वफा के बदले में बेवफाई के नाम देते हुए तोता मैना की कहानी

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वफा के बदले में बेवफाई के नाम देते हुए तोता मैना की कहानी

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00:00नमस्ते सुरुता गण आईए आज हम एक सुन्दर सी कहानी सुनते हैं जिसका नाम है बफा की नाम
00:07रतनगिरी नगर में वीर परताप नाम का एक राजा राज गर्ता था
00:12उस राजन का पुत्र श्याम सुन्दर काफ़ि सुन्दर और बुधिमान था
00:18एक दिन राजमहल में एक सोधागर देपार करने आया
00:23उस सोधागर ने श्याम सुन्दर को एक लड़की की तस्वीर दिखाई
00:28उस तस्वीर को देखकर राजकुमार काफ़ि खुश हुए
00:32पहली ही नजर में राजकुमार को वह लड़की भागई
00:36राजकुमार को ऐसा प्रतीत होने लगा जैसे वह उसे बरसों से जानता है
00:42राजकुमार का दिल तेजी से धरकने लगा
00:46उसे ऐसा लगने लगा था जैसे उसे इस तस्वीर में अंकित लड़की से प्यार हो गया है
00:52राजकुमार ने अधीर होकर सोधागर से पूछा
00:56यह किसकी तस्वीर है महानुभव जिसकी सुन्दर्ता के उजाले ने मेरी आँखों में चकाचोंच पैदा कर दी है
01:03इसे देखकर तो मेरे हिर्दाय में प्रेम की जौला भरप उठी है
01:08अगर इसकी तस्वीर इतनी मोहक है तो वह स्वह चंद्रमा की चांदनी से कम ना होगी
01:15सोधागर राजकुमार की आँखों में चमक देखकर खूस हुआ
01:20यह सुनकर वह सोधागर बोले हे राजकुमार इस इस्तिरी के शमान सुन्दर इस्तिरी साथ दीपों में भी नहीं मिलेगी
01:28इसके सामने चंद्रमा भी शरमाता है इसके नैन कटोडे देखकर मृरीक भी घवडा कर भाग जाते है
01:36इसके मदमाती चाल को देखकर नागिन को अपनी चाल बेहद ब्यर्थ मालूम होती है और इसके कपोले की लालिमा से फूलों को भी शरमाना परता है
01:47राजकुमार सासंमंदर पार कंचनपूरे सहर है जहां के राजा इंद्रमान है यह उनहीं की पुत्री है
01:55सोदागर की यह बात सुनकर राजकुमार ने उस सोदागर को इनाम देकर उहां से बिदा किया वह मन में बिचार करने लगा कि जब तक यह इस्त्री नहीं मिल जाती तक तक जीवन ब्यर्थ है इस इस्त्री को प्राप्त करने के लिए प्रयास करना चाहिए
02:14यह सोचकर राजकुमार ने अपने साही कपरे उतार कर फेक दिये और साधों का रूप धारन करके जंगल की ओर चल परा जब राजा को यह पता चला कि राजकुमार साही ठाट बात छोर कर जंगल में भटकने के लिए जा रहे हैं तो वह सोचने लगे की आखिर राजकुमा
02:44से ऐसी क्या विपती आ गई जो तुम राजमहल छोर कर जंगल की खाक चान्डने के लिए जाना चाहते हो
02:51अपने पिता की बात सुनकर राजकुमार बोला मेरा मन एक सुन्दर इस्तिरी की चाह में भटक रहा है मैं उसी को प्राप्त करने के लिए जा रहा हूँ
03:02राजकुमार स्याम सुन्दर माता पिता के काफ़ी प्रयास करने पर भी नहीं रुका और जैसे ही राजमहल से जाने लगा तो उसकी पतनी उसके पैरों में गिरकर रो पड़ी
03:13लेकिन राजकुमार का कठूर दिल अपनी पतनी के आशों से भी नहीं पिगला और वह जंगल के ओर चल गया
03:21मैना बोली देख तोंते स्याम सुन्दर के शामने कोई बेवफा होगा उसकी प्रिये पतने किस प्रकार बिलाब कर रही थे लेकिन निरदई स्याम को उस पर तनिक भी तरह ना आई
