शेन ली की कहानी | Episode 3 | The Legend Of Shen Li | Zhao Li Ying , Lin Geng Xin

  • 2 months ago
In Episode 3 of "The Legend of Shen Li," the intrigue deepens as Shen Li (Zhao Li Ying) and her allies face new challenges. As tensions rise within the palace, Shen Li's loyalty and strategic acumen are put to the test. Lin Geng Xin's character continues to play a pivotal role, with their complex relationship adding layers of drama and emotional depth. This episode is filled with suspense, political maneuvering, and moments of unexpected tenderness, further immersing viewers in the richly woven narrative of ancient China.
Transcript
00:00समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यो
00:30समक्यों समक्यों समक्यो
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06:10अच्छा मैं आ रही हूँ
06:32तुमने मेरे बाल क्यो पकड़े
06:40मुझे बताओ ऐसे ही चलते चलते पानी में कौन गिरता है
06:46पर मैं गलती से गिर गया
06:48मुझे दोश मत दो
06:50तो मैं किसे दोश दू
06:54तुम पानी से ड़ती थी न
06:56मुझे क्यो बचाया
07:00ये आखरी बाद था
07:02अब मैं इंसानी रूप में हूँ
07:04अब मुझे जाना चाहिए
07:06तुम्हारी बहुत मदद कर ली
07:18क्या मैं फिर से मुर्गी बन गयी
07:20क्या बन गयी तुम
07:22चुप रहो
07:24तुम्हारी हसने की हिम्मद
07:26पपसाओगी तो मेरे कपड़े तुम्हे आयेंगी नही
07:28इसलिए ये सब
07:30तुम्हारी सिलाई बुरी है
07:32मैं नहीं बहनने वाली
07:34आओ
07:36चिंता में तुम्हारी सुबह निकल गई
07:38भूँक लगी है
07:40हाँ
07:42रूको जड़ा
08:00ओए
08:02वैसे मैंने तुमसे पूछा नहीं
08:04तुम तो बस एक आम इनसान हूँ
08:06जिसके पार शक्तिया भी नहीं है
08:08लेकिन फिर भी तुम बहुत अच्छे से
08:10गठन बना सकते हो जो इतना आसान नहीं है
08:14तुम हो कौन बता
08:16एक अच्छा आदमी
08:18अगर तुम मुझे से पूछो
08:20तो मुझे तुम अजीब लगते हूँ
08:22तुम्हारा गुशा भी अजीब है
08:24बरताव भी अजीब है
08:26मुझे देखो
08:28मैं एक पक्षी हूँ
08:30जो बात करती है और इनसान में बदल सकती है
08:34हाँ लेकिन तुम बिलकुल भी डरे नहीं
08:48अटकल और भाग्य बताने में
08:50कोई बड़ी बात नहीं है
08:52और नहीं ऐसा सब करके मैं खुश हूँ
08:54मैंने तुमसे नहीं पूछा
08:56क्योंकि मैं नहीं चाहता
08:58यदि भाग्यने अनूमती दी तो हम साथ हो जाएंगे
09:00परना इसका उलटा भी हो सकता है
09:02फिलाल बस इतना जानो कि इससे कुछ खत्रा नहीं है
09:07क्या तुम किसी स्वर्ग के देवता के बतकिस्मस शिष्य हो
09:10जो शिक्षा भुगतने के लिए यही रुप गये
09:13मेरा कोई और मतलब नहीं है
09:15मैं बस साबित करना चाहता हूँ
09:17मैं किसी भी स्वर्ग के देवता का बतकिस्मस शिष्य नहीं हूँ
09:20जो परिक्षन के लिए यहाँ आये थे
09:23यह तुम क्या बोल रहे हो?
09:24साबित करना मतलब?
09:26मांस कहा गया?
