बहु का गर्मी में एक कमरा __ chaar bahu ka garmi me ek kamra__ hindi kahaniyan__ moral stories..!-(720p)

  • 2 months ago
Transcript
00:00चार बहुँ का गर्मी में एक कम्रा
00:09अरे वाह एक तो चिराग मेरे घर में पहले से था
00:12बाकी के तीन और भगवान ने मुझे नसीब किये हैं
00:15आ जाओ मेरी प्यारी बहुँ
00:17मेरे इस चोटे से घर में तुम्हारा सुआगत है
00:20हीमानी बहु चल
00:22अपनी तीनो देवरानियों की जर्डा आर्ति तो कर
00:24जी मा
00:49अरे रीमा तुम हिमा आपनी कमरे में क्या एसी चलाया हुआ है?
00:55जी हाँ मैंने एसी ही चलाया हुआ है लेकिन जीथानी जी यहाँ खड़ी होकर आप साधा इसकी मज़ी मत लीजिये
01:01मतलब? मुझे कोई मतलब-मतलब नहीं बताना है
01:06डीमा ऐसे बोलती हुई एसी को बंद करके कमरी से बाहर आ गई
01:11हिमानी को ये बेरुखा सा बरताओ काफी अजीव लगा लेकिन उसने उसे नजर अंदास कर दिया ऐसे ही दोपहर के समय
01:18हाँ मिरा तो पेट भर गया अब तो मैं चली अपनी कमरी में थोड़ी सी कूलर की हवा खाने
01:24बहु खा पीकर चल्दी टेबल पर से बरतन भी उठाने होते हैं
01:29मैं जानती हूँ ममी जी
01:31हाँ तो कहा जा रही हो इने समेट कर जाओ
01:36मामी जी जीठानी जी है तो सही इने समेटने के लिए तो मैं मेहनत क्यों करो
01:41जीठानी जी तुमारी जीठानी है क्योंकि कोई नौकरानी नहीं है जो तुम उस बिचारी पर ही गर्मी में सारा लोड डाले रखती हो
01:49मामी जी हम आपकी अमीर बहुए हैं जिन्होंने आपको भरभर कर दहेश दिया है जीठानी जी ने क्या दिया है ना उनकी शकल अच्छी है ना रंग रूप और तो और वो दहेश भी कुछ खास नहीं लाई थी तो घर के काम वही तो करेंगी
02:03उल्टा अपनी सास को ही समझा कर सावित्री अपने कमरे में चली गई तीनों चोटी अमीर बहुएं यही करती थी सारा सारा दिन बेचारी हिमानी ही कामों में लगी रहती थी और तीनों अमीर बहुएं अपने अपने कमरों में कोई एसी चला कर तो कोई कूलर पंके में ही �
02:34पागलों की तरह घर के सारे काम करती रहती थी
02:59हिमानी ऐसे बोलका रसोय में चली गई
03:01गर्मी में पूरी रसोई में भबका हो रहा था
03:03ऐसे में हिमानी ने गैस जलाई और वो खाना बनाने लगी
03:06अह, कितनी गर्मी है
03:09ऐसा लग रहा है जैसे इस रसोई में ही उबल रही हूँ
03:12एक तरफ हिमानी थी जो सारे परिवार के लिए मेहनत कर रही थी
03:15तो वहीं दूसरी तरफ
03:17एकदम सही कहा है तुने
03:20इतनी गर्मी में तो कुछ भी करने का मन नहीं करता
03:23अरे, ये किसने किया?
03:25अचाना की गाईतरी के गमरे का कूलर बंध हो गया
03:27वो कूलर किसी और ने नहीं बलके हिमाने बंध किया था
03:31हिमा के साथ सावितरी और रीमा भी थी
03:33मैं तुसे पाद में बात करती हूँ
03:35माजी, ये आपने क्या किया?
03:37बेशरम, कैसे दान फट रहे थे तेरे फोन पर
03:40चल इधर आओ रसोई में हिमानी के साथ कोई काम देख
03:43मैं, मैं रसोई की इतनी गर्मी में कोई काम नहीं करूँगी
03:47हाँ, गर्मी तो बस तेरे लिए ही है
03:49सरा बड़ी बहूँ को देखो, कैसे बेचारी पूरे दिन कामों में लगी रहती है
03:53और एक तरफ तुम तीनों हो, कि घर के किसी काम को कोई मतलब नहीं
03:57ऐसा नहीं है माजी, हम भी घर की काम करते हैं
04:00बस जेथानी जी ज़रा ज़ादा हाई हल्ला मचाती है
04:03अच्छा, तुम भी काम करती हो
04:05और तुमारी जेथानी हाई हल्ला मचाती है
04:07ठीक है
04:08क्या ठीक है?
04:10आज से तुम तीनों को अपने कम्मों में जाना बंद
04:13क्यों माजी?