03:33मैना ने कहा अब सुन्दर की बात सुन पाफी दिन यात्रा करने के पहचात राजकुमार संयोग बस एक दिन राजकुमारी जब महल के खिरकी में खरी थी तो उसकी दृष्टी उस योगी बने स्याम सुन्दर पर पड़ी ठीक उसी समय राजकुमार ने भी उधर देखा ज
04:03ये योगी तुम कौन हो और कहां से आये हो देखने में तुम तो मुझे अच्छे लगते हो
04:09चंद्र किरन की बात सुनकर राजकुमार बहुत प्रशन हुआ और कहने लगा
04:15राजकुमारी मुझे तुम्हारी सुंदर्ता यहां खीच लाई हैं
04:19अपना राजमहल माता पिता और अपनी पत्नी को छोड़कर तुम्हारे पहलू में आया हूं
04:25तुम्हें देखकर दिल को शुकून मिलता है यह सुनकर चंद्र किरन ने कहा
04:31योगी तुम्हें मुझे अच्छा लगता है लेकिन मैं डरती हूं कहीं महराज मुझे कैद में न डाल दे
04:38चंद्र किरन की बात सुनकर श्यांसुंदर ने उतर दिया जो होगा देखा जाएगा
04:43अपने दिल किरानी के लिए मैं हर कष्ट सहने के लिए तैयार हूं
04:48श्यांसुंदर की बात सुनकर चंद्र किरन बोली ए योगी मेरे प्रेम में तेरे प्राण का भी खत्रा है
04:55क्योंकि जो भी मुझे से प्रेम करता है मेरे पिता उसको कैद कर लेते हैं
05:00एक ब्यक्ति तो अभी उनकी कैद में पड़ा शर रहा है इसलिए उचित यही है कि तु अपने देश को वापिस चला जा प्रेम में अपना प्राण मत गवा
05:12यह सुनकर श्यांसुंदर ने उतर दिया मैं तुम्हारे बगए एक पल भी नहीं रह सकता राजकुमारी
05:18अगर मेरे प्रती तुम्हारे दिल में जड़ा भी जग़ा है तो मुझे अपने पहलू में आने की इजाज़क दे दू
05:25राजकुमार श्यांसुंदर की बात सुनकर चंडर किरण ने अपने महल से कमनद नीचे डाली और श्यांसुंदर उसके दुआरे महल में प्रवेश कर दिया और अपने भागे को शराहने लगा
05:37तब चंडर किरण उसके गले में बाहें डाल कर कहने लगी मैं तुझे दिलो जान से चाहने लगी हूँ तुने मेरे लिए अपना घरबार और रतं छोड़ा है
05:47मेरे करीब आप एतम मैं तुझे जी भर कर प्यार करना चाहती हूँ लेकिन अपने पिताजी से भैभित हूँ कहीं वह मुझे भी कैद में ना डाल दे
05:57मैंना बोली ए तोते इस तरह दोनों को ऐसो अराम करते करते बहुत दिन बिद के फिर एक बार की बात है कि रात के अंतिल पहर में श्याम सुन्दर जगो करमत के द्वार नीचे उतर रहा था उसी समय एको द्वाल आ गया वह श्याम सुन्दर को चोर समझ कर कहने लगा तु
06:27मुझ गरी पर रहम करो श्याम सुन्दर कोतवाल से चमा याजना करने लगा श्याम सुन्दर के चमा मांगने से भी कोतवाल प्रभावित न हुआ और शिपाहियों को उसे गिरब्तार करने की आज्या देदी और बोला यह बहुत बड़ा बदमास है इसने सारी प्रजा को प
06:57राज के समय यह महल में चोरी करने गया था जब यह उतर कर जा रहा था तो मैंने इशे पकर लिया था
07:07राजा को यह शुनकर क्रोध हाया और उसने श्याम सुन्दर को सक्त सजा का हुकुम दिया
07:13सिपाहे उसे लेकर चले गए जब यह बात चंदर किरन को पता चली की उसके प्रेमी को राजा ने कैद कर लिया है और सक्त सजा की आग्यां दी है तो वह बिहोष होकर गीर पड़ी
07:26जब उसे होष आया तो वह बिलाब करने लगी और कहने लगी मेरे प्रेमी को किस अपराद की सजा दी है महराज ने अगर मेरे प्रिये श्याम सुन्दर को कुछ हो गया तो मैं भी जिवित नहीं रह सकुंगी जिस प्रकार मेरे पिता ने मेरा दिल दुखाया है उसी प्रका
