• 4 months ago
Tata Group is considered one of India's most impactful companies not just in terms of how much it contributes to our country's economy, but also in terms of the values established by Jamsetji Tata which are still in place under the leadership of Ratan Tata. It originated in the era when India was in the hands of the Britishers and Independent Indian companies were not normalized. However, despite such hurdles, the strong vision and strategies led Tata to where it is today, and its story is worth listening to. Watch this video and get on a journey with Dhruv Rathee as he takes you back to the history of Tata, & how it shaped India as a nation.

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00:00नमस्कार दोस्तों, अपनी जिन्दिगी के किसी भी हिस्से को उठा कर देख लो
00:03कोई ना कोई टाटा कमपणी का ब्रांड तो ज़रूर बीच में आएगा
00:06जब आप गाड़ी से ट्रावल करते हैं, टाटा मोटर्स, धेर सारी गाड़ियां हैं उनकी
00:11अगर आप फ्लाइट से ट्रावल करते हैं, विस्तारा एरलाइन्स और अब एर इंडिया भी है
00:14अगर आप होटलों में रुखते हैं, ताज होटल्स टाटा के हैं
00:17जो आप कपड़े पहनते हैं, टाटा का फैशन ब्रांड है वेस्ट साइड
00:20जो आप जूलरी पहनते हैं, तनिश टाटा का है
00:23जब आप चाय पीते हैं, टाटा टी
00:25यहाँ तक कि खाने में जो नमख डलता है, टाटा सॉल्ड
00:28इसके लावा टाटा स्टील, टाटा पावर, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसिस
00:32आप यखीन नहीं करोगे दोस्तों
00:33सौसे ज़्यादा कंपनीज हैं टाटा ग्रुप के अंदर
00:36तो कोई हरानी की बात नहीं है कि टाटा आज के दिन
00:38इंडिया के वान अब अपने पहले पहले पहले कंपनीज में से है
00:42लेकिन क्या आप जानते हैं, ये कंपनी रात तो रात इतनी बड़ी नहीं बन गए
00:46इसे 200 साल का समय लगा था, सही जुना आपने, 200 साल
00:50आज के इस वीडियो में दोस्तों आए जानते हैं एंडिया की सबसे पुरानी बिजनस फैमिली की ये दिलचस कहानी
00:56क्या है राज टाटा का
01:16हमारी कहाणी शुरू होती है दोस्तों, साल 1822 में, आज से exactly 200 साल पहले
01:34गुज़रात में गाउं में एक पारसी प्रीस्ट के घर में एक लड़के का जनम होता है
01:39नसरवान जी टाटा, बचपन से ही ये बड़े रेस्टलेस रहे थे, बेचेनी थी ये कुछ बड़ा करने की
01:45कहा जाता है कि अपने गाउं में इकलोते ऐसे आदमी थे जो बड़ा स्टॉंगली फिल करते थे कि मुझे अपने गाउं से बाहर जाकर कुछ करना है
01:52इनका मानना था कि ये इनकी डेस्टिनी है, इसी रीजन से सिरफ 20 साल की उमर पर ये अपना गाउं छोड़कर मुंबय शिफ्ट हो जाते हैं, कोई नया बिजनस शुरू करने की कोशिश करते हैं
02:02आज के दिन भी बहुत से लड़के ऐसा करते हैं, गाउं से शेहर शिफ्ट हो जाते हैं, नए फ्यूचर की तलाश में, लेकिन फर्क ये था कि इनकी अलड़ी एक बीबी थी और बच्चा था
02:10उन जमानों में चाइड मेरेज बड़ी आम बात हुआ करती थी, तो सिर्फ सतरा अठारा साल की उमर पर इनका बच्चा हो गया था
02:16तो ये पूरी फैमिली को लेकर मुंबय शिफ्ट हुए थे और कॉटन ट्रेट्श से काफी आकरशित हुए
02:21देखते ही देखते जल्द ही अपना खुद का कॉटन एकस्पोर्ट का बिजनस चला रह थे