09:30मुझे अभी चाहिए
09:32मैंने कहा मुझे दो
09:33मैंने एक रिवाला भी नहीं लिया
09:35मुझ कही के
09:36मैंने कुछ भी नहीं खाया
09:38और तुमने पूरा खतम कर दिया है
09:40बाहर निकालो
09:42मैंने कहा बाहर निकालो
09:43वापस दो
09:45मैंने भी बहुत रूप लगी है
09:48बहुत कुसा है मुझे
09:53आ रहा हूँ
10:05महो दे, राज कुमार ने तमें बुलाया है
10:08मुझे लगता है आप गलत जगाए होगी
10:13देखो हमें कुछ गलत फेमी नहीं होई है
10:15समझे
10:17हमारे साथ चले
10:18मुझे ये सब पसंद नहीं आए
10:23देखो, इस तरह हमारा वदपरबाद मत करो
10:26चलो हमारे साथ
10:36चलो ये क्या कर रहे हो
10:38उठाओ इसको
10:40वही रुप जाओ
10:42तुम कौन हो
10:48पहले ये बताओ कि
10:50तुम कौन हो
10:52और मेरी गुलाम को
10:55हाथ लगाने की हिमद कैसे हुए
10:57क्या तुम्हें अपनी जिन्दगी प्यारी नहीं है
11:02तुम बड़ी गल्ती कर रही हूँ
11:06किंग्शेन सीटी की राजकुमार ने इने
11:08राजदरबार में बुलाने का आधेश दिया है
11:12आप इसमें दखल अंदाजी मत करो
11:14मेरी शका
11:24अगर मेरी गुलाम से मिलना है तो मुझे परवा नहीं कि वो यहाँ का राजा है या स्वर्ग का उसे कहो खुद आके मिले
11:46वैसे मैं कब से तुम्हारा नौकर बन गया हाँ कुछ भी बात करती है
11:54ओए यह क्या है
12:04मैंने पुछा यह क्या है
12:07एक पत्तर
12:09वापस मार खानी है
12:17मुझे लगता है शायद तुमने वो देख लिया
12:21असल में वो एक गथन बनाने का पत्तर है
12:25और वैसे वो यहाँ क्या कर रहा है
12:29वो गथन के ताकद नियंठरीत करता है
12:33तुम क्यों नियंठरीत कर रहे हैं
12:38वो अगर तुमने उसकी शक्ती नियंठरीत नहीं की और पुसन निकाल दिया
12:42तो तुम तुरंद ही मानो रूप में आ जाओगी।
12:47और एक मानो और स्ट्री का ऐसे रहना
12:50शिष्टाचार के विरुद है, इसलिए मैंने ये किया।
12:54मेरा मतलब है, तुम और मैं, पुरुष और स्ट्री, एक ही जगापे
12:59ये सब अच्छा नहीं करता।
13:02और तुमने ये कब बनाया।
13:06कुछ समय पहले।
13:08और वो कब था।
13:13वो तुम, जिस रात आयी।
13:27इसका मतलब, तुमने ये कब बनाया।
13:31इसका मतलब, तुमने ये बहुत पहले ही इंसानी रूप में आ जाना चाहिए।
13:50तुम जानते हैं कि तुमने ये सब करके, मेरा कितना बड़ा अपमान किया है।
13:57नहीं, तुम अच्छा रहता है कि तुम जानते हैं।
14:02और चुक्के से, तुम मेरा मज़ाग बनाया है।
14:07देखा मैं कितना सह सकती हूँ।
14:09अगर आज मैंने तुम्हें नहीं मता, तुम्हें अपने ही नज़ों में गिर जाओं।
14:14इतना सब सहने के बाद, तुम्हें हर उस चीज की कीमत चुकानी पड़ेगी। बाहर निकलो।
14:27मेरा हाथ, बहुत जोर से लगा, मेरा हाथ, मेरा हाथ।
14:39मुझे लगता ये तूट गया है।
14:44ये मत भूलो, मैंने तुम्हें मरने से बचाया है।
14:47गदा, तुम्हें मेरा हाथ क्यों तोड़ा।
14:52क्या ये तूट गया है?
