A documentary series on the history and legend of those things from our culture that frighten us, featuring writers, actors, and historians interviewed on the subject, as well as the effect of those fearful things on film and pop culture.
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00:00अगर आपको अपरकता है, आपको अपरकता है, आपको अपरकता है, अगर आपको अपरकता है, आपको अपरकता है, अगर आपको अपरकता है, आपको अपरकता है, अगर आपको अपरकता है, आपको अपरकता है, अगर आपको अपरकता है, �
00:31रुखसार?
00:37रुखसार?
00:45रुखसार?
00:52रुखसार?
01:00रुखसार?
01:31रुखसार?
01:53हमें लगा कि आप प्रैक्टिस कर रहे हैं
01:54कर रही है?
01:59नवाब सब?
02:01गुंग्रो की आवाज आ रही है.
02:02हाँ, मैंने भी सुनी.
02:05लेकिन कहा से आ रही हैं, ये नहीं पता.
02:07आप आराब किये, मैं देखता हूँ.
02:10जी, शुक्रिया.
02:24यूट्यूब गब्दिज़ि
02:37मौन है?
02:40अन्दर केसे भूस आयी?
02:49वो, वो सभको मार डालेगी.
02:52नवाब सब?
02:54देखते हूँ.
03:14नसीबा महल.
03:17चलो.
03:24चलो.
03:55आईए.
03:59शफी कली.
04:05ये हवेली हमारी पुष्टेनी है.
04:09हमारे परदादा नवा बली मीर्जा सहाब
04:12इस हवेली से बहुत प्यार करते थे.
04:14किसी जमाने में इसकी महफिले बहुत मशूर्वा करती थे.
04:18खैर.
04:21कुछ साल पहले हमारे अबबा हमें दुबई ले गए.
04:25हम वहीं पे पले बड़े.
04:27हमारा निका भी रुकसार के साथ में वहीं हुआ.
04:30और हमारा बेटा आदिल, वो भी वहीं की पैदाईश है.
04:33हमारी बेगम और हम अकसर इंडिया आने की बाते करते थे.
04:38हमारी दादा की डेथ के बाद यह हवेली बंद थी.
04:41और आदिल भी बड़ा हो रहा था.
04:42तो हम दोनों ने सोचा, क्यों ना आदिल को कुछ साल इंडिया में बड़ा किया जाए?
04:47और इसलिए आप अपनी पुष्टेनी हवेली में रहने के लिए चलेया?
04:50जी.
04:51इन फैक्ट हम नवाब हैं, और हम यहाँ आना भी चाहते थे.
04:55इस हवेली को सडने से बचाना चाहते थे.
05:00लेकिन जिस रोज हम यहाँ आये, उस रात को कुछ अजीब सी चीजे हुई.
05:06यहाँ सेंट्रल होल से कुछ खुंग्रो की आवाज सुनायी थी.
05:11उधर क्या हुआ है यह देखने के लिए हमारा चोकीदार वहाँ गया.
05:15तो उसका गतल हो गया.
05:18हम सब लोग बहुत परेशान हैं.
05:19लोग कहानिया बना रहे हैं, और इस शहर के सभी लोग बाते कर रहे हैं
05:23कि इस हवेली में कोई बुरा साया है.
05:26हमारी वेगम एक पल भी यहाँ रहना नहीं चाहती.
05:30आप प्लीज दोनों इस मिस्ट्री को सोल कीजे.
05:33लेकिन एक सचाय हम आपको बताना चाहते हैं
05:34कि हमें पुलिस वालों से कोई उम्मीद नहीं है.
05:37कल रात को हमने उन्हें फोन किया,
05:39तो उन लोगों ने यहाँ आने से साफ इनकार कर दिया.
05:42इनकार कर दिया?
05:43आप़ भी बताईये कि हम अपने खानदानी महल को कैसे चोड़ कर जाए?
05:47कैसे भाग जायें?
05:49उन्हों ने कोई वजा बतायी यहाँ आने से इनकार करने की?
