Har Chhath Vrat Katha 2024: Har Chhat Maiya Ki Katha | हरछठ व्रत कथा | Ekdharm

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हरछठ व्रत कथा: ग्वालिन का प्रसवकाल अत्यंत निकट था। एक ओर वह प्रसव से व्याकुल थी तो दूसरी ओर उसका मन गौ-रस (दूध-दही) बेचने में लगा हुआ था। उसने सोचा कि यदि प्रसव हो गया तो गौ-रस यूं ही पड़ा रह जाएगा। यह सोचकर उसने दूध-दही के घड़े सिर पर रखे और बेचने के लिए चल दी किन्तु कुछ दूर पहुंचने पर उसे असहनीय प्रसव पीड़ा हुई...पूरी कथा जानने के लिए वीडियो देखें..

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