ज्ञानविधि क्यों लेनी चाहिए? | में कौन हूँ इसकी पहचान किस प्रकार की जा सकती है?

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मैं कौन हूँ इसकी पहचान किस प्रकार की जा सकती है? ज्ञान क्या है? ज्ञानविधि क्या है?
Transcript
00:00जीवन में जो कुछ भी सामने आया, उसका पून्ड रूप से रियलाइजेशन किये बगेर, मनुश्य उसको अपनाता नहीं है।
00:09सब का रियलाइजेशन किया, मात्र सेल्फ का ही रियलाइजेशन नहीं किया है।
00:15अनन्त जन्मों से मैं कौन हूँ, उसकी पहचान ही अटकी हुई है।
00:20इसलिए तो इस भटकन का अन्त नहीं होता, उसकी पहचान कैसे हो।
00:30ग्यान याने क्या है? क्या नाम संजी हुआ?
00:34कोई बोले, संजी बहुत ऐसा आदमी है, वैसा आदमी है, मेरा ये कर दिया, नुक्सान कर दिया।
00:40कुछ ऐसे कुछ बुरे शब्दा है हमारे कान में सुनने में, कि दुख लग जाता है कभी?
00:46लगता है?
00:47हाँ, हम बाहरे खड़े हैं, और भीतर में ये लोग दर्बाजे के अंदर में ये लोग बात कर रहे हैं, संजी हुआ आदमी ऐसा है, वैसा है, तो हमें जरा गुसा भी आजाएगा।
00:57और लाज़ में सुना, ये तो मैंफिस वाला संजी हुआ, ओहो, मैं तो मिसी सेपी जक्सन वाला है, ये तो दुसरा कोई, तो गुसा कितनी देर में चले जाएगा?
01:07ये 103 डिग्री चला गया होगा, तो जीरो हो जाएगा।
01:11सची बात।
01:12तो ये मैं खुद कौन हूँ नहीं जाना, और मैं ही संजी हुआ मानने से कितना दुख होता है,
01:19तो मैं खुद तो संजीव को बोलते हैं, मुझे नहीं, मैं तो आत्मा हूँ, शुद्ध आत्मा, ये सेल्फ रियलाइजेशन हो जाएगा, तो बहुत प्रकार के दुख,
01:28जो रॉंग बिलिफ्स हैं, ये सब छुड़ जाएगे, सचा घ्यान मिलने से ही, तो घ्यान याने खुद कौन है, उसकी समझ प्राप्त करनी है,
01:36ये शरीर में आप नहीं, सुरुवात में बताये, सेपरेट आई और मैं, आई विधाउट माई इस पियर सुल,
01:42मैं संजीव हूँ, मेरा घर है, मेरा पैसा है, मेरा परिवार है, मेरी संपत्य है, मेरी प्राप्टी है, पर सब माई में चले जाता है,
01:51तो आई खुद कौन, मैं संजीव हूँ, पर संजीव तो टेंपररी है, वो भी नाम जन्म होने के बाद देते हैं,
01:58और मरने के बाद ले भी लेते हैं, हमारे साथ तो सब पाप पुन्य का हिसाब आता है,
02:04तो हम खुद कौन हैं हमारे साथ, मैंने देह छोड़ दिया, तो मैं दुसरा जन्म लिया, तो मैं खुद कौन,
02:10तो यह जो नाम देते हैं, उसको ही मैं हूँ मान लिया है, वो रौंग बिलीप है, वो अज्ञानता है,
02:16तो यहां ज्ञान मिलने से मैं खुद कौन हो, मेरे गुण धर्म क्या है, मन वचन का है से मैं कैसे जुदा हूँ, यह सब हमें ज्ञान प्राप्त होता है,
02:25जैसे ए पर, ए पल, बी पर, बैट, बुलाते हैं बच्चों को, उसको ए भी सेडी आ जाएगे, दिरे दिरे बाद में ए पल सिखाते हैं, बैट सिखाते हैं, ए भी सेडी, वर्ड सिखाते हैं, दिरे दिरे संटेंस सिखाते हैं, इसलिए ए भी, ए भी सेडी आत्मा के कल सि�
02:55सेडी आत्मा के कल सिखाते हैं, वर्ड सिखाते हैं, दिरे दिरे बाद में ए भी सेडी आत्मा के कल सिखाते हैं, दिरे बाद में ए भी सेडी आत्मा के कल सिखाते हैं, दिरे बाद में ए भी सेडी आत्मा के कल सिखाते हैं, दिरे बाद में ए भी सेडी आत्मा के कल सिखाते ह
03:25हमारा परिवर्तन नहीं है, गुरू परिवर्तन नहीं है,
03:28और हमारा जो हस्पन, वाइप, माबाब, बच्चे, नौकरी, दन्दा,
03:31अजिटी सब रखने का है, जैसे चश्मे नहीं हम पहनते हैं,
03:36पहले हमको अच्छी तरह नहीं दिखता था,
03:38आंटी है, एक माउसी है, कोई दिखती नहीं बड़ोबर,
03:40चश्मे पर, हो, हो, यह तो आंटी है, सब क्लियर दिखने लगा,
03:44तो एक ज्यान के चश्मे बोले जाते हैं,
03:46हमारे विवार में क्लियर दिखेगा,
03:49पहले वाइप की गलती दिखती थी, अभी खुद की गलती दिखेगी,
03:52वाइप के साथ एजस्मेंट ऐसे हो जाएगा,
03:54एक दुसरे को दुख न होगा,
03:57तो प्रेम वाला जीवन होईगा, यह समझ मिलने से.

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