• last year
After Facebook got rebranded to Meta, the concept 'Metaverse' has been trending every day. But what exactly is Metaverse? What is Mark Zuckerburg trying to do? What all technologies are involved in its creation? Is it really of any use? Does it pose any threats like privacy? Is it a fad? I answer all these questions in this video.

Category

🎵
Music
Transcript
00:00नमस्कार दोस्तों!
00:01Imagine करो आप अपने परिवार से, अपने दोस्तों से मिलते हो.
00:04लेकिन असलियत में नहीं.
00:05बल्कि एक नकली 3D दुनिया में,
00:07जो आर्टिफिशली बनाई गई हैं.
00:09आप इस दुनिया के अंदर घुस्ते हो, अपने कमरे में बैठे-बैठे,
00:12एक special head set या चश्मे लगा कर.
00:15Similarly, आप काम करते हो, पढ़ाई करते हो,
00:18शौपिंग करते हो,
00:19almost वो सारी चीज़े करते हो,
00:20जो आप असली दुनिया में करते हो.
00:22लेकिन आप असली दुनिया में नहीं करते हो,
00:24बलकि इस नकली, आर्टिफिशली बनाई दुनिया में करते हो,
00:27अपने कमरे में बैठे-बैठे,
00:28एक special head set या glasses लगा कर.
00:31सुनकर कैसा लगता है?
00:32थोड़ा depressing सा लगता है न?
00:35अब दोस्तों, ऐसा ही कुछ बताया जा रहा है,
00:37आने वाले टाइम में होगा Metaverse.
00:39जैसे कहा जाता है कि एक ऐसी technology होगी,
00:42जो आने वाले टाइम में Internet को replace कर देगी,
00:45और इंसानियत का future बनेगी.
00:48क्या Metaverse बदल देगा, Internet की दुनिया?
01:10Metaverse शब्द दो शब्दों से बनता है.
01:12Meta और Verse.
01:13Meta जो शब्द है, ये ग्रीक से आया है,
01:16ये एक prefix है, जिसका basically मतलब है beyond, परे.
01:19और Verse जो है, वो Universe से ही लिया गया है.
01:22हमारा एक Universe होता है,
01:24और ये एक Metaverse होगा,
01:26जो अपने Universe के परे होगा.
01:28वैसे इसी से ही related आपको एक और शब्द सुना सुना सा लग रहा होगा,
01:31Multiverse, जो Spider-Man की लेटेश्ट फिल्म में भी बताया गया था.
01:35Multiverse एक ऐसा concept है,
01:37कि असल में बहुत सारे Universes exist करते हैं.
01:40ये एक ऐसी चीज़ है, जिसे Scientifically भी discuss किया जाता है.
01:43अब कहने को तो इंटरनेट भी अपनी ही एक दुनिया है,
01:45लेकिन इंटरनेट पर जब आप जाते हो,
01:47तो आप हमेशा 2 Dimensions में ही जाते हो, mostly.
01:50अपने Phone का इस्तिमाल करते हो,
01:52या Computer का इस्तिमाल करते हो,
01:53ये 2 Dimensional screens हैं.
01:56जसे कि आगर आप एक कोई फिल्म देखते हो,
01:58आप फिल्म बैठे-बैठे ऐसेские नहीं देखते रें,
02:01कि डूर से फिल्म देख रेहो,
02:02बलकि आप Film के अंडर कि अगर आप मुझे भेजते हो,
02:05और वर्षिया भी आता है,
02:07अपने फोन का इस्तिमाल करते हो या कंप्यूटर का इस्तिमाल करते हो, ये टू-डामेंशनल स्क्रीन्स हैं.
02:12लेकिन जब मेटावर्स की बात करी जाती है, मेटावर्स एक ऐसी दुनिया है जिसके अंदर आप पूरा अंदर घुस जा सकते हो थ्री डामेंशनस में.
02:19जैसे की अगर आप कोई फिल्म देखते हो, आप फिल्म बैठे-बैठे ऐसे नहीं देखे रहे हो कि दूर से फिल्म देख रहे हो.
02:24बलकि आप फिल्म के अंदर घुस जाते हो.
02:26Maan lo, done die march hote hue dekha rahe ho.
02:28आप सिर्फ उसको फोटो में नहीं देख रहे हो.
