक मिली है। तो ये था आपके इस सवाल का जवाब की आखिर काशी, मथु
05:49करते हैं.

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