14:55इनसान तो बहुत ही नाज़ुक होते हैं।
14:57मैं मानता हूँ, मैंने पत्तर का इस्तमाल गठन को दबाने के लिए किया।
15:02और इससे तुम्हारा अपमान हुआ है, पर ये सब मैंने जानबूच के नहीं किया।
15:09तुम्हें मेरा हाथ नहीं तोड़ना चाहिए था।
15:13तुम मेरे परती इतनी क्रूर कैसे हो सकती हो?
15:18ये तो पहले से ही बीमार था, मुझे इसके साथ ऐसा नहीं करना चाहिए था सच्माल।
15:31लगता है, ये मरने मल है।
15:34बहुत दर्द हो रहा है, कहीं मैं मर नहीं चाहूँ।
15:43क्या तुम मुझे मूर्ख समझते हो कि मैं तुम्हें इतनी आसानी से मर नहीं दूँगी।
15:50क्या तुम मुझे मूर्ख समझते हो कि मैं तुम्हें इतनी आसानी से मर नहीं दूँगी।
16:10मैं खुद कर लूदा।
16:13क्या तुम दर्द में होने का नाटक कर रहे थे।
16:17नहीं तो, मैं तुम्हारे कारण सचमुझ बहुत दर्द में था।
16:23तो मैं चाहता था अब कोई मेरा दिहान रखे, मेरे देखबाल करे।
16:28अब लगता है मैंने कुछ जादा ही सुच लिया।
16:30तुमने कुछ जादा नहीं सुचा है।
16:32मुझे इतना सताने के बाद, तुम चाहते हूँ कि मैं तुम्हारी मदद करूँ।
16:47एक कारण बताओ कि मैं तुम्हारी जीज़ा माओ।
16:52मज़ार मत करे।
16:55जैसे पुरामास अंदर पड़ा हुआ है।
16:59जड़ा रुखो।
17:00मैं तुम्हारे लिए कुछ बना के लिए गया था।
17:02जड़ा नहीं।
17:04दवाई तयार है।
17:06तुम आराम करो।
17:08मुझे बचा कर तुमने जो मुझे भावा किया है, उसके बदले मैं तुम्हे जानी दे रही हूँ।
17:14इसलिए निकल जा।
17:15इसका मतलब क्या है।
17:16मैंने कहा पहले ठीक हो जाओ।
17:19मेरा सिर।
17:25तुम्हारा तो हाट टूट गया था, तो सरदर्ध कैसे है।
17:28शायद तुम्हे पता नहीं होगा।
17:30मुझे बचपन से ये दिक्कत है।
17:33तो फिर अब तुम्हे आदत हो गयी होगी।
17:35सहलो थोड़ा सा।
17:38लोग सही कहते हैं।
17:39मेरा भाग यही खराब है।
17:41मेरा कोई परिवार नहीं, दोस्त नहीं, यहां तक पड़ोसी भी चले गए।
17:45अब तुम भी जा रही हो।
17:47अमर लोग क्या जाने नश्वर की पीड़ा।
17:50अब में असमर्थ हूँ।
17:52इस तूते हाथ से में पहाड भी नहीं चड पाऊंगा।
17:56और तुम अपने पता नहीं चणाती कहते हैं।
17:58किसी को मेरी खबर कर देना।
17:59कुछ रुपया यहाँ के मेरा शव लेके जाए
18:01तुमारा तो बस हाथ टूटा है
18:03फिर क्या ज़रूरत
18:07अमर लोग क्या जाने नशवर की पीड़ा
18:10अब मैं असमर्थ हूँ
18:12इस तूटे हाथ से
18:13मैं पहाड भी नहीं चड़पाऊंगा
18:15और साथ मैं घर के काम भी नहीं करपाऊंगा
18:18और वो बुरे लोग
18:20अपना बदला लेने फिर से जरूर आएंगे
18:25जाने दो
18:26अब मैं तुम्हें फिर से परिशान नहीं करूँगा
18:30ठीके तुम चली जाओ
