गांव के बाढ़ में जलपरी आ गई Jalpari cartoon Jalpari Ki Kahani Fairy Tales Hindi Moral Stories

  • 4 days ago
गांव के बाढ़ में जलपरी आ गई Jalpari cartoon Jalpari Ki Kahani Fairy Tales Hindi Moral Stories

Category

😹
Fun
Transcript
00:00पिकलू मचस कन्या को कन्धे पर उठा कर अपने घर ले आता है
00:04और उनके घर के पीछे जो बड़ा सा पानी की टंकी है
00:08उसमें उसे चिपा देता है
00:10और गाओ में एक भयंकर बाड आ जाती है
00:14एक दिन साम के वक्त गाओ के छोटे छोटे बच्चे
00:17मैदान में खेल रहे थे
00:19तभी अचानक आसमान काले बादल से च्छा जाता है
00:24तब टिपली कहती है
00:26चलो जल्दी से घर चलते है
00:29देखो आसमान काले बादल से च्छा गया है
00:33लगता है अभी बारिश होने वाली है
00:36अरे रूको थोड़ी दिर और खेलते है
00:39अभी तो बारिश शुरू भी नहीं हुई है
00:41यह कहते हुए वो फिर से खेलना शुरू कर देते है
00:45और उस ही समय बारिश शुरू हो जाती है
00:48एइ पिकलू भाईया बारिश शुरू हो गये है
00:52अब तो घर चलो नहीं तो मेरी माँ बहुत ढाटेगी
00:56नरफो कही का तुम सब घर जाओ
00:59मैं नदी के किनारे जाता हूँ
01:01इस बारिश में बहुत सारी मचलिया मिलेगी
01:04मैं जाके मचलिया पकरूंगा
01:06तुम मेंसे मेरे साथ कोई चलोगे
01:08लेकिन कोई भी उसके साथ जाने के लिए राजी नहीं होता
01:12तुम सब अपने अपने घर लोट जाते हैं
01:14और पिकलू नदी किनारे जाकर मझे से मचलिया पकरने लगा
01:20धीरे धीरे बारिश की धारा और तेज हो गई
01:24ऐसे मुसलाधार बारिश में भी पिकलू घर नहीं लोटता
01:28उसके माता पिता बहुत चिंतित हो जाते हैं
01:31सुनते हो पिकलू अब तक घर नहीं लोटा
01:34इतनी तेज बारिश में कहां गया होगा
01:37मुझे कुछ नहीं पता तुम तो हमेशा उसे अपने सिर पर रखते हो
01:42काउं के सारे बच्चे बारिश से पहले ही अपने घर लोटाए
01:47और ये बदमास अभी तक घर नहीं लोटा
01:50घर लोटते ही आज उसे अच्छे से सबक सिखाऊंगा
01:53तभी पिकलू मचलिया हाथ में लिये फीकता हुआ घर लोटाता है
01:59ये देखो मा मैंने कितने सारी मचलिया पक्री है
02:03पिकलू को देखकर उसके पिता उसे बहुत डाटते है
02:08फिर रात कुजर के जब सुभा हो जाता है तब बारिश भी रूप गया था
02:14इस समय गाउं के सभी लोग अपने अपने घर की चथ ठिक कर रहे थे
02:20और कुछ लोग गाउ में बार आने की तर से पहले से ही खाना मौजुद कर के रख रहे थे
02:27उस समय अनन्त भी अपने घर की चथ ठिक कर रहा था तभी
02:32क्या भाई अनन्त ठीक ठाक से घर के चथ धख रहे हो ना
02:37याद है पिछले साल बार के समय क्या हाल हुआ था
02:41हाँ भाई हराधन वही चिंता है अगर घर के चथ उर गए
02:47तो छोटे छोटे बच्चे को लेकर कहां जाओंगा भगवान जाने क्या होगा
02:53और हाँ जादा करके खाना जमा करके रखना ठीक है अप मैं चलता हूँ
