जियें कैसे? || आचार्य प्रशांत (2024)

  • 8 hours ago
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वीडियो जानकारी: 30.03.24, संत सरिता, ग्रेटर नॉएडा

प्रसंगः
~ अंजन को कैसे छोड़ा जाता है?
~ अगर जीवन से अंजन को हटाना है तो जियें कैसे?
~ प्रकृति का उपयोग कर के प्रकृति के पार कैसे जाएं?
~ जीवन के खेल में खिलाड़ी की तरह कैसे जियें?
~ श्रद्धा का वास्तविक अर्थ क्या है?

राम निरंजन न्यारा रे, अंजन सकल पसारा रे!

अंजन उतपति, ॐ कार, अंजन मांगे सब विस्तार,
अंजन ब्रह्मा, शंकर, इन्द्र, अंजन गोपी संगि गोविंद रे ॥1।।

अंजन वाणी, अंजन वेद, अंजन किया नाना भेद,
अंजन विद्या, पाठ-पुराण, अंजन वो घट घटहिं ज्ञान रे ॥2॥

अंजन पाती, अंजन देव, अंजन ही करे, अंजन सेव,
अंजन नाचे, अंजन गावै, अंजन भेष अनंत दिखावै रे ॥3॥

अंजन कहीं कहां लग केता? दान-पुनि-तप-तीरथ जेथा !
कहे कबीर कोई बिरला जागे, अंजन छाड़ि निरंजन लागे । ॥4॥
~ कबीर साहब

अंजन ब्रह्मा, शंकर, इन्द्र अंजन गोपी संग गोविंद ॥
~ संत कबीर

अंजन कहो कहाँ लग केता? दान-पुनि-तप-तीरथ जेथा।
~ संत कबीर

संगीत: मिलिंद दाते
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