07:57इस पर राजकुमारी चंद्रकीरन ने कहा ए सकी मैं किस प्रकार धीरधरू मुझे प्रिये के बिना कुछ भी अच्छा नहीं लगता मैंना बोली ए तोदे इस प्रकार चंद्रकीरन हर समय राजकुमार श्याम के बिरह में ब्याकुल होकर रोती रहती
08:16अब मैं यहां का किस्सा समाप्त करके राजकुमार श्याम सुंदर की पहली पतनी का हाल कहती हूं शुनू
08:24राणी भी अपने पती के बिरह में बुरी तरह ब्याकुल रहती थी
08:28एक बार की बात है की राणी महल में शो रही थी की अचानक उसने शपना देखा की एक बच्चा राणी से कह रहा था की राणी तेरा पती श्याम सुंदर कंचनपूर में कैद हो गया है
08:42यह सपने देखका राणी एकडम चौक पड़ी और ब्याकुल हो चिला चिला कर रोने लगी रोने की आबाद सुनकर दासिया दोरी हुई आई और कहने लगी राजकुमारी जी क्या हुआ सायद आपने कोई भयानक सपना देखा है
08:58अपनी दासी की यह बचन सुनकर राणी कहने लगी मैं शो रही थी कि एक बच्चे ने आबाद दी और कहा कि तू शो रही है वहाँ तेरे पती कंचनपूर में कैद हो गया है एदासी वह जल्दी आने का बचन दे कर गये थे मगर अभी तक नहीं लोटे ऐसा प्रतीत होता ह
09:28राणी की यह बात सुनकर उसकी दासी बोली आप दिन रात रो रो कर तू शोय को नष्ट कर रही है आपके पती कुसलपूर्वक है और कुसलपूर्वक आ जाएंगे आप चिंता ना करे
09:41दासी ने राणी को बहुत संजाया मगर राणी को समझ में नहीं आया वह आह भर कर बोली ए दासी मैं अपने पती परमेश्वर को तलास करने अवस्थे जाओंगी मेरे महल की रखवाली करना और हुस्यार रहना
09:57यह कहकर राणी ने अपना सारा सिंगारव जेबर उतार दिया और सरीर पर राक मल गर योगन बन गई और हाथ में बीना लेकर जंगल की ओर चल परी मैना बोली ए तोते वह पती की तलास करने चल परी और बहुत दिनों तक सहरों और जंगलों की फाक चानते चानते वह कंच
10:27करने की उसे तो राजा ने चोरी करने के अपराद में कैद कर लिया है यह सुनकर राणी मन ही मन बहुत रोई वह सोचने लगी की अब क्या उपाई करना चाहिए जिससे प्राननात को स्वतंत्र कराया जा शके यह सोचकर उसने लोगों से वहां के राजा के बारे में पू�
10:57बहुत प्रशन हुई क्योंकि गायम विद्या में कोई उसका मुकाबला नहीं कर सकता था
11:03अब राणी ने शहर के प्रमुख अस्थानों पर जाकर गाना प्रारंब कर दिया
11:09थोड़े ही दिनों में वह प्रसिद हो गई एक दिन साम के समय वह किसी उद्ध्यान में
11:15खड़ी भीना हाथ में लिये कोई खूब सूरत गजल गा रही थे
11:19मैना कहने लगी ए तोटे उस जोगन की गजल सुनने के लिए बहुत सारे लोग वहाँ एकत्र हो गए
11:27और सब वहवाह करने लगे राणी ने गजल इतने सुन्दा ढंग से गाई की लोग ठगे से खड़े रह गए
11:35वे लोग गजल को सुनकर बहुत प्रशन हुए और उर्ते उर्ते उसकी प्रसंसा राजा के कानों तक जा पहुंची
11:44राजा ने उसी समय चोवेदार को आग्या देके नगर के उद्यान में जो योगन ठहरी हुई है उसे शम्मान के साथ हमारी सभा में ले आओ
11:55उस चोवेदार ने राणी के पास जाकर हाथ जोर कर कहा महराज ने आपको याद किया है आप मेरे साथ चलिये
