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नमस्कार
डेली लाइन के इस डिजिटल न्यूज़ प्लेटफॉर्म पर आपका स्वागत है। यह एक ऐसा मंच है जिसकी खबरें पत्रकारिता के वैश्विक मानकों पर खरी उतरती हैं। इसलिए वर्तमान मीडिया के बदलते परिदृश्य में हम विश्वस्नीय जानकारी और निष्पक्ष खबरों के साथ हम आपके साथ जुड़े हैं। बतौर न्यूज़ प्लेटफॉर्म हमारा धर्म है कि हम आपको ऐसी खबरें और जानकारियां उपलब्ध करवाएं जो न सिर्फ पत्रकारिता के मूल्यों खरी उतरें बल्कि देश-दुनिया से लेकर आपके क्षेत्र तक की हर खबर से आपको अपडेट रखें।
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00:00लोकसभा 2024 चुनाओं के दोरान सपा मुख्या अखिलेश यादो ने एक फॉर्मुला दिया
00:13PDA यानि की पिछला, डलित और अलग संख्यक
00:18इस फॉर्मुले की वज़े से समाजवादी पार्टिया यू कहें कि इंडिया गडबंधन को उत्तर प्रदेश में काफी सफलता मिली
00:24और समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाओं के दोरान सबसे बड़ी पार्टी बन कर भी हुआ हुआ हुआ हुआ
00:31लेकिन अब इसी पीडिये फॉर्मुले पर अखिलेश यादों घिर गए हैं
00:35जी आँ पीडिये का जो फॉर्मुला अखिलेश यादों ने दिया अब उसी फॉर्मुले पर वो घिरते हुए दिख रहे हैं
00:41समाजवादी पार्टी ने जिस तरीके से माता परसाद पांड़े को जो विधान सभा की कारवाई आज से शुरू हुई है उसमें नेता प्रतिपक्ष निव्त किया है
00:49इसी को लेकर अखिलेश यादों घिर गए हुए हैं
00:52दर असल एक लंबी बैठक चली और माता परसाद पांड़े का कही नाम नहीं था चर्चा में कि उनको नेता प्रतिपक्ष बनाया जाए
00:59सबसे पहले तीन नामों पर जो चर्चा होई उसमें सबसे उपर शुपाल सिंग यादो थे
01:03उसके बाद इंदरजीत सरोज जो की बहुजन समाज पार्टी के पुराने नेता है और आजकल समाजवादी पार्टी में है
01:08और इसके साती साथ तुफानी सरोज का नाम भी चर्चा में था
01:11लेकिन अखिलेश यादो ने इस बैठक के बाद दस मिनट के अंदर अपने करीबियू के साथ बैठक की और दस मिनट के अंदर माता परसाथ पांडे का नाम फाइनल हो गया
01:20आखिर उस दस मिनट में ऐसा क्या हुआ है ये बाद में बताएंगे
01:23लेकिन माता परसाथ पांडे को नेता प्रतिपक्ष बनाने के बाद आखिर समाजवादी पार्टी क्यों घिर गई
01:28बहुजन समाजवादी पार्टी की मुखिया मायवती ने सीधे तोर पर समाजवादी पार्टी पर इस फैसले के बाद पक्षपात करने का आरोप लगाया है
01:38मायवती का कहना है कि अखिलेश के लिए डलित और अबसंख्यक सिर्फ ओट कर लेने के लिए है
01:44क्योंकि माता परसाथ पांडे चुकी एक ब्रामण चेहरे के तोर पर काफी लंबे समय से समाजवादी पार्टी में रहे हैं
01:49मुलायम सिंग के साथ वो काम कर चुके हैं दो बार विधान सभा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं
01:53पुराने समाजवादी हैं तो जाहिर तोर पर समाजवादी पार्टी के अंदर तो उनके नाम को लेकर किसी तरीके की कोई रार नहीं होगी और नहीं किसी तरीके का मनमुटाओ समाजवादी पार्टी के अंदर नेताओं में होगा
02:05लेकिन विपक्ष अब पुरी तरीके से जिस तरीके सरकार को अब तक घेर रहा था PDA फार्मलो के लेकर अब सत्ता पक्ष भी समाजवादी पार्टी को इसको लेकर घेरने लगा है
02:15केशो परसाद माउर्या जिस पर खिलेश यादो लगतार निशाना साथते रहते जो उत्तरपदेस भाज़पाक के अंदर घटना करम चल रहा था उसको लेकर अब केशो परसाद माउर्या ने भी हमला बोलना सुरू कर दिया है
02:25मायावती ने जिस थरीके से हमला बोला है उसकी चर्चा चारू तरफ हो रही है
02:37क्योंकि दलित वोट जो इस बार गटबंधन के साथ गया या इंडिया ब्लॉग के साथ गया या समाजवादी पार्टी के प्रत्यासी थे उनके पक्ष में पड़ा
02:46तो उससे सबसे जाधा दर्ध मायावती को हुआ क्योंकि दलित वोट बैंक अभी मायावती का उस पर एक आधिकार माना जाता रहा था बाग में उसमें जरूर भारती जंता पार्टी ने सेंड लगाई और उसके बाद भारती जंता पार्टी के पास से इस बार समाजवाद
