• 4 months ago
Transcript
00:00आ जाओ, बहुँँ इस घर में तुम्हारा सौगत है।
00:07लीला की छार बभुएं घर के अंदर आ जाती हैं।
00:09यह तुम्हारा कम्रा है, तुम्हारा सशुराल एक ही कम्रे का है।
00:13और तुम्हे इस कम्रे में ही है Giving this new room myself.
00:15लीला जैसे ही कमरा कोलती है उस कमरे में कुछ बी नही औता
00:18पूरा कमरा खाली ओता है
00:20ये क्या माझी, खमरे में तो कुछ बी नहीं है
00:23हाँ माझी, हम लोग यहा कहा सोइंगे
00:25तुम इतना सारा समान ले कर आयी हो
00:28डहेज का अपने कमरे मे रखो
00:30तुम्हारे घर से तुम तीनों का बैड आया है। उसे रखवा देती हूँ कमरे में।
00:35लीला अपनी तीन बहुँ के बैड तो उस कमरे में भिजवा देती है।
00:38लेकिन छोटी बहुँ घरीब परिवार से आयी थी। उसके सस्राल से एक तिल्ली भी नहीं आयी थी।
00:44अरे यहां तो चार बैड होने चाहिए थे। यह किसका बैड कम है यहां।
00:55लीला देखती है कि उसकी तीन बहुँ अच्छे अमीर घर से थी। तो सबसे छोटी बहुँ घरीब थी। इसे की चलते वो उसे जादा बात भी नहीं करती है।
01:04तुम तीनों को अगर कोई भी परिशानी हो तो मुझे बता देना।
01:07अब लीला इतना कहकर तो चली जाती है लेकिन गर्मी इतनी थी कि तीनों अमीर घर की बहुँ अपने अपने माई के से सस्राल में गर्मी से बचने के लिए कुछ न कुछ साधन ले कर आई थी।
01:18किसी के पास पंखा होता है तो किसी के पास टेबल फैन होता है तो कोई एसी ले कर आई थी लेकिन वहीं फुल्वा के पास न तो बैड था और नहीं बिस्तर और साथ में गर्मी से बचने के लिए भी उसके पास कुछ भी नहीं था।
01:31गर्मी बहुत है और नीची तो फरश और भी जादा गरम हो रहा है दीदी क्या मैं आपके बिस्तर पर सो सकती हूँ? तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है क्या? अगर तुम मेरे पास होगी तो मैं अपने पती के साथ सोहाग रात कैसे मनाओंगी? हाँ दीदी आपने सही क
02:01गर्मी में जमीन पर पड़ी होती है
02:03बहुत गर्मी लग रही है
02:05आज गर्मी कुछ जादा ही है
02:07आपको गर्मी लग रही है? डूको
02:09मैं कुछ करती हूँ
02:11फुल्वा कमने के आसपास देखती है उसे किताबे दिखाई देती है
02:13उस किताब को उठाकर
02:15पर वो उस किताब से ही अपने पती को हवा करने लगती है
02:17हाथ वाला पंका तो है नहीं
02:19इस किताब से ही हवा हो जाएगी
02:21राहुल सुहाग रात मनाने की जगा सो जाता है
02:23और इदर फुल्वा उसको हवा करते करते
02:25जैसे तैसे सो जाती है
02:27अगले दिन जब सवेरा होता है
02:29तो फुल्वा की तीनों जिठानीया
02:31आराम से बैट पर सो रही होती है
02:33और उठती भी नहीं है
02:53काविया, दिव्या, सुरिश्टी तीनों आराम से सो रही होती है
02:55तो वही फुल्वा अपने कमरे से बाहर निकल आती है
02:57और घर के काम करना शुरू कर देती है
02:59आज तो गर्मी बहुत है
03:01धूप भी कड़े निकली है
03:03फुल्वा सबसे पहले घर की साफ सफाई करती है
03:05और इसके बाद रसुय में जायकर
03:07सबी के लिए खाना बनाने लगती है
03:09घर के सारे काम वो अकेली ही करती है
03:11उसको सारे काम करते हुए देख लीला कहती है
03:13अरे बहु तुम अकेले ही काम कर रही हो
03:15बाकी की तीनों बहु कहा है
03:17वो तीनों कमरे में सो रही है माजी
03:19अभी तक सो रही है
03:21अरे ये क्या बहु अभी तक सो रही हो
03:23चलो उठ जाओ
03:25घर में और भी काम है
03:27तुम्हें देखने चाहिए
03:29माजी आप हमें काम करने के लिए क्यों बोल रही हो
03:31अरे काम करने के लिए इस घर के अंदर फुलवा है
03:33कुछ अपने माई के से लिकर तो आई नहीं है
03:35लिला ये सुनने के बाद कुछ कह नहीं पाती
03:37और छुप चाप कमने से बाहर आ जाती है