02:59ये कहकर कमलिश वहाँ से चला जाता है साम से फिर मुसलाधार बारी
03:05शुरू हो जाती है लगातर दो दिन तक बारीश होती रहती है इसके साथ
03:11तेज तुफान और लगातार बीजली गरजने लगी फिर धीरे धीरे
03:17नदी का पानी गाउ में घुसने लगता है नदी का पानी गाउ में घुसने लगा है
03:23और उसके साथ जरूर मचलिया भी आ रही होगी अगर मैं नदी के किनारे जाओ
03:29तो आज तो मुझे बहुत सारी मचलिया मिलेगी कैसे भी करके आज मैं जरूर
03:35नदी के किनारे जाओंगा ये कहकर पिकलू अपने माता पिता की नजर बचाकर
03:41बारिश में ही मचली पकरने निकल परता है और इस बीच नदी में तेज बहाव है
03:47समंदर का पानी नदी में प्रवेश कर रहा है और इस तेज बहाव में
03:53एक मचसकन्ना अपने परिवार से विचर कर नदी में आ जाती है तब पिकलू नदी के किनारे पहुंचते ही सुनता है
04:03ये क्या इतनी बारिश में यहां कौन रो रही है
04:17पिकलू इधर उधर देखता है तभी उसे नजर आया कि नदी किनारे एक अचीब दिखने वाली लड़की बैठ कर रो रही है
04:27जिसका उप्रे हिस्सा इंसान जैसा और नीचे का हिस्सा मचले की पूच जैसा
04:34पिकलू तुरंट उसके पास चाकर कहता है
04:37तुम कौन हो ऐसी हलात में तुम यहां बैठ के रो के रो रही हो
04:42मैं एक मचस कन्या हूँ पानी के तेस बाहां के कारण मैं अपने परिवार से बिछर कर यहां आ गए हूँ
04:54मुझे बहुत डर लग रहा है मेरे माद अभी तक आ गए मुझे उनके पास जाना है
05:04मचस कन्या तुम डरना मत तुम अपनी मता पिता के पास जरूर लोट जाओगी
05:10लेकिन अगर तुम यहां रहोगी तो खोखर चंतु चनवर तुम पर अक्रमन कर सकता है
05:17और अगर काउं के किसी ने तुमें देख लिया तब तो और मुसिपत हो जाएगी
05:23तुम मेरे साथ मेरे घर चलो जब नदी का बरब कम हो जाएगा तब मैं तुमें फिर नदी में छोड़ जाओगा
05:31लेकिन मैं तो पानी के बिना नहीं रह सकती
05:35चिंतब मत करो मचस कन्या मैं तुमारे रहने का सारे इंदिजम कर दूंगा
05:40फिर पिकलू बचस कन्ण्या को गंधे पर उठाकर अपने घर ले आता है
05:46और उनके घर के बीछे जो बड़ा सा पानी की टंकी है उसमें उसे चिपा देता है
05:53मचस कण्या तुम यहां आराम से रहो
05:56तुम्हें कोई खात्रा नहीं है
05:58मैं समय समय पर तुम्हे खाना देकर जाओंगा।
06:02ये कहकर पिकलू वहाँ से चला जाता है।
06:05हर दिन बारिश की मात्रा बरते ही जाती है।
06:08और गाउ में एक भयंकर बार आ जाती है।
06:12पूरा गाउ उस बार के पानी में डूप जाता है।
06:15धेरे धेरे लोगों के घरों में जमा खाना भी खतम हो जाता है।
06:20ऐसे ही एक दिन
06:22मचसकन्या, ओ मचसकन्या बाहर आओ, मैं तुम्हारे लिए खाना लाया हूँ।
06:28पिकलू की आवत सुनकर मचसकन्या पानी से बाहर आती है।
06:33आज सिर्फ इतना ही खाना ला पाया हूँ, बाहर के कारण जो खाना संचै करके रखे थे, वो सारे खाना खतम हो गया।