04:15अब से तुम तीनों अपनी जेथानी हिमाणी के कम्रे में रहोगी
04:19क्या? लिकिन क्यों माजी?
04:21बस यही मेरा फैसला है
04:23और अगर किसी को इस से दिक्कत है तो बाहर का दर्वाजा यही सामने के तरफ है
04:27हेमा की बात तीनों बहुंएं समझ नहीं पाइँ थी लिकिन उन्हें न चाहते हुए भी उसकी बात को मानना पड़ा
04:33हेमा ने तीनों बहुंओं के कम्रों में ताला लगा दिया और तीनों को हिमाणी के कम्रे में छोड़ दिया
04:37अब रहो यहां
04:39हेमा मुस्कुराती हुई वहाँ से चली गई
04:42यह माजी हमसे चाहती क्या है इन्होंने हमें इस चोटे से कम्रे में क्यू बंद कर दिया है
04:47सही कहा यहां पर तो बैटने का भी मन नहीं कर रहा है
04:51माजी ने कुछ सोचकर ही यह फैसला लिया होगा
04:53आप सभी गर्मी के बारे में जाधा मत सोचिए
04:55अगर आप गर्मी को भुलाकर किसी काम में लग जाएंगी तो आपको यह कम महसूस होगी
05:00तुम तो बोलो हिमद कली कलो जिठानी जी
05:03ये जो भी हुआ है सब कुछ आपकी ही वजसे हुआ है
05:06तीनो देवराणिया अपनी जिठानी पर भढ़कने लगी
05:09लेकिन जिठानी कुछ नहीं बोली
05:11आकर मैं गर्मी से परिशान होकर
05:13तीनो अमीर बहुओंने किसी न किसी काम में ही लगने का फैसला लिया
05:17मैं तो जा रही हूँ थंदे थंदे पानी से बरतं धोनी
05:20मैं भी कोई काम कर लेती हूँ
05:22कम से कम इस गर्मी से तो ध्यान हटेगा
05:24तीनो ही बहुओंने कामों में लगगी
05:26ये देख हेमा काफी खुश हुई
05:28इसी तरह से रात हो गई
05:31वो भी घर पर नहीं आए और
05:50ऐसे बोलकर हेमा अपने कमरे में चली गई
05:52चारो बहुओंने एक कमरे में ही चली गई
05:54जिसमें हिमानी तो सुबा की ठकी हारी बिस्तर पर लेटते ही सो गई
05:57लेकिन तीनो अमीर बहुओंने
06:01मैं कैसे सो
06:02पता नहीं है जिधानी जी कैसे सो गई है
06:04मेरी तो पूरी कमर ही पसीने में तर हो रही है
06:06माजी ने ना जाने क्यूं हमें यहां फसा दिया है
06:09तीनो बहुओं की एसे ही जागते हुए रात कठी और अगली सुबह
06:14हाँ तो कैसी नीन दाई
06:17पूछो मत मा पूरी राद एक जफकी भी नहीं लग पाई
06:20माजी हमें हमारे कमरों में जाने तीजे ना आप हमारे साथ ऐसा क्यूं कर रही हो
06:26जानना चाहती हो कि मैं ऐसा क्यूं कर रही थी तो सुनो इस एक दिन की गर्मी
06:31ने तुम्हें हिला दिया ना ऐसा नहीं है कि गर्मी पढ़ नहीं रही थी
06:35हर रोज यही गर्मी पढ़ती है लेकिन तुम उसे अपने हिसाब में ढाल लेती हो
06:39पर बिचारी तुम्हारी जेथानी करीब है तो वो ऐसा नहीं कर सकती
06:43वो इसी गर्मी में रोजाना भूनती है और इतना ही नहीं इतना सब कुछ हो जाने के बावजूद तुम भी उसके मदद नहीं करती हो
06:49मेरा मकसद तुम्हें एक साथ करके सिर्फ तुम्हें तुम्हारी जेथानी की हारत का अन्धाजा करवाना था
06:55कि बिना किसी कूलर और एसी के काम में लगे हुए ये गर्मी कैसी लगती है
06:59क्योंकि तुम तो घर में कोई काम देखती नहीं थी उपर से अपनी जेथानी को ताने भी देती रहती थी
07:04लेकिन एक दिन उसकी जिंदीगी जीकर तुम्हें कैसा लगा
07:08हेमा की बात सुनका तीनों चोटी बहुओं का सेर शरम से जुग गया
07:11अब उनके पास अपनी सास की बात का कोई जवाब नहीं था
07:38अब तीनों देवराणिया अपनी जेथानी की घर में एहमियत और जगा को समझ चुकी थी
07:42इस दिन के बाद से फिर कभी तीनों बहुओंने अपनी जेथानी को परिशान नहीं किया
07:46अब वो सभी मिल जुलकर सारे काम किया करते थे और खुशी-खुशी रहते थे

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