03:17इसको सिल्सेलिवार तरीके से अगर समजना हो तो अखिलेश यादो जिस तरीके से लोकसवा चुनाओं से लेकर अब तक जिस तरीके से वो राजनीती कर रहे है उसको समजना होगा
03:26अखिलेश यादो ने इस फैसले के लिए चुकी कई बार ये कहा जा रहा था कि अखिलेश यादो जब से लोकसवा चुनाओं जीते हैं और वो लोकसवा के सदर्श्य हुआ हैं
03:35तब से ये सीट खाली चल रही थी और ये माना जा रहा था कि शुपाल यादो चुकी सबसे बरिश्ट हैं और जो है लगातार इससे पहले भी अखिलेश और शुपाल के बीच में टकराओं के कई मामले सामने आ चुके थे और इस बार चुकी शुपाल समजवादी पार्ट
04:05करने का वहीं उसके बाद बात आती है कि फिर नाम चर्चा में था इंदरजीत सरोज का फिर ऐसा क्या हुआ इंदरजीत सरोज जो है जो है उनके नाम पे मूहर नहीं लग पाए तो इसके पीछे तरक ये दिया गया कि इंदरजीत सरोज वो चुकी बहुजन समाज पार्टी
04:35लाकि उनके मुकाबले कई सीनिर लीडर समाजवादी पार्टी में है तो हो सकता था कि वो भी उनको स्विकार ना करें
04:40उनकी बातों को कई बार अंसुना कर दिया जाए तो इस वज़ए से तुफानी सरोज का भी नाम हट गया
04:45फिर उसके बाद ये बैठक ही खत्म हो गए अखिलेश यादो बैठक से निकल गए
04:49लेकिन उसके बाद उन्होंने दस मिनिट के लिए अपने जो करीबी नेतां हैं, करीबी लोग हैं समाजवादी पार्टी के
04:55उस मीटिंग में ना तो शुपाल सिंग यादो मजूद थे और ना ही माता परसाद पांडे
04:59और वहाँ पे चर्चा होई की लगतार जिस तरीके से भारते जंता पार्टी के उपर जो है ब्रामडो कौन देखी का आरोप लग रहा है
05:06कहीं न कहीं उसका फायदा उठाय जाना चाहिए और पीडिये का फार्मुला भी जब अखिलेश यादो या समाजवादी पार्टी की तरफ से दिया गया
05:12तब भी उसमें लगतार आरोप लग रहे थे की अगडो की वहाँ पे कहां बात हो रही है
05:16तो कहीं न कहीं उस नुमाइंदिगी को दिखाने के लिए अखिलेश यादो ने माता प्रसाथ के पांड़े के नाम पे 10 मिनेट के अंदर मुहर लगा दी
05:22और इसके पीछे वजहे भी वाजिब थी क्योंकि माता प्रसाथ पांड़े काफी सीनिर लीडर है जैसा कि मैंने पहले बताया क्यों मुलायम सिंगे साथ राजनिती कर चुके हैं
05:30मुलायम सिंगे सरकारों में भी वो मंतरी रह चुके हैं और साती साथ दो बार वो विधान सबा अध्यक्ष भी रह चुके हैं
05:36कहीं न कहीं 81 साल की उनकी उम्र है और उम्र भी आले आ रही थी लेकिन फिल्हाल खिलेश यादों ने कहा कि माता प्रसाथ पांड़े को ही नेता प्रतिपक्ष बनाया जाए और माता प्रसाथ पांड़े को नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया
05:48लेकिन अब सवाल ये है कि उत्तरपदेश में आने वाले समय में उप्छुनाव हैं और उसके बाद 2027 के विधान सबाद उप्छुनाव की तैयारी करनी है तो ऐसे में जो ये फैसला है इसको लेकर क्या मेसेज जाएगा
05:58तो जाहित और पर काई चर्चा हुई काई जो है राजनितिक विश्लेश को से बात हुई उस दोरान यही निकल कर आया की अभी हाल फिलहाल जो उप्छुनाव होने है उस पे जरूर थोड़ा बहुत जो है अगर भारते जनता पार्टी सकरी होती है बोजन समाज पार्टी क
06:28वो सिर्फ पिछड़े डालित और संखेव को की राजनिति कर रही है अगडो का कोई वहाँ पे रॉल नहीं है या उनके हाँ कोई जगह नहीं है
06:35उसके लिए अखलेश यादों ने ये कदम उठाया और इस कदम के कई फायदे भी हो सकते हैं
06:39अखलेश के इस फायदे नुकसान को अगर तराजू पे तौला जाएगा तो मिला जुला असर जो है इस समय देखने को मिल रहा है हाला कि ये तो जो उपचुनाओं दस सीटों पे होने हैं उसमें पता चलेगा की अखलेश का ये फैसला अखिर कितना कारगर है या फिर जिस
07:10फिलाल आपको ये चर्चा कैसी लगी ये हमें जरूर बताएं
07:12और साती फॉलो करते रहें हमारे डिजिनल प्लेटफॉर्म डिली लाइन को