02:29सिर्फ डांडी म nostalgican वीडियोन नहीं देख रहे हो.
02:31बल की आप पास वाली राह में बैठ कर
02:34actually आप डाindeer march també धेख रहा हो.
02:36या फिर क्रिकेट का कोई मैच आप देखते हो टेलेविजिन पर, टू-डामेंशन्स में हैं,
02:40लेकिन टेकनिकली अगर हम वर्चॉल रियालिटी का इस्तिमाल करें,
02:43तो आप 360 डिग्री चारो तरफ आप अपने आसपास क्रिकेट मैच होते हो देख सकते हो,
02:48और ऐसी फिलिंग बनाने की कोशिश करी जा सकती है कि मान लो आप असली में ही मैच देख रहे हो।
02:52इस मेटावर्शब का अक्शली में पहली बार इस्तिमाल किया गया था साल 1992 में,
02:57एक साइंस फिक्षन किताब स्नो क्रैश में,
02:59जो कि नील श्टीफिनसन ने लिखी थी, इस नौवल में ये बात करते हैं एक डिस्टोपियन दुनिया की,
03:05एक ऐसी दुनिया जहांपर असली जिंदगी पूरी तभा हो चुकी है,
03:08बाहर की दुनिया जीने लाइक नहीं बची इंसानों के लिए,
03:11तो हर कोई अपने कमरों में, अपनी बिल्डिंगों के अंदर घुसकर रहता है,
03:14एक वर्चूल रियालिटी में जिंदगी बिताता है,
03:17तो उसी वर्चूल रियालिटी के लिए, आर्टिफिशल दुनिया के लिए,
03:20इन्होंने मेटावर शब्द का इस्तिमाल किया था.
03:22इसके बाद एक गेम भी आया था, साल 2003 में सेकंड लाइफ करके,
03:26जहाँपर आप कम्प्यूटर में इस गेम को खेल सकते थे,
03:28और कम्प्यूटर के अंदर अपनी एक दूसरी जिंदगी बना सकते थे.
03:31लोगों से मिलना, वर्चुली आइटम्स को खरीदना,
03:34जो अक्शुली में गेम के अंदर प्रापर्टी को खरीदना,
03:37वहाँ पर गुड्स और सर्विसिस को एक्शेंज करना,
03:39और अपने रियलिस्टिक दिखने वाले अवतार्स बनाना.
03:42वैसे इंटरेस्टिंग फैक्ट, यहाँ पर यह जो अवतार शब्द है,
03:45इसे भी पहली बार पॉपिलराइस किया था,
03:48यही स्नो क्रैश की 1992 वाली नौवल ने.
03:51अक्शुली में तो यह शब्द हिंदी या संस्कृत से आता है अवतार,
03:54जब हम कहते हैं कि कोई कहाणी में यह इनसान किसी भगवान का अवतार है,
03:59सिमिलरली यहाँ पर अवतार शब्द का इस्तिमाल किया गया,
04:01यह जो वर्चूल रियालिटी के अंदर कैरेक्टर्स हैं,
04:04आप अपने बना सकते हो, वो आपकी अवतार्स बन सकते हैं.
04:07जैसे मार्क जकरबर्ग का यह जो कार्टून हो, यह खुद बना रहे हैं, 3D में,
04:11यह 3D कैरेक्टर मार्क जकरबर्ग का अवतार हैं.
04:14बाकिस दुनिया में इस शब्द और भी ज़्यादा पॉपिलर हो गया था,
04:17जब 2009 में यह अवतार फिल्म आई थी.
04:19अब रीसंटली बात करें तो कई कम्पिनीज हैं,
04:21जिन्होंने अपने वर्चुल वर्ड्स,
04:23मेटावर्स बनाने की कोशिश करी है,
04:25लेकिन फिर से इस शब्द को पॉपिलर किया गया,
04:28फेस्बुक के दुबारा,
04:29जब फेस्बुक ने डिसाइड किया,
04:31कम्पिनी का नाम ही बदल कर मेटा कर देगें,
04:33कहा कि हम मेटावर्स को अडॉप्ट करना चाहते हैं,
04:37हम एक सोशल मीडिया कम्पिनी से मेटावर्स कम्पिनी
04:39बनना चाहते हैं,
04:40और मार्क जकरबर्ग ने अपने शब्दों में
04:42कुछ इस तरीके से डिफाइन किया मेटावर्स को.
