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वीडियो जानकारी: हार्दिक उल्लास शिविर, 19.10.2019, लखनऊ, उत्तर प्रदेश
प्रसंग:
रजसि प्रलयं गत्वा कर्मसङ्गिषु जायते ।
तथा प्रलीनस्तमसि मूढयोनिषु जायते ॥
भावार्थ : जब कोई मनुष्य रजोगुण की वृद्धि होने पर मृत्यु को प्राप्त होता है
तब वह सकाम कर्म करने वाले मनुष्यों में जन्म लेता है और उसी प्रकार
तमोगुण की वृद्धि होने पर मृत्यु को प्राप्त मनुष्य पशु-पक्षियों आदि
निम्न योनियों में जन्म लेता है।
~ भगवद्गीता, अध्याय – १४, श्लोक १५
~ क्या मृत्यु माने केवल दैहिक मृत्यु?
~ जीवन के खेल को कैसे समझें?
~ मन की मृत्यु कैसे हो?
~ क्या निम्न यौनियों में हमारा पुनर्जन्म संभव है?
~ क्या पुण्य कमा कर स्वर्ग की प्राप्ति होती है?
संगीत: मिलिंद दाते
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प्रसंग:
रजसि प्रलयं गत्वा कर्मसङ्गिषु जायते ।
तथा प्रलीनस्तमसि मूढयोनिषु जायते ॥
भावार्थ : जब कोई मनुष्य रजोगुण की वृद्धि होने पर मृत्यु को प्राप्त होता है
तब वह सकाम कर्म करने वाले मनुष्यों में जन्म लेता है और उसी प्रकार
तमोगुण की वृद्धि होने पर मृत्यु को प्राप्त मनुष्य पशु-पक्षियों आदि
निम्न योनियों में जन्म लेता है।
~ भगवद्गीता, अध्याय – १४, श्लोक १५
~ क्या मृत्यु माने केवल दैहिक मृत्यु?
~ जीवन के खेल को कैसे समझें?
~ मन की मृत्यु कैसे हो?
~ क्या निम्न यौनियों में हमारा पुनर्जन्म संभव है?
~ क्या पुण्य कमा कर स्वर्ग की प्राप्ति होती है?
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