06:41अब हम लोग क्या खाएंगे, कुछ भी पता नहीं।
06:44पिकलू की बात सुनकर मचसकन्या उदास हो जाती है, फिर वो कहती है
06:50चिंता मत करो दोस्त, तुम घर जाकर देखो, वहाँ तुमारे लिए क्या इंतजार कर रहा है।
06:58फिर पिकलू दोरकर अपने घर जाकर देखता है, कि वहाँ बहुत सारे खाना रखा हुआ है, ये देखकर
07:07मा, पिताजी, जल्दी आओ, आकर देखो तो सही।
07:12फिर पिकलू के पाता पिता वहाँ आकर इतने सारे खाने को देख अचनवेत हो जाते हैं, फिर पिकलू उन्हें सारी घटना बताता है, फिर सब मिलकर मतसे कन्या के पास जाते हैं।
07:25तुम्हें बहुत बहुत धन्यवाद मतसे कन्या, मैं चानता हूँ कि तुम जादू करके ये सारे खाना लाए हो, लेकिन मतसे कन्या, सिर्फ हम नहीं, इस गाओं के और भी लोग है, जिनके खाना खतम हो गया है, मेरे दोस्त भी शायद भूके होंगे, तुम उनके लिए भ
07:55पीता मिलकर गाओं के सभी घड़ों में वो खाना पहुचाते हैं, लेकिन इधर बारी स्थमने का कोई नाम ही नहीं है, धीरे धीरे बार और भयानक रूबले लेती है, ऐसे ही एक दिन पिकलू उदास होकर मतसे कन्या के पास बैठता है, क्या हुआ है दस्त, तुमारा चेह
08:25मुझे भी अपनी बेहन को पुलियो की तवा पिलानी है,
08:28लेकिन इतनी बारीज और बार में
08:31बेहन को पुलियो की तवा पिलाने कैसे ले जाओ?
08:34तुम चिंता मत करो दोस्त, मैं अभे सारे इंतिज़ाम कर देती हूँ
08:40ये कहे कर मत सकन्या अपना रूप बदल कर एक नाओ बन जाती है
08:46और कहती है
08:47जाओ दोस्त, इस नाओ में बैठकर तुम अपनी बेहन को पुलियो की तवा पिलाने ले जाओ
08:55और साथ ही गाउं के और बच्चों को भी ले जाओ
08:59जिनें पुलियो की तवा की जरुरथ है
09:03चलो जल्दी करो
09:04मत सकन्या की कहे अनुसार
09:06पिकलो और उसकी मां, बेहन को ले कर
09:09पुलियो की दावा पिलाने जाते हैं
09:11गाउं के और भी मानें
09:13अपने बच्चों को ले कर नाओ मे बैठती है
09:16और सभी बच्चों को समय पर पलियो की दाबा पिलाई जाती हैं।
09:20इस तरह मत्सकन्या अलग-अलग तरीकों से
09:23बार के समय सब की मदद करती रहती हैं।
09:27धीरे-धीरे बारिश भी कम हो जाती है।
09:30बार का पानी भी धीरे-धीरे उतरने लगता है।
09:33एक दिन।
09:34तुम्हें बहुत-बहुत धन्यवाद मत्सकन्या।
09:37ऐसी बार में तुमने हमारी बहुत-बहुत मुदब की।
09:42नहीं दोस्त।
09:44तुमने भी तो मेरे संकत के समय मुझे अपने घर में आश्ट रह दिया।
09:50चलो दोस्त, अब मैं तुम्हें नदी में छोड़के आता हूँ।
09:53अब तुम्हारा अपने माता-पिता के पास लोटने का समय आ गया है।
09:58चलो।
09:59फिर पिकलू मत्सकन्या को कंधे पर उठाकर फिर से नदी में छोड़ने जाता है।
10:05तभी मत्सकन्या के मता-पिता उसे ठूंट ते हुए, नदि के किनारे आ जाते हैं।
10:10मता-पिता को देकर मत्सकन्या बहुत खुश होती है और उनके गले लग जाती है।
10:17और आज तक की पूरी घटना खोल के बताई।