12:03यह सुनकर राणी ने कहा ए चोवेदार हमें राजा के दरवार से क्या काम हम तो मन के मौजी है जहां इच्छा होती है वही रहते हैं जिस अस्थान पर मैं आशन जमा कर बैठ जाती हूं मुझे तो वही अस्थान राजदरवार प्रतीद होता है
12:21योगिन की बात सुनकर चोवेदार बोला योगिन जी आपको तो ऐसा घ्यान प्राप्त है कि लाखव राजा महराजा आपकी सेवा में खड़े रहे लेकिन फिर भी यह आपका धर्म है कि जो बैक्ती आपसे हरी गुन सुनना चाहे उसे सुना दो यह सुनकर योगिन चलने
12:51दिया नोकरों ने उसे म्रिक चाल आशन दिया तब राजा ने हाथ जोड कर कहा हे योगिन जी आपका अस्थान कहा है मैं रतनगिरी की रहने वाली हूँ मैं अपनी पिया की तलाज में दरदर भटक रही हूँ योगन ने दुखी स्वर्मे कहा योगिन का यह राग सुनकर �
13:21पाफी निपून थे उसने मधूर कंथ से राजा को एक भखती गीत सुनाया जिसे सुनकर राजा भाव विभोर हो गए वह गीत राजा को बहुत पशंद आया योगिन का यह भजन सुनकर राजा ने कहा योगिन जी मैं तुम्हारा गीत सुनकर बेहत प्रशन हुआ अब त�
13:51आपकी बेटी चंद्रकिरण के प्रेम में फ़स कर यहां आये और आपने उसे कैद कर लिया है मैं उनको मामती हूँ आप उसे छोड़ दीजीए और अपनी बेटी चंद्रकिरण की शादी उनके साथ कर दीजीए राजा बचन बध हो चुका था अतः उसने योगिन की बात
14:21दारी देख किस प्रकार उसने उसको चुड़वाया और अब मैं तुझे स्याम सुन्दर की बेवभाई का हाल चुनाती हूँ जब स्याम सुन्दर की शादी चंद्रकिरण के साथ हूँ गई तो उसने सोंचा की अब अपने देश वापिस चलना चाहिए सस्राल से बहुत सा
14:51जब मेरे माता पिता पूछेंगे की बेटा चंद्रकिरण को तुमने कैसे प्राप्त किया तो मैं उन्हें क्या उतर दूँगा
14:58मेरी पहली पत्णी मेरे जेल जाने और कैद होने का हाल सबको बता देगी और मुझे सरमिंद्गी उठानी परेगी
15:06इसी उल्जन में रात बिती जा रही थी जैसे जैसे सहर पास आता जा रहा था राजकुमार की दिमाग काम करना बंद कर रहा था
15:16उसने सोंचा इसे अच्छा तो यही है इसे मार डालना चाहिए किसी को पता भी नहीं चलेगा कि रानी मुझसे मिली भी थी
15:24सभी को यही लगेगा कि वह योगिन बन कर कहीं भटक रही होगी मन में यह विचार आते ही वह रात के समय अपनी पहली पतनी को जो उस समय सू रही थी तलवार से मार डाला और उसकी लास दवा दी फिर चंद्र किरन को लेकर आगे चल दिया
15:44तब मैना ने तोते से कहा ए तोते राज कुमार चाम सुंदर की बेवफाई और नेरदेता देखकर मेरा हिरदय भटता है और मरदों के नाम से मेरा बदन कापता है तोता बोला ए मैना इसका उत्तर मैं तुछ को देता हूँ
16:01तब मैना ने कहा सबाल जबाव में सारी रात बीट गई है और अब शुबा होने वाली है लेकिन हमारे प्रश्म उत्रों का कोई अंत नहीं है इसलिए उचित यह है कि तुम भी डाना पानी खाओ और मैं भी खा पीलूं फिर शाम के समय इसे विरिक्ष पर आ जाना क्योंकि
16:31तोटा भी डाना पानी की तलास में दिन भर हवा में उड़ता रहा शाम को दोनों फिर अपने अस्थान पर आ गए
16:38मैना के आते ही तोटा ने एक दास्तान सुनाना शुरू कर दी
16:43अगर कहानी पसंद आ रही तो वीडियो को लाइक सेरे वाँ चैनल को सस्क्राइब करिये गा
16:50मिलते हम आप से अपने दूसरे कहानी के साथ तब तक के लिए धन्यवाद जाये

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