03:39यहां फुलवा ने सबी के लिए कुछ कुछ आता यान नहीं करती
03:41तुम्हें एक भार तुम्हें कर तो जाती ही
03:43माजी कर किसी एक बच्चा नहीं जाते हो
03:45अरे काम करनी के लिए इस घर के अंडर फुल्वा है
03:48कुछ अपने माईके से लेकर तो आई नहीं
03:51कमसी कम इसी के चलती उससे काम तो करवा लीजीए
03:54माजी कर्मी बहुत है आप बाहर जाओगी तो दर्वाजा बंद करते हुई जाना
03:59लीला ये सुनने के बाद कुछ कह नहीं पाती और चुपचाब कमरे से बाहर आ जाती है
04:03यहां फुल्वा ने सभी के लिए खाना बना कर रखा होता है
04:22ऐसी ही अब घर के सारे काम फुल्वा करती है और तीनों अमीर बहुँ अपने कमरे में बैड़ पर आराम करती है
04:28देखते देखते कुछ वक्त बीटने लगता है और अब गर्मी और भी जादा बढ़ने लगती है
04:32पूरी पूरी रात फुल्वा को नींद भी नहीं आती
04:36गर्मी इतनी हो रही है कि नींद आती ही नहीं
04:55फुल्वा की तीनों जिठानिया अराम से अपने बैड़ पर सो रही होती है और वो आधी रात तक अपने पती को हवा करती रहती है
05:01उसे अपने सस्राल में आकर बहुत सी परिशानियों को सामना करना पड़ता है
05:05यहां तक कि घर में जो दहेज या फ्रिज था उसमें ठंडा पानी भी नहीं मिलता
05:10माजी मैंने इसमें ठंडा पानी लगाया था अब इसके अंदर ठंडा पानी नहीं है कहाँ चला गया सारा पानी
05:16मुझे नहीं पता बहु वैसे भी यह फ्रिज जो अपने दहेज में लेकर आया है वही इसे अच्छे से इस्तिमाल करता है बाकि घर में कोई इस फ्रिज को हाद भी नहीं लगाता
05:26यह फ्रिज मैं अपने दहेज में लेकर आयी थी और तुमने इसमें पानी लगाया था तो मैंने पी लिया अपने लिए और पानी लगा लो
05:34दिव्या ऐसा कहकर चली जाती है फुल्वा को दिव्या की बात बुरी लगती है लेकिन फिर भी वो नजरंदास कर देती है
05:40राहूल जी अगर हो सके तो एक मिट्टी का मटका ले आना गर्मी में साधारन पानी पिया नहीं जाता मिट्के के मटके में जो पानी होगा वो थोड़ा सही होगा थंडा भी और पीने में भी
05:52नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं �
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07:53इस तरह उस दिन के बाद से दिव्या, काव्या, और स्रिश्टि
07:57दोनों घर के सारे काँब करती हां.. और घर भी समालती हैं
08:00और येही नहीं वो सात के सात फुल्वा की देकरेख भी अच्छे से कर्ती हैं
08:04डो दिन बाद
08:05जब फुल्वा की तब्येर ठीक हो जाती है, तो उसके घर पर वोही आदमी आता है और उससे कहता है
08:11अरे बहुत मुश्किलों से मुझे तुमारा घर मिला है
08:14मैंने जितने भी लोगों की लॉटरी का टिकेट बेचा था, उनमें से किसी की लॉटरी नहीं खुली
08:18मैं एक बार तुमारी लॉटरी देखना चाता हूँ
08:21फुल्वा लॉटरी का टिकेट दिखाती है
08:23अरे मुझारक हो, तुम्हें तुमारी लॉटरी खुल गई है
08:27और तुम्हें बहुत बड़ा फ्लैट मिलेगा, जिसमें बहुत सारे कमरे भी होंगे
08:31और साथ में हर कमरे में एसी लगा होगा
08:34वही तुम तो बहुत किस्मत वाली हो
08:36ये सुनकर घर के सबी लोग बहुत खुश होते हैं और साथ में फुल्वा भी
08:40सुना आपने राहूल जी अब हमारे पास खुद का बहुत बड़ा फ्लैट होगा
08:44और हम उसमें अराम से रहेंगे और इसे के साथ हमारी सुहाग रात भी मनेगी
08:49फुल्वा बहुत खुश होती है और अब फुल्वा पूरे परिवार को अपने लॉटरी में निकले फ्लैट में ले जाती है
08:55यहां सभी के पास अपना अपना खुद का कमरा होता है और उसमें बैड, एसी, सब होता है
09:00अब पूरा परिवार एक साथ खुशी खुशी रहने लगता है और पहली बार फुल्वा की सुहाग रात उसके एसी वाले कमरे में मनती है

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