05:52प्रान जी अगर वजा पता होती तो हम बता देते आपको
05:57ठीक है शफीक सहाब आप चिंदा मत कीजी
05:58अब हम आ गये तो इस मसले का हल ज़रूर निका देंगे
06:12किस सोच में डूप गई महतर मा
06:15सोचने वाली बात है
06:18पचास साल से ये हवेली सिल्प इसलिए बन पढ़ी थी
06:22क्यूँकि लोगों को लगता है कि यहाँ पे आत्माये रहती है
06:26पढ़ी इनसानों पे शक्क करें
06:28आत्माये तो बिछले पचास सालों से यहाँ पर रही रही है
06:31वो कहीं नहीं जाये
06:33शायद कोई इस हवेली पर अपना कब्जा जमाने के लिए ये डर फैला रहा है।
06:38वैसे भी ये लोग आचानक दुबाई से आकर यहाँ पर बस गए।
06:42मुझे लगते हैं मुझे नवाब की फैमिली से बात करनी चाहिए।
06:46स्पेशली उसके बच्चे से।
06:48शायद वो कुछ जानता है।
06:52अकेली फैमिली के डरी हुई है।
06:55बाचित कर लो थोड़ी दर तूम उनके साथ रहोगी तो उन्हें महफूस फिल होगा।
07:01मैं पूलिस्टेशन जा रहा हूँ। कोई लीड मिलेगा तो कॉल करा।
07:18अम्मी अम्मी चलोना अम्मी प्लीजीजिस घर से चलोना अम्मी चलो ना ।
07:24कुम छलेगी यहार से। आप अभ्याबु के पास चीजिए हमें इनसे बात करनी है। हम आते है।
07:30पूपू के पास जाएए. हमें इनसे बात करनी है.
07:33हम आते हैं.
07:34लीज़ चलो न, अम्मी.
07:35यहाँ पर अजीब-अजीब आवाज़े आती हैं.
07:39और हम यहाँ पर एक पल भी नहीं रुकेंगे.
07:43कैसे आवाजे, बेटा?
07:45और कहाँ से आती है?
07:47पता नहीं, पर आवाजे आती हैं.
07:58आप नवाब से की बातों में मत आएएं.
08:00वो बहुत बड़ी गल्ती कर रहे हैं.
08:04इस हवेली में कुछ है.
08:06कोई है.
08:09बस हम यहाँ राइना नहीं चाहते.
08:12हम इन्हें छोड़के आते हैं.
08:17अगर आवाजे की बातों में मत नहीं चाहते यहाँ राइना नहीं चाहते हैं,
08:19अगर आवाजे की बातों में मत नहीं चाहते हैं,
08:21अगर आवाजे की बातों में मत नहीं चाहते हैं,
08:23अगर आवाजे की बातों में मत नहीं चाहते हैं,
08:25अगर आवाजे की बातों में मत नहीं चाहते हैं,
08:27अगर आवाजे की बातों में मत नहीं चाहते हैं,
08:29अगर आवाजे की बातों में मत नहीं चाहते हैं,
08:31अगर आवाजे की बातों में मत नहीं चाहते हैं,
08:33अगर आवाजे की बातों में मत नहीं चाहते हैं,
08:35अगर आवाजे की बातों में मत नहीं चाहते हैं,
08:37अगर आवाजे की बातों में मत नहीं चाहते हैं,
08:39अगर आवाजे की बातों में मत नहीं चाहते हैं,
08:41अगर आवाजे की बातों में मत नहीं चाहते हैं,
08:43अगर आवाजे की बातों में मत नहीं चाहते हैं,
08:45उस चोकी दार के बारे में हमें क्या क्या पता है?
09:11ऑदर्ड कुछ नहीं लिकिन वो लोकल नहीं था,
09:13इसके पहले के दो खुन भी रेजिस्टर हुए थे ना?
09:15वो भी इसी तरह हुए थे?
09:17सर, सब पर चाकु से वार हुआ था.
09:20कुछ साल पहले किसी चौकीदार को
09:21रखने की कोशिश की गई थी.
09:23और अगले सुबा उसके लास मिली.
09:25और इसके पहले के दो खुन भी रेजिस्टर हुए थे ना?
09:28वो भी इसी तरह हुए थे?
09:29सर, सब पर चाकु से वार हुआ था.
09:32कुछ साल पहले किसी चौकीदार को
09:33रखने की कोशिश की गई थी.
09:35और अगले सुबा उसके लास मिली.
09:38और किसी को कोई सुराग नहीं मिला, कि कातिल कौन है?
09:41और आपने भी चान भी नहीं की?
09:44सर, हम लोग यहीं के हैं.
09:46उस हवेले की किसे कहानिया सुनकर पले बड़े हैं.
09:49मन में इतना डर बैठ गया है कि हम मेंसे
09:51कोई हवेली में रात में नहीं जा सकता.
09:53आपको याद है न, आप पुलीस फोर्स में?
09:56हाँ सर.
09:57लेकिन मरना कोई नहीं चाहता.
09:59एक खुदादा करके हवेली के अंदर गया था.