18:32मुझे ऐसे हालात में छोड़के
18:34चली जाओ
18:46सिर्फ, तुम्हारे ठीक होने तक रुकूंगे
18:50मुझे पता था
18:52गड़ा, तुम बहुत अच्छी इंसान है
19:00मेरा नाम शेनली है
19:01वापस गड़ा करेंके मत बुलाना
19:04शेनली
19:06पर ये एक लड़की का नाम
19:08बिल्कुल नहीं है
19:09जिंगियो, ये एक आदमी का नाम बिल्कुल नहीं है
19:11एक दुन सही कहा
19:13तुम यांग में युन
19:15मिलकर खुशी से रहेंगे
19:17सपने में
19:18तुम बहुत कमजोर हो
19:20जरुरत नहीं है
19:39जरुरत नहीं है
20:10तुम तीनों निकम में हो
20:11एक आउरत से मार खा के आए
20:14राजकुमार
20:15हमें लगा था हम उस लड़की का सामना कर सकेंगे
20:18मगर उस लड़की ने वो पदक छीना और वो तोड़ दिया
20:21मूर्ख हो तुम
20:22यह देखो
20:53पूशेंग
20:54वो फिलाल काम में व्यस्त है
20:56और वो यहाँ पर नहीं रहते
20:59राजकुमार
21:00वो दोनों विक्ती बहुत गरीब सिती में रहने हैं
21:02और उनके घर के कुछ हालत भी ठीक नहीं है
21:04शायद उन्होंने आज बहुत बुरा बरताव किया
21:07किसी को अच्छी जिन्दगी नहीं चाहिए
21:09अङ्जान और उदार लोग
21:11कभी कभी आसब्भे भी हो सकते है
21:14आप दोनों विक्ती बहुत गरीब सिती में रहने हैं
21:17और उनके घर के कुछ हालत भी ठीक नहीं है
21:19शायद उन्होंने आज बहुत बुरा बरताव किया
21:22ताकि हम अगली चाल चल सके
21:24तब तक फुंछू भी आजाएंगे
21:27अब तुमने सही बात की है
21:29किसी को अच्छी जिन्दगी नहीं चाहिए
21:31अङ्जान और उदार लोग
21:33कभी कभी आसब्भे भी हो सकते है
21:36आप बिल्कुल सही बोल रहे है
21:39कुछ दिनों बाद उन्हें ऐसास होगा
21:41कि आप उन्हें नजर अंदाज कर रहे हो
21:43इसके बाद वो आपके पास जरूर आएंगे
21:50तुम जा सकते हो
21:52फिर मिलेंगे
22:05ये काफी मज़िन आ रहे है
22:08इस तरफ रखो
22:15जड़ा समाल के रखना
22:17दिवार से टकरा कर कहीं तूट न जाए
22:23क्या आप ठीक है?
22:27मेरा सेर
22:38हाँ
22:54यहाँ कैसे रहेगा?
22:57शायद से ये भी जगा ठीक नहीं है
23:00अरे
23:02वो गमला
23:04मेरा गमला
23:05कहा गया होगा?
23:06मेरा प्यार है गमला
23:29यहाँ
23:44मेंने राजकुमारी के साथ गलत किया
23:48ध्याल रखना
23:49उन्होंने महानो के एक शित्र में जाधो का प्रयो क्यों कियों?
23:53अगर किसे को पता चला?
23:59मुफ़ाइं!
24:04उठ गए?
24:06सेनापति शाहिँ भी, आप यहां किसे?
24:09मैं यहां क्यों नी आसकता?
24:12तुम्हें चोट लगने पर मैं आपको पड़ा चाहिए.
24:14और जब नी पर तुम दर से जूज रहे थे, तो मैं तुम पर ध्यान रख रहा था.
24:18अब तुम कहा जा रहे हो?
24:22मैं बाहर जा रहा था.
24:24घूमने के लिए तुम बित्ते कमसोर हो और अब तक ठीक भी नहीं होए.