02:25बिजनस से जितना भी पैसा आता, इन्होंने एंशौर किया कि अपने बेटे की एजुकेशन पर खर्च करेंगे
02:30ये कोई कॉंपरमाइज नहीं करना चाथे थे इस चीज़ पर
02:33इसलिए इन्होने अपने बेटे जमसेड जी को बेस्ट एजुकेशन दी
02:37उस वक्त इसका मतलब था इंग्लिश में एजुकेशन देखे
02:40अब नसरवान जी का जो कॉटन बिजनस था वो अच्छा चलने लग रहा था
02:43और कुछ साल बाद जब जमसेड जी 18-19 साल के होए उनकी एजुकेशन खतम होई
02:47तो उनके पिता ने डिसाइट किया कि अब इन्हें बिजनस एक्स्पैंशन के लिए
02:52आज के जमाने में ये चीज बड़ी आम बात लगेगी
02:55कि कोई बिजनसमैन अपने बेटे को दूसरे देश में भेज रहा है बिजनस एक्स्पैंशन के लिए
02:59लेकिन दोस्तों याद रखे ये साल 18-59 था
03:03एयर ट्रैवल इन्वेंट होने में अभी भी 55 साल बाकी थे
03:06उन दिनों में बड़ा ही लंबा जहास से सफर तै करना पड़ता था
03:10तो 18-59 में जमशेद जी जब सिर्फ 20 साल के थे खुद
03:13उनके पिता ने उन्हें इस मिशन पर भेजा कि
03:16हॉंकॉंग में जाकर एक ओफिस सेट अप किया थी
03:18इंटरेस्टिंग ली जमशेद जी भी अकेले नहीं थे
03:20इनकी अलड़ी शादी हो चुकी थी
03:21इनकी एक बीवी थी और एक बच्चा था
03:23तो बिलकुल भी आसान डिसीजन नहीं था ये
03:25अपने पूरे परिवार को लेकर किसी दूसरी कंट्री शिफ्ट हो जाना
03:29वहाँ पर बिजनस करने की कोशिश करना
03:31लेकिन जमशेद जी में भी बहुत उत्सा था
03:33और ये भरपूर तरीके से सक्सेस्ट्वुल हुए
03:3665 साल की अपनी जिंदिगी में
03:37जमशेद जी ने तीन अलग-अलग कॉंटिनेंट्स पर काम किया
03:40इंडिया में धेर सारी नई कॉटन मिल्स खोली उनके मालिग बने
03:43इसके साथ ही साथ इंडिया की पहली स्टील फैक्टरी की कंस्ट्रक्शन शुरू करी
03:48और इंडिया का पहला फाइव स्टार होटल खोला
03:51ये होटल अक्शुली में इंडिया का पहला होटल था
03:53जिसमें इलेक्ट्रिसिटी थी, जिसमें बिजली आती थी
03:56क्या आप गैस कर सकते हो कॉंसा है ये होटल
03:58वीडियो पॉस्ट करके दो सेकिन्ड सोचो
04:00सही जवाब है मुम्बए में दे ताज महल होटल
04:02आज के दिन तक ये इंडिया के एक प्रेस्टीजियस होटल में से आता है
04:06साल 1904 में जब जमशेद जी टाटा का दिहान थुआ
04:09अपने पीछे वो एक ऐसी लेगेसी छोड़ कर गए
04:12जिसे आज तक मैच करना बहुत मुश्किल है
04:14और मैं ये सिर्फ बिजनस के सेंस में नहीं कह रहा हूँ
04:17आज के जमाने में एक प्रॉफ़िटबल बिजनस बनाना तो बड़ी आम बात बन चुकी है
04:21धेरो आपको बिजनसेज ऐसे मिलेंगे जो पैसे के लिए काम करते हैं
04:24लेकिन जमशेद जी ने एक शांदार लेगेसी बनाई प्रिंसिपल्स और एथिक्स की भी
04:28कुछ एक्जामपल से समझाता हूँ
04:30साल 1874 में जमशेद जी ने अपनी पहली कॉटन मिल की फैक्टरी खोली नाकपूर में
04:35ये इनका पहला experience था कॉटन ट्रेड के बिजनस से हट कर
04:39कॉटन प्रोड़क्शन के बिजनस में आने का
04:41जब भी आप कोई नया बिजनस करते हो, नए प्रॉबलम्स encounter करते हो
04:44इन्होंने देखा कि इनकी इस नाकपूर की कॉटन मिल में जो मजदूर काम करने लग रहे हैं
04:48वो बड़े ही आलसी हैं
04:49छोटे-छोटे बहानें देकर वो absent हो जाते हैं
04:53दिन में काम करने ही नहीं आएंगे
04:54और कोई भी एक ऐसा दिन नहीं हुआ, जहांपर 100% attendance देखने को मिली हो सारे मजदूरों की, सारे workers की जो इस मिल में काम कर रहे हैं
05:02अब आम तोर पर कोई boss क्या करता ऐसी situation में?