10:02लेकिन रात में, घुंगरु की आवाज सुनकर,
10:06वो इतना डर गया कि चार दिनों तक शौक में रहा था.
10:10लेकिन मरना कोई नहीं चाहता.
10:12एक खुदादा करके हवेली के अंदर गया था.
10:14लेकिन रात में, घुंगरु की आवाज सुनकर,
10:18वो इतना डर गया कि चार दिनों तक शौक में रहा था.
10:22इसका मतलब जो भी वहाँ पर डराने की कोशिश कर रहा है,
10:24वो तो काम्याब हो गया, उसने तो पुलीस को ही डरा के रख दिया.
10:28फक्र है आपको इस बात का?
10:30पंकट जैसवाल,
10:32ये चाकू भोकने के आलवा और भी कोई सिमिलरेटीज है इन मरडर्स में?
10:35सर्व, टाइम आप डेथ सबकी एक जैसी है.
10:38क्या है?
10:38लगबग रात के बारा बजे सबकी मौत हुई.
10:44वही सर्व, पेट में चाकू लगेनी निषान हुई.
11:08वही सर्व, पेट में चाकू लगेनी निषान हुई.
11:39डरो मत, मैं ही हूँ.
11:45उची छट और खाली हवेली है.
11:47चोटी सी चोटी आवाज पर कोई डर जाएगा यहाँ पर.
11:52शायद इसी बात को कोई फाइदा उठा रहा है बहुत सानों से.
11:56तुम पुलिस्टेशन से इतना जल्दी कैसे आ गए?
11:58अरे वो जैसवाल से जादा तो हमी जान जाएँगे इस हवेली के बारे में.
12:01तीन चार चक्कर काटने के बाद.
12:09ये तबला और सारंगी को देखके लग रहा है कि इन्हें आज भी कोई इस्तमाल करता है.
12:19और ये जमीन में फ़र्ग देख रही है?
12:22हाँ.
12:24सिर्फ इसी हिस्से में धूल मिट्टी नहीं है.
12:28ऐसा रखता है जिसे यहाँ पे आके कोई नाचता है.
12:43चफिक जी, आज रात को हम आपके हवेली के बाहर ही रुकेंगे.
12:47अगर कोई अक्टिविटी होती है तो पता चल जाएँगे.
12:49पता चल जाएँगे.
12:51अगर कोई अक्टिविटी होती है तो पता चल जाएँगे.
12:56बहुत बहुत शुक्रिया आप दोनों के.
13:00लेकिन आप रोकेंगे कहाँ?
13:02उसके चिंदा आप मत कीजिये.
13:05बस इत्मिनान रोकेंगे.
13:08गुड़ाइन.
13:09तो क्या लगता है तुम्हें?
13:11इन सब के पीछे कौन होगा?
13:14कोई इंसान या...
13:16ता नहीं.
13:18लेकिन आज रात को पता चली जाएँगा.
13:22बारा बज़ने वाले.
13:25वी तक तो कोई अंदर गया नहीं.
13:28तो अंदर चल कर इंतजार करते हैं.
13:30बारा बज़ने वाले.
13:33वी तक तो कोई अंदर गया नहीं.
13:36तो अंदर चल कर इंतजार करते हैं.
13:59यह कैसे हो सकता है?
14:29वी तक तो कोई अंदर गया नहीं.
14:31तो आज रात को पता चली जाएँगा.
14:33बारा बज़ने वाले.
14:35वी तक तो कोई अंदर गया नहीं.
14:37तो आज रात कोई अंदर गया नहीं.
14:39तो आज रात कोई अंदर गया नहीं.
14:41तो आज रात कोई अंदर गया नहीं.
14:42वी तक तो कोई अंदर गया नहीं.
14:44तो आज रात कोई अंदर गया नहीं.
14:46तो आज रात कोई अंदर गया नहीं.
14:48तो आज रात कोई अंदर गया नहीं.
14:50तो आज रात कोई अंदर गया नहीं.
14:52तो आज रात कोई अंदर गया नहीं.
14:53तो आज रात कोई अंदर गया नहीं.
14:55तो आज रात कोई अंदर गया नहीं.
14:57तो आज रात कोई अंदर गया नहीं.
14:59तो आज रात कोई अंदर गया नहीं.
15:01तो आज रात कोई अंदर गया नहीं.
15:03तो आज रात कोई अंदर गया नहीं.
15:04तो आज रात कोई अंदर गया नहीं.
15:06तो आज रात कोई अंदर गया नहीं.
15:08तो आज रात कोई अंदर गया नहीं.
15:10तो आज रात कोई अंदर गया नहीं.