04:57अब मार्क का बस चलता तो यह कहता है कि
04:59खाना-खाना और टॉलेट जाना भी मेटावर्स में कर लो,
05:01क्योंकि जितना ज़्यादा आप मेटावर्स में रहोगे,
05:04उसना ज़्यादा यह डेटा आपके उपर कलेक्ट कर पाएंगे,
05:06और उतना यह ज़्यादा फिर पैसे कमा पाएंगे.
05:08वैसे इसकी बात वीडियो में आगे करते हैं,
05:10इसके क्या नुकसान हो सकते है,
05:12क्या यहाँ पर खत्रा है.
05:14इसलिए देखते हैं कि मेटावर्स अक्शुली बनता किस से है?
05:17यहाँ पर कई अलग-अलग टेक्नॉलोगीजीजी हैं,
05:19जो मेटावर्स को अक्शुली में बनाने लग रहे हैं.
05:21पहली है वर्चूल रियालिटी,
05:24लेकिन इसे इस्तिमाल करने के लिए,
05:26आपको बड़े भारी भरकम से हेड़ सेट्स पहनने पढ़ते हैं.
05:29जिनको अगर आपने आदे गंटे से जादा लगा कर रखा,
05:32तो सिर्फ में दर्द होने लग जाता है,
05:33मोशन सिकनेस हो जाती है.
05:34कई लोग ऐसा कहते हैं.
05:53उमीद ये भी लगाई जा रही है,
05:54कि ये जो बड़े बड़े भारी भरकम हेड़ सेट्स हैं,
05:56आने वाले टाइम में,
05:57टेकनॉलोगी इतनी इंप्रूव हो जाएगी,
05:59कि ये और पतले होते जायें, छोटे होते जायें,
06:01और एवेंचुली,
06:02एक आम चश्मे के साइस के बन जायें.
06:05इन्हें पहनना उतारना उतना ही आसान हो जाए,
06:07जितना एक चश्मे को पहनना और उतारना होता है.
06:09क्या एक्शुली में ऐसा हो भी पाएगा,
06:11ये तो टाइम ही बताएगा.
06:12दूसरी टेकनॉलोगी यहाँ पर है,
06:14AR की,
06:16इसका मतलब है कि हमारी असली दुनिया के साथ
06:18कुछ आर्टिफिशल एलिमेंट्स मिक्स किये जाएंगे.
06:20यहाँ पर सब कुछ वर्चूल रियालिटी नहीं होगी.
06:22इसका एक बढ़िया एक्जांपल है,
06:24पोकेमोन गो स्मार्टफोन गेम.
06:26जब स्मार्टफोन के जरीए अपने पीछे की असली दुनिया देख सकते हो,
06:29लेकिन जब स्मार्टफोन के थुर देखते हो,
06:31तो आपको उसमें आर्टिफिशल पोकेमोन्स दिखाई देते हैं.
06:33जोकि ऐसा लगता है कि आपकी असली दुनिया के साथ
06:37एक और अच्छा एक्जांपल इसका है, एक टाइम पर गूगल ग्लास जो आया था.
06:41याद है आपको, एक ऐसा प्रॉड़क जो कब आया, कब चला गया, किसी को पता ही नहीं चला.
06:45लेकिन गूगल ग्लास, 2013-14 के टाइम, बहुत बड़ी हाइप बना था.
06:49ऐसे ग्लासिस जेने पहन कर आप असली दुनिया में कुछ वर्चूल एलिमेंट्स आड़ कर सकते हो.
06:54आप जब सामने सडक पर देखोगे, तो आपको साइड में, कोने में उन ग्लासिस के जरिये मैप दिखाई दे सकता है.
07:00किसी से बात कर सकते हो, सामने देखते देखते, सामने चलते चलते, इसको बहुत क्रिटिसाइज भी किया गया था.
07:06इन फैक्ट, इस चीज का इतना मजाग बनाया गया था कि इवेंचुली ये गूगल ग्लास बहुत बड़ा फ्लॉप रहा.