05:04अपने workers को धंकाता, कहता कि टाइम पर आ जाओ, नहीं तो फायर कर दूँगा तुम्हे, दराता, डाठने का काम करता
05:11लेकिन इन्होंने इसका बिल्कुल उल्टा ही किया
05:13इन्होंने देखा कि कोई तो reason होगा कि इन मजदूर इतने आलसी हो रखे हैं
05:16अगर मुझे इन्हें और motivated बनाना है, तो कोई long term humane solution सोचना पड़ेगा
05:21इन्होंने उनके लिए एक general provident fund बनाया
05:25ये insure करने के लिए, कि retirement के बाद भी इन मजदूरों को pension मिलती रहे
05:30इसके लावा इन्होंने एक insurance scheme start करें
05:32अगर कोई भी accident होता है किसी मजदूर के साथ, तो उसकी medical costs इस accident की बज़े से
05:37कवर करी जाएगी, company के द्वार
05:39इतना ही नहीं, इसके लावा इन्होंने family days रखे, sports days रखे
05:43जिससे कि सारे मजदूर अपनी families को लेकर आयें, एक दूसरे के साथ करीब हुएं
05:46और उनमें एक community की feeling बनें
05:48ये सारी चीज़ें आपको सुनकर लगे हैं कि आज तो बड़ी आम बात है ये
05:51लेकिन याद रखें कि इस जमाने में हो रही थी
05:54बाकिर दुनिया में 1800s के टाइम में working conditions बहुत बुरी हुआ करती थी
05:59इसकी बात मैंने detail में करी थी communism और capitalism वाले वीडियो में
06:02लिंक description में डाल दूँगा ताकि आप बाद में जाकर देख सकते हैं
06:05और कमाल की बात यहाँ पर यह थी कि ये खुद से खर्चा कर रहे थे इन सब चीज़ों का
06:09अच्छा फिर साल 1861 में क्या हुआ? American Civil War की शुरुवात हो गया
06:13Indirect लिए जमशेद जी के business के लिए एक अच्छी ख़बर थी
06:16होता क्या था? England ज्यादधर अपने cotton raw materials को America से import किया करता था
06:21लेकिन क्यूबि Civil War चलने लग रही थी, supply बंद हो चुकी थी
06:24जमशेद जी ने इस मौके का पूरा फायदा उठाया और अपनी तरफ से cotton के rates को डबल कर दिया
06:30क्योंकि England को India से ही cotton import करना पढ़ रहा था
06:33इसी दोरान इन्होंने लंडन में जाकर अपना एक office भी set up किया और काम करने लग गया
06:37चार सालों तक इन्होंने भरपूर profit कमाया, लेकिन चार सालों बाद American Civil War खतम हो गई और America से आने वाली supply वापस चालू हो गए
06:45इसकी वजए से Tata के business पर बहुत असर पढ़ा और वो losses में जाने लग थी
06:49Investors उनके पीछे भागने लगे कि हमें अपना return दो हमने जो पैसे invest की हैं
06:54जमशेद जी यहाँ पर डटे रहे, उन्होंने कहा वो make sure करेंगे कि सारे investors को अपना return मिल, बस थोड़ा time मांगा उनसे
07:00Investors ने उनकी honesty को देखा और उन्हें काम करते रहने दिया
07:04लेकिन investors ने कहा कि जमशेद जी को 20 पाउंड की monthly salary पर काम करना पड़ेगा even थो वो company के मालिक है
07:10बड़ी ही बेसती वाली बात थी यह उनके लिए कि वो company के मालिक होते होते भी अपनी company में ही as a fixed salary employee काम करने लग रहे
07:17लेकिन फिर भी वो डटे रहे यह दिखाता है कि जमशेद जी कितने dedicated थे अपने business को ले और पता है क्या दोस्तों उनके पिता भी ऐसे ही थे
07:25नसरवान जी का cotton वाला business जब अच्छा नहीं चल रहा था investors अपने पैसे वापस मांग रहे थे तो उन्होंने अपना घर बेच दिया था investors की पैसे वापस करने के लिए और दोनों cases में ये decision successful निकला