15:12तो आज रात कोई अंदर गया नहीं.
15:14तो आज रात कोई अंदर गया नहीं.
15:15मैं यहाverts कोई काभार होने से.
15:38विक्राज!
15:43विक्राज! क्या हुआ?
15:45मैंने अब यहाँ एक लड़की को नाशते हुए देखा.
15:48और उसके थाँ तीन लोग और भी थे.
15:50कहाँ अन्दर?
15:51हाँ.
16:09अन्दर तो कोई भी नहीं है.
16:12पर इतनी जड़ि तो कोई छुप भी नहीं सकता.
16:15विक्रांथ वो इनसान नहीं थे.
16:18वो आत्मा है थी.
16:32आपने कहा था कि आपने बच्पन से ही
16:35उस नसीबा महल के बारे में किस्से और कहानिया सुनी है.
16:41मुझे वो कहानी जाननी है.
16:43मैड़म, मैंने विक्रांथ सर को वो कहानिया नहीं सुनाया.
16:46क्योंकि उनका मानना है कि हम केस ना सौल्ब करने के लिए
16:50उन्हें एक कहानी सुना रहे हैं.
16:51देखिया, आप एसीपि विक्रांथ सेंगल के बारे में
16:53जो सोच रहे हैं, वो वैसे बिल्कुल नहीं है.
16:57फिलाल, आप मुझे कहानी सुनाई.
17:01अगर इस कहानी का नसीबा महल से कोई सम्बन्द है,
17:05तो मेरा इस कहानी जानना बहुत सरूरी है.
17:07मैड़म, ये कोई लगबख 50 साल पुरानी कहानी है.
17:11हमारे नवाब सहाब के दादाजी, अली मिर्जा सहाब
17:14यहाँ के नवाब हुआ कर दे थे.
17:15और उन्हें इश्क हो गया था नसीबा बानों से.
17:19ये नसीबा महल, आज जो नवाब सहाब की कोठी है,
17:22एक जमाने में उन कोठा था,
17:25जिसमें नसीबा बानों नाचा करती थी.
17:27मैं तुमसे यह पूछ रहा हूँ कि,
17:28आज की तारीक में तुमने उस कोठी के आसपास
17:30कुछ अजीब होते हुए देखा है?
17:3250 साल पहले की बात नहीं कर रहा हूँ मैं.
17:34आज वहाँ जो कुछ भी अजीब हो रहा है,
17:36उसका तालुकाथ तो 50 साल पहले से है जणाब.
17:38नवाब साहब को नसीबा बानों से इश्क हो गया था.
17:41नवाब साहब नसीबा से निकाह नहीं कर सकते थे,
17:44क्योंकि वो तबायप थी.
17:46लेकिन नसीबा ने ठान ली थी,
17:48कि वो उनकी बेगम बनके रहेगी,
17:50चाहे दूसरी ही सही.
17:52लेकिन नवाब साहब ने साहब कह दिया,
17:54कि कोठे की तबायप उनकी बेगम नहीं बन सकती,
17:57और वो वहाँ से चले गये.
18:00बाद में नसीबा,
18:01वो नाचने गाने वाली,
18:04वो घुसे में आकर,
18:06अपने ही कोठे पर रहने वाले तीन लोग,
18:09एक कोठी के आपा,
18:10दूसरे तबाल जी,
18:11और तीसरे वो सारंगी वाले,
18:15उन तीनों को चाकू से मार दिया, और वहाँ से भाग देई.
18:19फिर कहते हैं कि नसीबा चुड़ैल बनकर लट आई उसी हवेली में,
18:23और आज भी लोगों को बेरहमी से मारती हैं.
18:27अम्मी, कहाँ हैं आप?
18:34दमागा खोला, आदिल!
18:40आदिल!
18:56आदिल!
19:10आदिल!
19:15आदिल!
19:24आदिल!
19:27अभी!
19:29क्या हो गया?
19:52शफीक भाई!
19:53आप हवेली छोड़कर जा रहे हैं?