07:10इसके एलाभा, मेटवर्स में 5G टेकनॉलॉजी की भी बात करी जाती है, क्योंकि अगर हमें इतनी बड़ी वर्चूल दुनिया बनानी है, तो कॉंस्टेंटली बहुत सारा डेटा अपलोड, डाउनलोड करते रहना पड़ेगा, जिसके लिए बहुत ही हाई इंटरनेट स्
07:41और क्यूंकि कॉंस्टेंटली बहुत सारी ट्रांजाक्शन्स करी जाएंगी, उन्हें सेक्योर रखना पड़ेगा
07:45इसके लावा, अगर आपको इस मेटावर्स में कोई जमीन खरीदनी है, या प्रॉपटी खरीदनी है, या कुछ भी एसेट खरीदना है मेटावर्स के अंदर, ये कैसे किया जाएगा?
07:52कहा जाता है कि ये किया जाएगा NFT's के दुबरा, Non-Fungible Tokens. NFT को आप एक तरीके का टोकन समझ लो, जो ब्लॉकचेन पर रहता है, और किसी भी डिजिटल ऐसेट की ओनरशिप प्रूफ कर सकता है.
08:12एक कॉंसर्ट की टिकेट को वेरिफाइ करने के लिए भी NFT's का इस्तिमाल किया जा सकता है, अगर कोई वर्चॉली मेटावर्स के अंदर कॉंसर्ट करने लग रहा है. वैसे ये एक ऐसी चीज़ है, जो उनरशिप खरीदने के लिए, बेचने के लिए, एक कॉंस
08:42के लिए कुछ सिंगर्स कर चुके हैं, वर्चॉल रियालिटी कॉंसर्ट, जिसमें वो एक डिजिटल स्टेज में जाकर खड़े होते हैं, गाना गाते हैं, और आप उनको ये एनिमेटिट फिगर्स की तरह हिलते हो, देखते हो, गाने सुनते हो उनके, बापर भी इसका इस
09:12खड़ बर एस्टिमेट करते हैं, कम से कम 5-10 साल का समय लगेगा कि मेटवर्स के जो की फीचर्स हैं, वो मेंस्ट्रीम का हिस्सा बन पाएं.
09:19कई और एक्सपर्ट्स का मानना है कि अक्शुली में कई दशक लग जाएंगे इससे पहले कि ये मेटवर्स जैसी चीज इतनी पॉपिलर बन पाएं कि मेजौरिटी लोग इसको इसतिमाल कर रहे हैं।
09:29बहुत से लोग यहाँ पर मानते हैं कि मेटवर्स तो इन एविटेबल हैं, मतलब ये तो होना ही होना है, इंटरनेट के बाद अगली बड़ी चीज ये मेटवर्स ही होगा, लेकिन एक क्रिटिकल सवाल यहाँ पर उठता है, क्या ये मेटवर्स सक्सेस्फुल भी हो पाए�
09:59इसे दिखाते हुए कि ये कितने कूल हैं, लेकिन इवेंचुली ये गूगल ग्लास फ्लॉप हो गए, कई रीजन्स इसके भीचे बताये जाते हैं, उनमेंसे एक रीजन था कि इनकी बैटरी लाइफ सिर्फ तीन गंटे की होती थी, दिखने में ये बड़े अजीब से थे,
10:30कि ये गूगल ग्लास फेल क्यूं होए, क्यूंकि इनमें कोई भी ऐसा फीचर नहीं था, जिसकी लोगों को जरूरत हो,
10:36मतलब हाँ, दिखाने के लिए काफी कूल लग रहा था ये, कि देखो ऐसी टेक्नॉलजी एकजिस्ट करती है, और जिन लोगे पास ये थे,
10:42वो बड़े शो अफ करके दिखा सकते थे, देखो ये ग्लास ये कर सकता है, वो कर सकता है, लेकिन अक्शिली में रियल लाइफ यूज ना के बराबर था इसका,
10:50जो आप गूगल ग्लास में कर सकते थे, वो साब आप अपने स्मार्टफॉन पर भी कर सकते थे, और स्मार्टफॉन पर और अच्छे से कर सकते थे उनी चीज़ों को,
10:57मैप्स देखना हुआ, या फिर वीडियो कॉल पर बात करना हुआ, अब ये चश्मे पहन कर, यहाँ कोने कोने से में कर सकते हो आप करने को, लेकिन क्यों ना फॉन निकाला पॉकेट से और उससे ही करने लग गए, तो बेसिकली कोई यूज केस नहीं बना गूगल ग्लास का
11:28इससे अच्छा तो फॉन निकालो अपना और जैसे नॉर्मली वीडियो कॉल करते हैं वो कर लो, वो करना ज्यादा असान नहीं
11:34यहाँ पर इसकी इतनी बड़ी तैयारी कौन करें
11:36सेम चीज अगर दोस्तों से मिलना हुआ, अच्छली में तो रियल लाइफ में तो मिली सकते हो, लेकिन अगर वर्च्यॉली भी मिलना चाहो, तो वीडियो कॉल कर लो उनसे या मेसेजिंग भी बात कर लो
11:44यहाँ इस special 3D दुनिया में आगर क्या एक्स्ट्रा मिल रहा है आप?