10:20सब सुनने के बाद मत्सकन्या के मा मनी माला कहती है
10:24ये लो ये जादूई मोती तुम अपने पास उपहार के रूप में रखो
10:31जब भी किसी समस्या में पड़ोगे
10:33इस मोती को नदी के पानी में सपर्स कराकर हमें याद करना
10:39हम तुरण तुम्हारे पास आ जाएंगे
10:42मुझे इतने दिनों से अपने पास सुरक्षित रखने के लिए
10:48तुम्हें बहुत बहुत धन्यवाद दोस्ट
10:52अब हम चलते हैं
10:54इसके बाद मत्सकन्या अपने माता पिता के साथ
10:57पानी में डुक्की लगाके वापस चली जाती है
11:00फिर पिकलू जादूई मोती लेकर घर लौटाता है
11:04बार का पानी कम हो जाता है
11:07और उनका गाउ फिर से पहले की तरह जीवित हो उठता है
11:11किसान खेतों में धान की बुआई करते हैं
11:14गाए और बक्रिया नए उगे हुए घासों की जमीन पर घूमते हैं
11:19और पिकलू अपने माता पिता के साथ सूख सांती से रहने लगते हैं
11:25जलपरी मनी माला हर दिन की तरह उस दिन भी
11:29अपने खयाल में नदी के पानी में तैर रही थी
11:32तबि अचानक उसे सुनाई देती है
11:43ये तो कोई छोटी बच्चे की रोनी की आवास लग रही है
11:47इतनी राथ को नदी किनारे छोटी बच्ची
11:51इसके बाद जलपरी मनी माला नदी के किनारे आके देखती है
11:55अरे ये तो सच में एक छोटे बच्ची है
11:59आहा इसे इस तरह से यहां कौन छोड़ के चला गया
12:03जलपरी नदी किनारे बैट के बच्ची को गोद में उठाती है
12:07उसे प्यार करती है उसके माथे पे चुमबन करती है
12:12बच्ची का रोना भी बंध हो गया था
12:15और इस तरह से पूरी राज बीच जाती है
12:18फिर जब सुभा की पहली किरन निकल आई, तब वो बच्ची फिर से रोने लगती है
12:23देखा तुम मिलते ही तुझे प्यार करते करते तेरी भूग के बारे में भोली गई थी
12:30तब जलपरी मनी माला प्रकीती देवी को स्मरण करती है
12:34और साथ ही साथ प्रकीती देवी वहां प्रकत होती है
12:38हे प्रकीती देवी, ये पच्ची काल रात मुझे नदी किनारे मिली है
12:44वो बहुत ही भूगी है और अब मैं क्या करो मैं समझ नहीं पा रही हूँ
12:50वो एक इंसानी बच्चा है उसे यहां छोड़के तुम्हे पानी में लोट जाना चाहिए
12:56उसकी भलाई इंसानों की उपर छोड़ दो
13:00नहीं नहीं प्रकीती देवी, उसे मैं इन दो हाथों से गोद में उठाई हूँ
13:04वो भी मेरी गोद में कितनी शांती शह है
13:07आप सिर्फ मुझे यह बता दिजिये कि मैं कैसे उसके मा बन के रह सकती हूँ
13:13ठीक है जो तुम्हारी मरजी
13:16तब प्रकीती देवी ने अपनी जादूय सक्ती से जलपरी मनी माला को मानब रूप प्रदान करती है
13:23फिर मानब रूपी जलपरी अपनी बेटी को गोद में लिए नदी से पाहर आती है
13:29फिर जंगल की रस्ते से गाउ की और जाने लगी
13:32जलपरी मनी माला मुझे वो बच्ची दे दो
13:39मैं उस बच्ची को खाऊंगी
13:42और उसकी असली सच मुझे बता है
13:45कभी नहीं वो मेरी बेटी है तुम चले जाओ यहाँ से नहीं तो