19:55हाँ, वो बेगम और आदिल की सेहत के लिए।
19:58अटलिस्ट कुछ समय के लिए तो जाना ही पड़ेगा।
20:00देखे शफीक भाई, मेरी शहर में
20:01बहुत से लोगों से बात हुई।
20:03देखे शफीक भाई, मेरी शहर में
20:04बहुत से लोगों से बात हुई।
20:06सिर्फ तैरावने किस्से और कहाणिया सुनने को मिल।
20:09सारी अफ़वाई।
20:10देखे, उन आवाजों को हमने अपने कानों से सुना है।
20:15हमारी बेगम और आदिल ने बहुत कुछ सहा है।
20:17और उस चौकीदार को भी अपनी आखों से मरते वे देखा है।
20:21अटलिस उसे एक वहहम कहकर हमारी तोहिं तो मत कीजी।
20:24बिल्कुल नहीं, मेरा वो मतलब नहीं था।
20:28देखे, मैं मानता हूँ कि आपने चीजे देखी हैं
20:30और आवाजे सुनी हैं।
20:31उस पे कोई शब नहीं है मुझे.
20:33और शायद कोई चाहता हों
20:34कि आप या आवाजे सुने और चीजे देखें.
20:36आपको किसी पर भी शब है
20:37जो शायद इस हवेली पर अपना हग जमाने की कोशिश कर रहा हैं।
20:40ये चाहता हो कि आप इस हवेली में ना रहें.
20:42देखी कोई भी बिल्डर इसके बीच में नहीं पड़ सकता.
20:46क्योंकि कुछ साल पहले मैंने खुद
20:48इस हवेली को बेचने की काफ़ी कोशिश की.
20:50लेकिन किसी भी बिल्डर ने इसके पास तक आने से इंकार कर दिया था.
20:53कोई फैमिली मेंबर हैं, इंडिया में?
20:59हाँ, हमारा एक चचेरा भाई है, अब्दुल्ला.
21:02हम तीनों के अलावा हमारे खानदान में बस वो ही एक बाकी है.
21:06अब्दुल्ला जी, तो आप नवाब शफीक अली के एकलोदे चचेरे भाई हैं?
21:13जी, और हमें इस बात की खुशी है कि भाई जान, भाबी जान
21:18और आदिल को लेकर यहाँ चले आयें.
21:22परना यहाँ तो हमारा अपना कहने वाला कोई था ही नहीं.
21:24जी, एक तरह से तो आपके लिए अच्छा ही हुआ.
21:27लेकिन अब आप अपनी सारी प्रोपर्टी इस पर हग कैसे जमाएंगे?
21:32अगर शफीक नहीं होते तो, आप ही नवाब होते?
21:35दिखिये, एक तो हुकूमत का जमाना गया.
21:39अब पर आप नहीं नवाब होते, तो आप भी नवाब होते?
21:42दिखिये, एक तो हुकूमत का जमाना गया.
21:48भाई जान भी अब सिर्फ नाम के ही नवाब हैं.
21:51और रही बात प्रोपर्टी पर हग जमाने की.
21:53तो आप देख सकते हैं कि खुदा का दिया सब कुछ है हमारे पास.
21:57और फिर हमें और किस प्रोपर्टी की ख्वाहिश होगी?
22:02नसीबा महल.
22:12दिखिये, उस हवेली से हम कोसो दूर रहते हैं.
22:15जिस घर पर पहले से ही चुडएल का साया हो,
22:17भला कोई उसकी ख्वाहिश क्यूं करेगा?
22:20आप हमें अकल से पैदल समझते हैं क्या?
22:23बिल्कुल नहीं.
22:26मगर आप भी औरों की तरह यही मानते हैं
22:28कि उस हवेली पर किसी चुडएल का साया है?
22:31भजूर, जो हमने देखा है,
22:32अगर आप देखते हैं, तो आप भी यही कहते हैं.
22:34चार मतलब, आपने उस चुडएल को देखा हैं?
22:38जी.
22:41जब हम दस बरस की थे,
22:43हमारे अबूजान ने हमें बताया था
22:45कि वो हवेली हमारे खानदान की जरूर है.
22:48अगर हम भूल से भी वहाँ कदम ना रखें
22:51और रात में तो हरगिस नहीं.
22:55हमारे बार-बार पूछने पर भी
22:57हमें कभी नहीं बताया गया
22:58कि हम वहाँ क्यों ना जाएं.
23:01फिर एक रात हम हिम्मत करके उस हवेली में दाखिल हुए.
23:05उसके बाद हमने जो देखा...
23:10क्या देखा?
23:12नसीबा बानू.
23:15वो चुड़ैलों की तरह नाच रही थी.
23:18और हमें मारने के लिए हमारी तरफ बढ़ रही थी.
23:21हम अगर वहाँ एक पल भी और ठैर थे न
23:25तो हम जिन्दा ना बच्चते.
23:27बता नहीं क्यों मुझे अब भी लग रहा है
23:28कि आप ही ने इन कहाणियों को बढ़ावा दिया है.
23:31ता कि कोई उस हवेली पर कभजा ना कर सके.