11:48जो टेकनोलोजी सबसे ज्यादा पॉपिलर होती है लोगों में, वो सबसे ज्यादा आसान भी होती है यूज़ करनी
11:54और एक clear benefit प्रोवाइड करती है यूजर को
11:57अगर ऐसा नहीं होगा तो बड़ा मुश्किल है कि एक टेकनोलोजी main stream बन पाएगी
12:02इसका एक और example है 3D glasses एक time होता था जब 3D बिलकुल नया trend बन गया था
12:08कि हर फिल्म जो आ रही है वो 3D मिक्चर आने लग रही है आज के दिन भी बहुत 3D पिक्चरें आती हैं
12:12लेकिन मैं उस टाइम की बात कर रहा हूँ जब 3D टीवी भड़े popular हो गए थे
12:15कि भाई अब तो घर में भी हम अपने एक 3D टीवी लगवाएंगे
12:19सुनकर बड़ा कूल लगता है कि देखो मेरे घर में तो 3D टीवी लगा है लेकिन
12:22रियलिस्टिकली कितना जझजट है कि हम आपर हमेशा गलासिस लगाओ टीवी देखने के लिए भी
12:28कोई इतना जझजट नहीं लेना चाहता. चीजों को simple रखना चाहिए
12:31चीजें वही successful होंगी जो simple होंगी
12:33अगर आपके पास ज़्यादा simple option यह है कि आपको टीवी देखना है तो बस टीवी ओन करो देख लो तो 3D को भूल जाओ गया
12:39उपर से 3D गलासिस पहनके थोड़ा सा ज्यादा आई स्ट्रेइन और जो थोड़ा सा ज्यादा हेडेक होता है
12:44वो भी काफी लोगों के लिए unacceptable है
12:47यही reason है कि actually में 3D movies की popularity भी गिरती जा रही है सिनेमा में
12:51वापस से लोग prefer करने लग गए हैं 2D movies को देखना
12:55क्योंकि कोई इतना additional benefit नहीं है 3D movies देखकर
12:58और जो glasses के साथ बंधे रहने की feeling आती है
13:00जो आखो पर strain आता है वो worth it नहीं है
13:02उस additional advantage के लिए जो थोड़ा सा ज्यादा 3D दिखता है
13:07दूसरा point of criticism शैर यहाँ पर इस से भी बड़ा है
13:09क्या हम सही में असली जिंदगी से इतना जुदा होकर रहना चाते हैं
13:13कि हम असली में जीना ही भूल जाएं
13:16हम अपनी पूरी जिंदगी इस fake artificial दुनिया में ही बिता दें
13:20अगर यह virtual दुनिया इतनी ज्यादा addictive और इतनी ज्यादा immersive बन जाएंगी
13:24तो लोग कहीं न कहीं असली दुनिया की फिकर करना छोड़ देंगे
13:27जो की एक बहुत ही dystopian चीज है
13:29मतलब बहुत ही depressing चीज है
13:31और जो Snow Crash मैंने किताब बताई थी
13:34वो अक्शुली में एक dystopian नौवल थी
13:36वो कोई inspiration लेने वाली चीज नहीं थी कि हमें ऐसा कुछ बनाना चाहिए
13:39वो Matterverse को कहीं ना कहीं एक negative light में ही दिखला रही थी
13:43तीसरी problem यहाँ पर Facebook और Mark Zuckerberg specific है
13:46यहाँ जो privacy और data चोरी का खतरा है
13:49फेस्बुक पर वैसे ही आपको हर तरीके से track किया जाता है
13:53कि exactly कहां पर आप click कर रहे हो
13:55किस चीज़ पर आप like कर रहे हो, किसे follow कर रहे हो, उसके basis पर आपको similar सी चीज़े दिखाई जाती हैं
14:00जिसकी वज़े से यहाँ पर एक bubbles create होते हैं
14:03कि आप अपनी दुनिया में ही रहते हो, जिन चीज़ों को आप पसंद करते हो, सिर्फ वही चीज़े दिखाई जाती हैं
14:07जिसकी वज़े से eventually होता क्या है?
