मूर्तिपूजा का विज्ञान

  • 2 months ago
मुर्तिपूजा का क्या महत्त्व है और उसके पीछे वैज्ञानिक कारण क्या है? क्या हम जिसे मानते है उनको याद करके उनका ध्यान कर सकते है?
Transcript
00:00क्या मूर्ति पूजा करनी चाहिए कि जिसको मांते हैं ईश्ट को उसका ध्यान करना चाहिए?
00:07मूर्ति पूजा हिंदुस्तान का सायंस है.
00:11चोटे से चोटे धर्मों में भी देखो कुछ न कुछ मूर्तिया रखते हैं.
00:15डेविलप्प्रेंट का हिसाबस है.
00:17लास्ट भगवान की मूर्ति वित्राग भगवान.
00:20हाथ, पाव चोड के बेट गए.
00:23वित्राग वो लास्ट मुद्रा, वित्राग मुद्रा लास्ट मूर्ति.
00:26जब तक अमुर्थ भगवान का धर्शन नहीं होता है,
00:29वहां तक मूर्ति छोडना नहीं.
00:32गुरू का ध्यान भी मूर्ति है, और गुरू भी मूर्ति है,
00:36मन्त्रबी मूर्ति है, और करिशन भगवान की मूर्ति होगी,
00:40तो वह भी मूर्ति है.
00:42मूर्ति है, शब्द से लेकर पाव चोड से जितना भी अनुभव में आता है,
00:46सब मूर्तिया है.
00:48अमुर्त भगवान चेतन है, और उसका साक्षातार हो गया,
00:52बाद मैं मूर्ति की आवश्यक्ता नहीं है,
00:55मगर मूर्ति को द्वेश भी नहीं रखेगा,
00:57और खुद जाएगा, दर्शन करेगा व्यवार से,
01:00इतर से अमुर्त भगवान उसको मिल ही गए है,
01:04जब तक अमुर्त नहीं मिले, तब तक मूर्ति नहीं छोड़नी है,
01:07और आपका भी रस्ता बरोबर है,
01:09हमें, हमारे गुरू है,
01:12हमारे जो महाविर भगवान किसी को मांते है,
01:16अपने रदय में धारन कर सकते हो,
01:19उसका हरकत नहीं है,
01:20पर प्रत्यक्स मूर्ति जो होगी, तो उसका द्वेश मत करो,
01:24पूजा का बहिशकार मत करो.
01:48प्रत्यक्स मूर्ति जो होगी, तो उसका द्वेश मत करो.

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