23:33देखिये, पैसो की कमी नहीं है हमारे पास.
23:38और अपनी जान की सलामती के लिए
23:41हम वहाँ कदम रखने का इरादा भी नहीं रखते.
23:47यहाँ आसपास कोई मदर्सा है?
23:51जी.
23:51वहाँ के मौलवी साहब से हम मिल सकते हैं?
23:53जी.
23:54हम उन्हें यहीं बुलबा लेते हैं.
23:56शुक्रिया.
24:10शुक्रिया शाफिक.
24:40नवाब साहब.
25:00कौन हो तू?
25:03क्या चाहिए?
25:04प्रेशाबों प्रेशाबों के लिए
25:06प्रेशाबों के लिए क्या चाहिए?
25:09क्या चाहती हो तो?
25:19देखो, जब तक तुम मुझे सच नहीं बताओगी,
25:23मैं तुम्हारी मदद नहीं कर सकती हूँ.
25:29नसीबा.
25:38प्रेशाबों प्रेशाबों के लिए तुम्हारी मदद नहीं बताओगी,
25:40मैं तुम्हारी मदद नहीं कर सकती हूँ.
25:41तुम्हारी मदद नहीं कर सकती हूँ.
25:43तुम्हारी मदद नहीं कर सकती हूँ.
25:44तुम्हारी मदद नहीं कर सकती हूँ.
25:46देखो, प्रेशाबों प्रेशाबों के लिए तुम्हारी मदद नहीं कर सकती हूँ.
25:49तुम्हारी मदद नहीं कर सकती हूँ.
25:50तुम्हारी मदद नहीं कर सकती हूँ.
25:51तुम्हारी मदद नहीं कर सकती हूँ.
25:53तुम्हारी मदद नहीं कर सकती हूँ.
25:54सब्नारेमता।
26:15देखो, हैं तुम्हारी मदद कर सकती है.
26:17बताओ, क्या चाहती है तुम?
26:24देखा.
26:55मौल्वी जी, हमारे बुलाने पे आप आये इसके लिए शुक्रिया.
26:58जी, बहुत शुक्रिया करिये, क्या खिदमत कर सकता हूँ मैं आपकी?
27:01जी, मैंने शेहर में बहुत से लोगों से नसीबा बानों के बारे में किस्से सुने.
27:05लेकिन वो सब लोग तो वही बोल रहे हैं जो वो सालों से सुनते आ रहे हैं.
27:10कम सकम आप तो हकीकत जानते होंगे, कि पचास साल पहले क्या हुआ था?
27:16देखिये, अगर लोग कह रहे हैं कि नवाप सहाब को नसीबा से इश्क हो गया था, तो बेशक ये सच है.
27:23अरे भरी मैफिल में नवाप सहाब ने अपनी शाही अंगोटी नसीबा को पहनाए थी, और एलाम किया था कि वो उससे निका करने वाले है.
27:34नसीबा फूले नहीं समा रही थी, वो कहते फिर्टी थी, नवाप सहाब मेरे होने वाले शुहर है.
27:41यह सब बफ़वाही है, यह सब बखवास है.
27:45नसीबा तो यहां तक लोगों से कहती थी कि मैं छोटी बेगम मनने वाली हूँ.
27:51मैं छोटी बेगम हूँ, और इसलिए नवाप सहाब ने उस महल का नाम नसीबा महल रखा था.
27:57लेकिन अगर वो इतनी खुश थी तो तीन लोगों को मार कर फरार के हो गई?
28:01बरसों से मैं खुद इस सवाल का ज़वाब ढूंढ रहा हूँ,
28:04कि नसीबा को अगर नवाप सहाब से कोई रनजिष थी,
28:08तो वो उनका कतल कर सकती थी, उनको मार सकती थी.
28:10लेकिन नसीबा ने ऐसा नहीं किया,
28:13मगर बदकुसमती की बात यह है,
28:16कि साल भर के अंदर-अंदर इस वाकिय के बाद,
28:19नवाप सहाब का इंतकाल हो गया.
28:21शायद वो इस सद्मा बरदाश नहीं कर सके.
28:27तो वो अगर नवाप सहाब के बाद,
28:29लेकिन साल भर के अंदर-अंदर इस वाकिय के बाद,
28:32नवाप सहाब का इंतकाल हो गया.
28:34शायद वो इस सद्मा बरदाश नहीं कर सके.
28:41मौल्वी जी, यह तो मैं भी जानता हूँ कि,
28:43नसीबा बानों कोई छुड़ैल नहीं है.