14:09जैसा मैंने facebook वाले वीडियो में बताया था
14:11असली जिंदिगी में हमें दंगे देखने को मिलते हैं
14:14यहाँ पर polarisation होती है लोगों की
14:16left wing, right wing, यह धर्म, वो धर्म, यह political party, वो political party
14:21लोग लड़ने लग जाते हैं
14:22और literally, real life में riots, जो Myanmar में genocide हुआ था
14:26उसका blame काफी हद तक facebook पर डाला गया था
14:29अब क्यूंकि Mark Zuckerberg ही हाँ पर Metaverse को बनाने की बात करते हैं
14:32तो यही चीज़ 10 गुना, 100 गुना से ज़्यादा बढ़ जाएगी
14:35क्यूंकि Metaverse में यह चाहते हैं कि आप काम भी करो, दोस्तों से बात भी करो
14:38आपकी हर movement track करी जाएगी
14:40एक-एक शब्द जो आप कहते हो यह track करेंगे, ad बेचने के लिए आपको
14:44आप जो चीज़े पसंद करते हो, वही चीज़े आपको फिर से दिखाई जाएगी
14:47यही चीज़ आप एक और भी बड़े स्केल पर imagine कर सकते हो, कितनी खतरनाक होगी
14:51उपर से जब एक एसी virtual दुनिया बनाई जा रही है, एक नया universe टाइप का बनाया जा रहा है यहाँ पर
14:57एक company के दुआरा बनाया जा रहा है, सोचकर देखो उस एक universe का मालिक यहाँ पर Mark Zuckerberg बन जाएगा
15:04असली दुनिया में कम से कम कोई ऐसा मालिक नहीं होता, यहाँ पर तो literally,
15:08Metaverse का भगवान बन जाएगा Mark Zuckerberg अगर यह हर चीज पर control रखने लग गया तो
15:13अगर सही माइनों में Metaverse successful हो गया, मतलब मानलो 60% population दुनिया की इसे इस्तिमाल करती है
15:19और हर चीज करने लग गई Metaverse के अंदर, तो सोच कर देखो कितनी पावर होगी उसे एक इंसान के पास,
15:26उसे एक company के पास, जो इस Metaverse के ज्यादतर हिस्से को ओन करके रखती है
15:30यह अपने आप में ही कितनी unethical और भयंकर चीज है
15:33यहाँ पर आपकी क्या राय मेटा वर्स के बारे में? आपको क्या लगता है? आने वाले टाइम में क्या ये popular बनेगा?
15:38नीचे कॉमेट्स में लिखकर बताईए
15:40मेरी personal राय पूछोंगे तो मुझे लगता है कि कुछ technologies होंगी इसकी
15:45जो आने वाले टाइम में definitely popular बनेगी
15:47लेकिन वो अपने अलग-अलग सेक्टर में popular रहेंगी
15:49For example, जो AR की technology है, Augmented Reality
15:53मुझे लगता है इसका बहुत अच्छा use case हो सकता है
15:56engineering में या architecture में या medicine की field में
15:59जहाँपर आपको सही माइनों में 3D का इस्तिमाल करना पड़ता है
16:03और 3D models का इस्तिमाल किया जाना आपके काम को और efficient बनाएगा
16:07और बहतर बनाएगा
16:08especially अगर आप 3D models के राथ interact कर पाए तो
16:11कई बिजनस एरियाज में और काम की एरियाज में मुझे लगता है
16:13इसका सही माइनों में potential है इन टाइप की टेकनॉलॉजीजी का
16:17मिलते हैं अगले वीडियो में बहुत-बहुत धन्यवाद

Recommended