केंद्र और राज्य की Funding से Varanasi में बड़े स्तर पर शुरू होगी मखाने की खेती

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पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा किसानों की आय दोगुनी करने का एक लक्ष्य रखा गया था। इसके बाद किसानों में एक नई क्रांति आई अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई योजनाएं लाई जिसका लाभ लेकर उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में किसानों ने वह कर दिखाया जो कभी किसी ने नहीं सोचा। एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत वाराणसी में मखाना की खेती की शुरुआत होगी जिसके लिए वाराणसी के आठ विधानसभा से 25 किसानों को चयनित किया गया है जिनकी ट्रेनिंग दरभंगा के मखाना संस्थान में कराई जाएगी। मखाना कि खेती के लिए वाराणसी के कई तालाबो को चिन्हित किया गया है। तालाब से जुड़े हुए किसानों को चिन्हित किया गया है, जिनको ट्रेनिंग दी जाएगी। 25 किसानों द्वारा 10 हेक्टेयर छेत्रफल से खेती की शुरुआत की जाएगी। 80 हजार प्रति हेक्टेयर की लागत है जिसमें 50% प्रतिशत उद्यान विभाग की तरफ से किसानों को दी जाएगी। मखाना की खेती के लिए केंद्र और राज्य से फंडिंग आ रही है।

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00:00मखाना की खेती प्राया तो आप देखेंगे बिहार में बहुत जादा होती है
00:18मखाना की खेती प्राया तो आप देखेंगे बिहार में बहुत ज़्यादा होती है
00:27और बनारस विशेश तोर से बनारस और आसपास के जिलों के लिए
00:32मखाना की खेती का में उद्देश ये है
00:35अभी तक हम साकभाजी और उद्ध्यान की खेती में लगे हुए थे
00:39लेकिन हमारी जल संरचनाय हैं जो हमारे तालाब हैं
00:43जिनमें हम दो तरीके से कारे भी करते आए हैं
00:46एक तो हम उसमें जल संचयन का काम करते हैं
00:49और जल संरक्षा का काम करते हैं
00:51इसके साथ ही साथ अगर हमें इससे कुछ उतपादन भी प्राप्त होने लगे
00:56तो इससे किसान को आए भी प्राप्त होगी
00:58तो इस उद्देश से मखाना की खेती को हम लोग यहाँ पर शुरू करने जा रहे हैं
01:03जिसमें तालाब के अंदर इस फसल को लगाया जाएगा
01:06और इसमें एकाई लागत 80,000 रुपय प्रती हेक्टेयर की दर से
01:11इसमें 50% अंदान 40,000 रुपय प्रती हेक्टेयर किसानों को हम लोग उद्द्यान विभाग के माध्यम से उपलब्द कराएंगे
01:18तो प्रमुख रोप से अंदान 40,000 प्रती हेक्टेयर है
01:22और इसके साथ ही साथ सबसे बड़ी चीज़ है कि नमोन मेशी केती है
01:26यह नवीन तरीके से यहाँ लोग करने के लिए
01:29तो हमने यहाँ दर्बंगा की इंस्टिूट से भी संपर्क किया हुआ है
01:32और वहाँ पे जो मखाना संस्थान है
01:36वहाँ पे हमारे 25 किसान विविन ब्लाकों से हमने चुन्नित किये हैं
01:40उनको हम भेजेंगे और वहाँ पे वो उसका प्रसिक्षन प्राप्त करेंगे
01:43और प्रसिक्षन प्राप्त करने के बाद फिर यहाँ पर आकर उसकी खेती प्राप्त करेंगे
01:48आपने बिल्कुल सही कहा कि तैयारी क्या है
01:50हमने पहला सबसे पहले चरण में
01:52हमने उन तालाबों का चिन्दांगन किया
01:54जिन तालाबों में हम इसकी खेती कर सकते हैं
01:57और उस तालाब के साथ जुड़े हुए जो क्रिशक हैं
02:00उनका चिंदांगन कर लिया है
02:02तो 25 क्रिशकों को हमने करीब 10 हेक्टियर छेतरपल के लिए चिन्दित किया हुआ है
02:06और इनसे हम ये खेती का प्रारूं करें
02:08देखे एक बड़ी महत्वकांची परियूजना यहां चलती है
02:11एकीकिरित बागवानी विकास मिशन
02:13इसमें केंदर की भी फंडिंग होती है
02:15और हमारे राजी की भी फंडिंग होती है
02:17दोनों लेवल पर फंडिंग है
02:19प्रमुक्त हमारे आराजी लाइन है, सेवापुरी है और हरवुआ
02:25इनको हम लोगों ने अभी चिन्नित किया हुआ
02:27साती साथ काशी विद्यापीट में दो तालाब है ऐसे है
02:31और पिंड्रा में भी है, बड़ा गाउं में भी है
02:33हमने सभी जगे सीखा
02:35और अगले चरण में, चुके भी परथम चरण में हमने चिन्नांकन किया है
02:39और हमने अभी वहाँ पर बात की हुई है, दरबंगा इंस्टिूट से
02:43तो वो 25 किसानों को हम वहाँ भेज रहा है
02:45हमने बहुत प्रमुक्त है
02:47हमने बहुत प्रमुक्त है
02:49पहली बार उद्यान विभाग ने, हार्डि कल्जा डिपार्कमेंट ने
02:53जली ये पौधों पे भी, अभी तो वो फलदार पे ही वो काम करते थे
02:57और सब्दीयों पे, लेकिन जली पौधों पे काम चुरू किया है
03:01जली ये पौधों पे भी, अभी तो वो फलदार पे ही वो काम करते थे
03:05और सब्दीयों पे, लेकिन जली पौधों पे काम चुरू किया है
03:07और मखाना और सिंघारा, दोनों के लिए उन्होंने वो किया है
03:11मखाने को प्रमोट किया जा रहा है
03:13मखाने की मुखतर, जो पैदावार होती है देश का 80-90%
03:17केवल बिहार में होता है
03:19और दर्भंगा आसपास के जो मैथेल इलाका है
03:21वहाँ पे ट्रेनिंग के लिए
03:23हम लोग की पूरी टीम को ये धेजा जाएगा
03:25इसके बाद मार्केटिंग में भी विभाग हम लोग का साइयोग करेगा
03:29देखिए यहां मस से पालन
03:31एक मतलब किया है
03:33मखाने की मुखतर
03:35जो पैदावार होती है
03:37देश का 80-90%
03:39केवल बिहार में होता है
03:41और दर्भंगा आसपास के जो मैथेल इलाका है
03:43यहां मस से पालन एक बड़े उद्योग के रूप में विख्सित हुआ है
03:45पिछले कुछ सालों में
03:47प्रगानमंत्री मस संपता योजना के तहट काफी तालाब बने है
03:49और ये 3-4 महिने का काम है
03:51तो ये एडिशनल इंकम होगी
03:53अगर मखाना या सिंगाड़े खेती करते हैं
03:55तो उसमें मछलियों को कोई नुकसान नहीं होगा
03:57फायदा ही उनका होगा
03:59लेकिन ये एक अतरिक आय होगी
04:01और जो प्रगानमंत्री जी का विशन है
04:03किसानों की आय दोगुना करने का
04:05तो दोगुना नहीं चोगुना करने के लिए
04:07ये सब प्रयास जो हो रहे हैं
04:09इससे काफी फायदा मिलेगा किसानों को

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