28:45लेकिन ताज़ूब इस बात का है कि,
28:47इतना सब कुछ जानते हुए भी,
28:49आपने ये सब किसी को बताना ठीक नहीं समझा?
28:52देखिए, लोगों को दरसल,
28:55हकीकत से जियादा किस्से कहानियों का जायका पसंद है.
29:00और मैंने बताने के कोशिश की,
29:01अगर किसी ने मेरी बात पर काम नहीं धरा तो बला,
29:04मेरा क्या कुसूर है इसमें?
29:07शुक्रिया महल्वी जी.
29:09जी.
29:31रुकसा, तुम यहाँ पह क्या कर रही हो?
29:35हम आदिल की दवाईया लेने आये थे और,
29:38हमें छोट लग गई.
29:43या खुदा, ये क्या हुआ?
29:46इस अवेली में रहना खतरे से खाली नहीं है.
29:48कि आदिल एक पहले याव करते है.
29:51याव करते है?
29:52इस हवेली में रहना खत्रे से खाली नहीं है।
29:54तुम लोगों को यहां से निकलना होगा।
29:56चली आये।
30:02चलू जल्दी से।
30:22प्रस्तुत्र प्रस्तुत्र प्रस्तुत्र प्रस्तुत्र
30:52प्रस्तुत्र प्रस्तुत्र प्रस्तुत्र
30:54प्रस्तुत्र प्रस्तुत्र प्रस्तुत्र
30:56प्रस्तुत्र प्रस्तुत्र प्रस्तुत्र
30:58प्रस्तुत्र प्रस्तुत्र प्रस्तुत्र
31:00प्रस्तुत्र प्रस्तुत्र प्रस्तुत्र
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31:04प्रस्तुत्र प्रस्तुत्र प्रस्तुत्र
31:06प्रस्तुत्र प्रस्तुत्र प्रस्तुत्र प्रस्तुत्र
31:08प्रस्तुत्र प्रस्तुत्र प्रस्तुत्र प्रस्तुत्र
31:10आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआ�
31:40ानीदे को दोओसा होगी
31:43या मुझे काइजा मते कर दो
31:47आनू आता रत्माना
31:49सरकुल हैं अनिगिंज़ली
31:51अनीग्र हे नी स्देखमा औरा।
31:55सहवं देंद कीमण कीमया भूँस्य जाखते था
31:59जोसीवा की कोठ में आज गगा से
32:02हर रात उस कमरे में उसी पल को दोहराया जा रहा है.
32:06मतलब?
32:07विक्रान, मुझे लगता है कि
32:08नसीबा के कोठे में जो तीन लोग मरे थी उसमें
32:12और नसीबा के गायब होने में नवाब साहब का हद है.
32:16ये तुम कैसे कह सकती हो?
32:18मैंने तुमसे कहा था न, उस राथ नसीबा मेरी तरफ भाग के आ रही थी.
32:23लेकिन उसने मुझे तो देखा ही नहीं.
32:25वो उनकी तरफ भाग के जा रही थी,
32:27जो उस वक दर्वासे पे खड़े थे, नवाब साहब.
32:32तुमने नवाब साहब को पहचाना कैसे?
32:35ठीक से देख नहीं पाई, जहरा तो बिल्कुल नहीं देखा.
32:41लेकिन एक सेकिन के लिए मैंने किसी को शाही कपडों में देखा था.
32:46इसलिए मुझे लगता है कि वो नवाब साहब ही थे.
32:50और ये नवाब साहब को हम एविडिनस में कैसे पेश करेंगे?
32:52पूछ रहा हूँ.
32:56फिक्रान, लिए तीओरे मेरे पे भरोजा कर।
33:01मज़ाग कर रहा हूँ.
33:05मुझे वापस हवेली में जाना होगा.
33:22पूछ रहा हूँ.
33:52पूछ रहा हूँ.
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37:42विक्राह.
37:44विक्राह.
38:03विक्राह.
38:04हादी ऐस मुन्हाrigine
38:06क्या हुआ?
38:07विक्राह.
38:09हम्ये जल्दी से इस दिवार को तोड़ना होगा .
38:10क्यु?
38:11नसीवा इस दिवार के पीछे है.
38:13क्या? तुम्हें कैसे बता?
38:14वो सब मैं तुम्हें बाद में बताती हूँ.
38:16लेकिन अभी हमारा इस दिवार को तोड़ना बहुत ज़रूरी है.
38:29पीछे अटो.
38:41ये नसीबा है.
39:12नसीबा के उस कंखाल को हवेली के पीछे क्यों दफना आया आपने?