13:50लेकिन चूरल छोड़ने वालों में से नहीं थे
13:53वो अपनी लंबी हाथ बढ़ा के जैसे ही बच्ची को छीनने चाती है
13:59तब ही मनी माला दोडने लगी
14:01प्रकिती देवी बचाये बचाये प्रकिती देवी इस चूरल के हाथ से बचाये
14:07तभी अचानत तूफान आ गया धोलूर के चूरल की आखों में चली गई
14:12तब चूरल को कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था
14:16और मनी माला जल्दी से वहाँ से भाग के गाउ में पहुँच के
14:20फिर एक पुराने मिठी के घर में अपनी बेटी को लिए मनी माला रहने लगती है
14:26तू तो मेरी आखों का तारा है
14:29और इसी लिए आज से तेरी नाम है नयन तारा
14:33लेकिन तुझे बड़ा करने के लिए बढ़ाने के लिए
14:36इस थलभाग की मनुश्यों की तारा मुझे भी कुछ काम करना चाहिए
14:40यही सोचते हुए मानब रूपी जल्दी गाउ के घर घर जाकर
14:44काम की तलाश करने लगी
14:46आपके पास मेरे लिए कुछ काम है
14:49मैं घर के सारे काम जानती हूँ
14:51आप जो कहेंगे वही कर दूँगी
14:53आखिर कर उस एक घर में काम मिल गी जाती है
14:56फिर धीरे धीरे बीटी नयन तारा बड़ी होने लगी
15:00अग तो वो स्कूल भी जाने लगी है
15:02मा मैं चलती हूँ
15:04स्कूल के देरी हो रही है
15:06नहीं अखिला मत जाओ
15:08हर दिन की तरहा मैं ही स्कूल में छोड़ कर आउंगी
15:11लेकिन आपको तो तेस बुखार है मा
15:14और काम पे भी थो जाना है
15:16मैं स्कूल अखिली ही जने जाती हूँ
15:19लेकिन मनी माला नयन तारा की बात नहीं मानती
15:22और उसका हाथ पकर कर स्कूल ले जाती है
15:26और इस तरहा धीरे धीरे नयन तारा बड़ी हो गई
15:29अब वो कॉलेज में जाती है
15:32लेकिन मनी माला नयन तारा को एक दिन के लिए भी अकेला नहीं छोड़ती
15:37इस बीच डायन
15:39इतनी बर्सों से उस बच्ची को खाने की कोचिश कर रही हूँ
15:45लेकिन कभी मौका नहीं मिला
15:48अब नयन तारा को मनी माला से अलग करने की तरकीब सोचनी ओगी
15:53इस तरहा धिन बीचते रहे
15:55लेकिन आज थाक नयन तारा चूरेल की हात नहीं लगी
15:59अब कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के पाद उसे गाओ की एक चोटी स्कूल में नॉक्री मिलती है
16:06और पहले दिन जब वो काम पे जा रही थी
16:09मा अग मैं बड़ी हो गई हो नॉक्री करने जा रही हूँ
16:13क्या आज में आप मुझे छोड़ने और लाने जाएंगे
16:16तो समझ नहीं पा रही है
16:18अगर तुझे कुछ हो गया तो
16:20मैं ही तुझे स्कूल में छोड़ने जाओंगे और लेने भी आओंगी
16:24लेकिन ये पहली बार है
16:26जब नयं तारा अपनी मा की बात नहीं मानी
16:30और जैसे ही वो अकेली घर से निकले
16:33अरे वाह इतने दिनों बात मौका मिला है
16:38लेकिन उसके सामने मुझे वेस बदल के जाना होगा
16:43ये सोचकर वो चूरेल एक गुढ्धी औरत का वेस में
16:47नयं तारा के सामने आली
16:49नयं तारा अरे ओ नयं तारा