07:38नसरवान जी और जम्शेद जी दोनोंने अपने business को बचा लिया और साथ में अपनी reputation को भी इससे हमें सीख मिलती है कि अगर आपके अंदर passion dedication और skills हैं तो आपके successful होने के chances कहीं ज्यादा बढ़ जाते हैं
07:51जम्शेद जी के कई सपने थे जो अपने जमाने के लिए revolutionary थे एक hydroelectric power plant खोलना इंडिया में एक world class education institution establish करना एक steel plant खोलना एक ऐसा 5 star hotel बनाना जहांपर किसी भी रंग के लोग जा सके उन जमानों में racism बहुत होता था उनकी lifetime में वो सिरफ एक hotel खोल पाए लेकिन उनके ये बा
08:21की तीन सपने भी हकीकत बनेंगे
08:23साल 1910 तर टाटा का steel plant तयार हो चुका था
08:26और steel production शुरू हो चुकी थी
08:28इसी time के राउंड first world war की शुरुवात होती है
08:31और British empire को सक्त जरूरत पड़ती है steel की
08:34ऐसे में टाटा steel देश का सबसे बड़ा steel supplier बन जाता है
08:38टाटा steel का इस्तेमाल किया जाता है
08:40British tanks को बनाने के लिए
08:41हतियार बनाने के लिए
08:42Railway tracks को बिछाने के लिए
08:44In fact, एक बड़ी famous statement है यहाँ पर
08:46जो एक British politician के दुआरा कही गई थी
08:48first world war में
08:49उन्होंने कहा था
08:50टाटा steel saved us
08:52टाटा steel ने हमें बचा लिया
08:53उनकी steel की quality इतनी अच्छी थी
08:55कि बम भी जब गिरते थे टांक्स पर
08:57वो इन tanks को penetrate नहीं कर पाते थे
08:59और इसके बाद से टाटा steel नाम
09:01और भी ज्यादा popular बन गया
09:03World War I के खतम होने के बाद
09:05Great Britain में एक बड़ी strong reputation
09:07बन चुकी थी टाटा steel की
09:09और साल 1914 तक
09:10टाटा group इतना बड़ा बन चुका था
09:12कि उसके अंदर 14 अलग-अलग companies थी
09:14लेकिन ये तो सिरफ शुरुवात थी
09:16दोराब जी टाटा ने company की activities को
09:18समहाला साल 1938 तक
09:20जिसके बाद उनके एक दूर के कजन
09:22जहांगीर रतन टाटा ने
09:24company को take over कर लिए
09:26अभी तक जो भी कहाणी मैंने आपको बताई
09:28दोस्तो ये इंडिया की कहानी
09:30अपने आप में बहुत लंबी है और दिल्चस्प है
09:32इससे मैंने डीटेल में समझाया है
09:34एर इंडिया वाले वीडियो में
09:36इसका भी लिंक नीचे डिस्क्रिप्षिण में डाल दूँ
09:57साल 1947 में इंडिया को आजाधी मिलती है
10:00उन दिनों सोशिलिजम का जमाना था
10:02हमारे फ्रीडम फाइटर्स जैसे की गांधी जी, भगत सिंग् स्वामी, विवे कानंथ
10:06सब सोशिलिज्ट प्रिंसिपल्स में विश्वास रखते थे
10:09तो जाहिर सी बात थी जब देश को आजाधी मिली
10:11जवाहला नेहरू की एकनोमिक पॉलिसीज भी काफी सोशिलिज्ट थी
10:15उन्होंने फैसला लिया कि देश में जितने भी बड़े-बड़े बिजनसिस और इंस्टिटूशिन्स हैं
10:18उन्हें नैशनलाइस किया जाएगा
10:20सरकार उन्हें हैंडल करेगी
10:22ये कैसा डिसिजन था जो उस जमाने के लिए पॉजिटिव सेंस में ही देखा जाता है
10:25इसकी सोशिलिज्म वाले वीडियो में मैंने बात करी थी
10:27लेकिन टाटास के लिए ये एक बूरी खबर थी
10:48और जि.आ.डी टाटा ने खुशी-खुशी इस औफर को एक्सेप्ट कर लिए
10:51यही रीजन है कि 1970-80's में
10:53एर इंडिया को दुनिया की वान अपने प्रेस्टीजियस एरलाइन्स माना जाता था
10:57इसके लावा जि.आ.डी ने और सेक्टर्स में बिजनस को एक्सपैंड करना शुरू किया
11:011945 में टाटा मोटर्स का सबसे पहला प्रोड़क्ट बनाया गया
11:05पट्रियो पर चलने वाले लोको-मोटिव इंजिन्स
11:081968 में इन्होंने टाटा कंसॉल्टेंसी सर्विसेज यानि TCS की स्थापना करी