39:15और आपको कैसे यकीन है कि वो कंखाल नसीबा का ही था?
39:19नसीबा कभी भागी नहीं थी.
39:23वो नवाप साहब से महुपत करती थी यहाँ नसीबा के पीछे से.
39:26नसीबा के उस कंकाल को हवेली के पीछे क्यों दफना आया आपने?
39:29और आपको कैसे यकीन है कि वो कंकाल नसीबा का ही था?
39:33नसीबा कभी भागी नहीं थी.
39:36वो नवाप साहब से महुबत करती थी और उनसे निकाह करना चाहती थी.
39:40नवाप साहब भी इस बात के लिए राज़े थी.
39:42लेकिन उनके बेगम ने ऐसा होने नहीं दिया.
39:44पता नहीं आप लोगों को सुनके कैसा लगेगा लेकिन
39:49नसीबा की मौत के पीछे बेगम साहबा का हाथ था.
39:53यह सब आप कैसे जानती है?
39:55यह सब आप कैसे जानती है?
39:57आप हमारे खानदान के बारे में बात कर रहे हैं.
39:59हम इतना बड़ा एलजाम कैसे मान ले?
40:01आपके पास क्या सभूत है?
40:03मैं जानती हूँ अपनी फामिली के बारे में
40:05इस तरह की बात सुनना आसार नहीं है.
40:08लेकिन यह बात सच है.
40:11बेगम साइबा ने यह नसीबा को इस दिवार के पीछे चुन वाया था.
40:17मिस्टर शफीक, आपने हमें जस काम के लिए बुलाया था, वो हो गया है.
40:21अब आप चाहे तो इस घर में रह सकते हैं या कहीं और?
40:24आपकी रिक्वेस्ट पर हम आपको एक मेने के लिए पुलीस प्रोटेक्शन दे सकते हैं.
40:27जस्ट तो बिशुर.
40:29और जहां तक अधिती ने जो कहा है उसका सवाल है तो
40:33वो भले ही आपके सामने कोई सभूत ना पेश कर पाए,
40:35लेकिन ऐसे मामलों में उसका तज़ूर्बा हमारी सोच और समझ से कई बढ़ कर है.
40:44मैंने ये लोग सभी कहा रहे हैं.
40:46हमें यहाँ से चले जाना चाहिए.
40:48अदिल बहुत डर गया है.
40:49वो तो अब यहाँ पर सोच तक नहीं पाएगा.
40:51कोई भी जगह हमार बच्चे से साधा किमती तो नहीं है, ना?
40:57थेंक ये सो मच्च.
40:59आप लोग यहाँ इतनी दूर आये.
41:01और आगे क्या करना है, ये हम सोच समझ के डिसाइट करेंगे बिट टाइम.
41:05लेकिन आपको एक एडवाईस देना चाहूँगे.
41:06असल में ये नसीबा की हवेली है.
41:11अगर वो जा चुकी है, तो दुबारा लोट भी सकती है.
41:25अधिती ने जो भी कहा है, सोच समझ कर कहा है.
41:28अब इसे मानना या ना मानना, आपकी मरजी है.
41:32खयाल के.
41:36क्या कहा तुमने? मैंने ठीक से सुना नहीं?
41:40थांक्यू.
41:42किस बात के लिए?
41:44अंदर तुमने मेरी इतनी तारीफ शुक लिए.
41:47तारीफ सिर्फ नाम के लिए नहीं किया अधिती.
41:50जो भी कहा, सच का.
41:51अब जब सभी काउंग तुमने किया है तो, क्रेड़ट तो बन ताया.
41:57आई जस्थ छोड़ कि षफिक में हमारी बातों पर यखता है.
42:00अब तुम पर लोग तो नहीं होगा.
42:02इसलिए नहीं लोग था.
42:04नहीं चुछ होगा.
42:05तुमने यह भी पता लगाया कि नसीवा को बेगम ने मारा था
42:08और तुमने यह भी पता लगाया कि नसीवा एक्जाकली किस दिवार के पीछे चुरुवाई गई थी
42:12अब जब सभी काम तुमने किया है तो
42:15क्रेड़िट तो बनता है
42:18मैं चोड़ा हूँ कि शफीक में हमारी बातों पर यकीन कर लिया हूँ
42:25खैर
42:28सुरेज सर का कॉल आ रहा है
42:29चलो निकलते हैं
42:45चले
42:47आदिल अंदर कार में सो चुके
43:17आदिल अंदर कार में सो चुके
43:47आदिल अंदर कार में सो चुके