16:53जड़ा इधर तो आ बेटी
16:56कौन है आप, आप मुझे जानते हैं
16:59मैं जानती हूँ ना
17:02और तुमारे बारे में भी सब कुछ जानती हूँ
17:06और इसलिए तो बताने के लिए आई हूँ तुमारी पार
17:11फिर चूरेल नयं तारा के आसल परिचाई की राज बताती है
17:17ये भी बताती है कि मनी माला उसे चुड़ा के
17:20जबर्डस्ती अपनी पास रखी है
17:23और ये सुनकर नयं तारा को बहुत गुसा आजाती है
17:27और वो सीधा घर जाकर मा से
17:30अपनी असली परिचाई के बारे में पूछता है
17:33कहो मा, क्या ये सारे बाते सच है, कहो मुझे
17:37हाँ, ये सब कुछ सच है, लेकिन मैं चोड़ी नहीं की
17:42नयं तारा वहाँ एक पल भी नहीं रुकी
17:45और सीधे अपनी असली माता-पिता के पास चली गई
17:49क्या रे, तु इतना बड़ा हो गया है, फिर भी कोई काम नहीं करता
17:54मा बिमार है, कोई चिंता नहीं तुझे
17:56सिर्फ खाता है, घूमता है, और सोता रहता है तु
17:59अब जाये यहाँ से, इतना भासन देने की कोई जरूरत नहीं
18:03जिस दिन तु और तेरी बेहन जनम ली थी, उस दिन तेरी बेहन को मैं नदी किनारे छोड़के आया था
18:09अगर वो हमारे साथ होती, तो हमारा जरूर ख्याल रखता
18:14उस दिन कितनी बार माना की थी, आज समझ आ रहा है ना
18:22लड़की कभी बोज नहीं होती और लड़का हमेसा हीरा नहीं होता
18:30यह सुनने के बाद नयंतरा रोती हुई वहासी चली जाती है
18:35और रस्ते में उसे फिर से वो बुरिया दिखाई दी
18:38क्यों रे देखा ना तुछे कोई प्यार नहीं करता
18:45आज मैं तुछे खाओंगी फिर तेरी ये जवानी खुपसूरती मुझे मिल जाएगी
18:56ये कहते ही वो चूड़ेल की रूप धारन करती है
19:00इधर तरप नयंतरा की पीछा करते हुए उसकी मा मनी माला भी वहां पहुँच चुकी थी
19:07और वो चूड़ेल को देखते ही प्रकीती देवी को सरन करने लगी
19:12और साथ ही साथ आसमान से एक बिजली चूड़ेल की उपर गिरे और तभी चूड़ेल वहां ही मर गई
19:21अब मुझे नदी में वापस लोटना पड़ेगा
19:25क्यों मा आप मुझे इस तरह अकेली चोड़कर पानी में क्यों चेले जाएंगे
19:30प्रकीती देवी ने सर्त रखे थे जिस दिन तुमें असलियत का पता चल जाएगा
19:35उसे दिन तुमें चोड़कर मुझे नदी में लोटना होगा
19:38और आप तो तुम काबिल भी बन चुके हो तुमें कोई तकलिफ नहीं होगी
19:43मैं चलती हूँ
19:45ये कहे के जलपड़ी मनी माला फिर से नदी में वापस चली गई
19:49जरा डूकिये आपके लिए खुस घब्री है
19:52जल्दी से आपका नाम कमेंट में लिख दिजिये
19:55नाम लिख के ये रियो बर्ज चैनल जो सब्सक्राइब करेगा
19:59उसका नाम से नए काटुन वीडियो बनाएंगे
20:02और अभी स्क्रीन के उपर जो वीडियो आ रहा है
20:05इसे क्लिक करके अगले वीडियो में देख सकते है
20:08लाकी ड्रॉओ से किस किस का नाम छुना गया है
20:11जल्द ही क्लिक किजिये
20:13अगले वीडियो में आपका भी नाम हो सकता है

Recommended