11:13जो एलेक्ट्रोनिक डेटा प्रोसेसिंग सर्विसेज प्रोवाइड करती है
11:16आज के दिन TCS देश का सेकंड लारजस्ट इंप्लॉयर है इंडियन रेल्वेज के बाद
11:21इसके लावा कैंसर रीसर्च और ट्रीट्मेंट सेंटर, सॉल्ट का बिजनस, एलेक्ट्रोनिक मैनिफाक्चरिंग,
11:26जे आर्डी टाटा 52 एर्स के लिए चेर्मेन रहे थे टाटा के और इस टाइम के बीच
11:31टाटा ग्रूप के अंडर अब 95 कंपनीज हो चुकी थी
11:34साल 1969 में सरकार ने Monopolies and Restrictive Trade Practices Act पास किया
11:39और इसका सबसे ज्यादा असर टाटा ग्रूप पर ही पड़ा
11:42सरकार का बेसिकली परपस था कि कोई भी कंपनी इतनी बड़ी ना बने कि हर चीज में उसकी मनपली हो जाया
11:47ऐसे रूल्स पास होने के बावजूद भी
11:49JRD टाटा के अंदर टाटा ग्रूप और बड़ा बनता गया
11:53कैसे? इन्होंने क्या किया कि जैसे ऐसे number of subsidiaries बढ़ती जा रही थी टाटा ग्रूप के अंडर
11:57ये टाटा संस की ownership कम करते जा रहे थे उनसे
12:01ऐसा करने से ये नई companies, monopolies नहीं बन रही थी
12:04लेकिन over the course of many years, ये approach actually में बुरा साबित हुआ बिस्नस के लिए
12:09जब और लोगों ने businesses को handle करना शुरू किया टाटा के
12:12तो हमेशा वो successful नहीं हो पाए
12:14For example, इनका electronics business, NELCO, radios manufacture करता था
12:191971 में NELCO का जो market share था वो सिर्फ 2% पर आके गिर चुका था
12:24जबकि एक समय 20% हुआ करता था
12:26अगर specifically NELCO की ही बात करें तो
12:28जमशेद जी टाटा के एक grandson थे, पोते थे
12:32जिन्हें बुलाया गया NELCO को वापस track पर लाने के लिए
12:35और ये इंसान और कोई नहीं बलकि रतन टाटा थे
12:38वैसे तो ये साल 1962 से ही family business पर काम करने लग रहे थे
12:42लेकिन साल 1971 में इन्हें NELCO की assignment दी गए
12:45रतन टाटा ने कहा, radio की manufacturing करना बंद करते हैं
12:49अगर हमें NELCO को revive करना है, तो नई technologies में invest करते हैं
12:53जैसे कि satellite communications
12:55और 3 साल के अंदर अंदर, business turnaround हो गया और
12:581975 तक NELCO का market share वापस 20% पर आ गया था
13:02Unfortunately, इस time के दोरान emergency गोशित करी गई
13:05और इससे NELCO के business पर वापस एक बुरा असर पड़ा
13:08Eventually, उसकी वज़ेसे इससे shutdown होना पड़ा
13:10लेकिन पढ़ा है क्या दोस्तो, कुछ ऐसी ही कहाणी है नाथपूर की
13:13उस cotton mill की जिसे जमशेज जी के दोरा setup किया गया था
13:16Ratan Tata को responsibility दी गई कि उसे revive करें वो
13:19और ये mission भी successful होते होते रहे गए
13:21लेकिन इस point तक आते आते senior management ने देख लिया था
13:24कि Ratan Tata कितने capable है
13:26इसी reason से साल 1991 में उन्हें announced किया गया
13:30as the successor of JRD Tata
13:32और उन्हें बना दिया गया the chairman of Tata Group
13:351991 दोस्तो वही साल था जब इंडिया के finance minister
13:38Manmohan Singh जी ने announced किया था कि
13:40इंडिया liberalize हो रहा है, अपने market को बाकि दुनिया के लिए खोल रहा है
13:44Suddenly, इंडिया ने socialist model को छोड़ा
13:47और capitalist model की तरफ बुढने लगा
13:49कहा जाता है कि उस वक्त इंडिया की economy को बचाने का ये एकलोता तरीका था
13:53Tata Group के perspective से देखा जाया
13:55तो ऐसा होता देखकर
13:56Ratan Tata ने बिलकुल उल्टा किया उसका जो JRD Tata ने किया था
