तीर्थंकर भगवान के लक्षण कैसे होते हैं?
तीर्थंकर भगवान की ऐसी क्या शक्ति और समता होती है जिससे जिनके गर्भ से वे जन्म लेते है उस माता को वेदना नहीं होती? तीर्थंकर के लक्षण किसी जीव में किस प्रकार प्रकट होते है?
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00:00पूजि नीरुमा जी के सथ्संग में सुना है
00:22तिर्थंकर वगवान जिसके भी गर्ब में आते हैं उस माता को भी बेदन नहीं होती
00:28तो उनोंकि किया सम्ता होगी
00:32जो माको भी बेदन नहां हो,
00:34और उनका कुन भी साफेद होता है, राल नहीं होता है आम संसारीयों कि जैसे
00:39वो तिर्थंकर गोत्र है जनम से ṻी तिन ग्ण्यान है उनको
00:44मती ज्ञान, सुत्य ज्ञान, उती ज्ञान
00:46और सारी जिन्गी दूसरे को
00:49कल्यान का निमित हो जाए
00:51ऐसी जीवन है उनका
00:53पुर्वभो में यही भावना के थी
00:54इसके वज़े से तो
00:56तिर्थंकर गोत्र उनका बन गया है
00:58तिर्थंकर नाम कर्म कहा जाता है
01:00तो यह सब अपने लक्षन प्रगट हो जाते हैं
01:02दूद ऐसा है, माबाब को दुख नहीं हो जाये
01:05यह सब ज्ञान, तीन ज्ञान तो जनमस्ते रहता है
01:09और संजोगी उनको आगे-आगे
01:12कर्म छुटते जाते हैं
01:13और आगे की दशा मिलते जाते है
01:16वह तो यह कुदरती है वो सब