14:01इन्होंने Tata Sons की ownership को बढ़ाना शुरू कर दिया
14:03सारी Tata Group की subsidiaries में
14:05ऐसा इसलिए किया गया
14:06ताकि कोई भी international company अब आकर Tata Group की companies को ना खरीद पर
14:10और ये decision भी इतना successful निकला
14:12कि ना सिर्फ Tata Group बचा रहा इस period में
14:16बलकि Tata Group ने foreign companies को acquire करना शुरू करती
14:19इंग्लेंड में एक Tetley Tea company होती थी
14:21बारा billion dollars में Tata Group ने उसे खरीदा
14:24यूरोप में एक steel giant था chorus करकी
14:26Tata Group ने उसे खरीद लिया
14:28एक वार ऐसी ही interesting कानी है
14:29Jaguar Land Rover कम्पणी की
14:31car manufacturing company UK की थी
14:33लेकिन जब बात करी जा रही थी इस company को
14:35बेच दिया जाए तो
14:37इस company के workers ने कहा
14:39कि हम खुज चाते हैं कि Tata company
14:41हमारी company को take over कर ले
14:43Jaguar Land Rover को 3-4 companies से offers मिले थे
14:45तो इन 3-4 companies में से
14:47इस company के workers ने Tata को चुना
14:49ये एक luxury brand था लेकिन इसका मतलब ये नहीं था
14:51कि Tata अपने grass root level customers को भूल गया था
14:54November 2003 में कहा जाता है कि
14:56रतन टाटा ने एक family को देखा
14:58स्कूटर पर travel करते हुए
15:00चार लोग एक ही स्कूटर पर फस के बैठे हुए थे
15:02बारिश होने लग रही थी
15:04बढ़ाई मुश्किल तरीके से वो किसी तरीके से
15:06manage कर पा रहे थे
15:08टाटा ने टाटा नैनो कार लाउंच करी
15:10और लाउंच करते वर उन्होंने एक कहानी सुना है
15:12टाटा ग्रूप का मानना है कि उनके बिजनेस की
15:14core philosophy है social uplift में
15:16तो वो lower middle class लोगों को
15:18chance देना चाहते थे कि वो अपनी गाड़ी
15:20own कर सके
15:21सिरफ एक लाख रुपए है
15:23दुनिया की सबसे सस्ती गाड़ी
15:25ये एक अलग कहानी है कि इस गाड़ी की
15:27marketing strategy बहुत ही खराब थी
15:29इन्होंने इस तरीके से market किया
15:31कि देखो सबसे सस्ती गाड़ी है
15:33सिरफ एक लाख रुपे की गाड़ी है
15:35जब वो ये चीज़ सुनेंगे
15:37कौन इस गाड़ी को खरीदना चाहेगा
15:39अगर कोई इस गाड़ी को खरीदेगा
15:41तो आसपास के पढोसी लोग क्या बोलेंगे
15:43कि ये देखो ये तो कितने cheap लोग हैं
15:45जो सबसे सस्ती गाड़ी खरीद रहे हैं
15:48लेकिन टाटा का फोकस ब्रांडिंग स्टाटेजीजीज में कभी इतना रहा नहीं
15:51ये चीज़ आप इस फैक्ट में भी देख सकते हैं
15:53कई ऐसे इंस्टिटूशिन्स और बिजनसिस खोले टाटा ने
15:56जो टाटा ने अपने नाम पर नहीं रखे
15:58जैसे कि इंडियन इंस्टिटूशिन्स और जो नागपूर में कॉटन मिल की मैं बात कर रहा था
16:02वो एम्प्रेस मिल था उसका नाम
16:04और ये नाम रखा गया था कुईन विक्टोरिया के कॉरोनेशन को कमेमरेट करने के लिए
16:08टाज होटेल जो ब्रांड है
16:10इसमें भी टाटा का नाम कहीं पर नहीं आता है
16:12और जमशेदपूर जो शहर है जो जमशेद जी टाटा के नाम पर रखा गया है
16:16वो अक्शली में टाटा ने खुद से नहीं रखा था
16:18बलकि जो बृतिश वैसरॉय अफ इंडिया थे उस वक्त के
16:20उन्होंने ये नाम रखा था
16:22तो ये थी बहुत ही दिल्चस्प कहानी दोस्तो टाटा ग्रूप
16:24कर सकते हैं एर एंडिया वाले वीडियो को देखने के लिए
16:28जहां मैंने पूरी कहानी बताई है एर एंडिया की इसी इंट्रेस्टिंग तरीके से
16:32देखते हैं आगले वीडियो में बहुत बहुत धन्यवाद

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