24:29बैठ जा और यहां आराम करो, बैठ जा.
24:30थोड़ी चाय पी लो, अब ही तुम्हें आराम की सक्चरूरत है.
24:36आपका मेरे पास कोई काम है?
24:41मोफैंग, अगर तुम जानते हो कि राणी साहिबा क्हा है, तो इसे केवल अपने पास ही मत रखना.
24:50मोफ़ेंग, अगर तुम जानते हो कि राणी साहिबा कहा है
24:56तो इसे केवल अपने पास ही मत रखना
25:01सीना पती शैंग भी, मुझे कुछ पता नहीं
25:05अच्छा है तुम नहीं जानते हो
25:14लकडी काट दी है और अलमारी भी साफ कर दी
25:17और तुम्हारे लिए विस्तर भी बना दिया है
25:18और कुछ चाहिए तो बताओ
25:20तुम मेरी मदद ही कर रही हो
25:23तो और भी कुछ काम है
25:25अच्छा, बताओ
25:27कुछ भी हो बताओ
25:29क्योंकि मैंने तुम्हारे हाथ तोडा है
25:32तो मैं पूरी जिम्मेधारी ले गया हूँ
25:34क्या चाहिए तुम्हें?
25:39वो तुमने यहापे गिरे हुए सुखे पत्ते साफ नहीं किये
25:49अच्छा, अभी करती हूँ
25:53अरे रुको
25:55अब क्या हुआ?
25:58एक बात है
25:59यहाँ गिरे हुए सारे सुखे पत्ते
26:02मैं हमेशा ही हाथ से उठाता हूँ
26:18हमेशा इतना दूर क्यों?
26:20मेरे पस अभी बचा ही क्या है?
26:21तुम यहां बिना कुछ किये वस बैठे हुए हूँ
26:25और मुझे और ज़दा खेल नहीं होगी
26:26पिछली बार तो यही किया था
26:31मैं बस कहुँ रहा हूँ
26:33इस बार नहीं किया
26:44मेरे साथ चलो
26:45मेरे साथ चलो
27:07इस पत्ते को
27:09ऐसे रखना चाहिए
27:11कि यह इसलिए
27:12क्योंकि आंग्ड़ी नहीं चाहिए
27:15हमेशा गुच्छे में आते हैं
27:17सिर्फ अकेले नहीं
27:27यह नशवर
27:29मेरी हर बात समझता था
27:30जब मैं अपनी रूप में नहीं थी
27:32और यह हर दरह के आजीब कठन बनाना जानता है
27:35सोचने पर लगता है
27:37यह जो भी कर रहा है
27:38क्या हमारा मिलना बस एक इतफाग है
27:41मुझे देखना चाहिए
27:43कही यह आत्माक शेतर से भेजा हुआ जासूस तो नहीं
27:48खा के देखो
27:53लेकिन तुमने कहा अंगुर अभी तक पके नहीं
28:09काफी मीठ है
28:11खुड़ी खा के देख लो
28:39साल सोला
28:41साथवे महिने का तीसवा दिन
28:43अंगुर के बेड़ ने
28:459,249 अंगुर दिये
28:47और बचे हुए बीज
28:4949,211
28:52साल सोला, आथवे महिने का नववा दिन
28:55अचानक हुई वर्षा ने
28:57तालाब का स्तर 3 इंच तक बड़ाया
28:59ये सब उसने क्यों लिक्के रखा है
29:01क्या उसे इसका कोई फाइदा होगा
29:11आज पाचमा सोल और तीसरा महिन
29:14बिमारी के कारण माबाप गुजर गए
29:16पड़ोसियों के दयालुता का शुक्रिया
29:18उन्होंने ताबुत बनाया
29:19और बहुत दूर एक पहाड़ी के कोने पे उनको दफना दिया
29:22पाँच साल और पाँच महिने बाद
29:24मेरे छोटे भाई को भी यही बिमारी हुई
29:26पड़ोसी दर गए थे
29:28शुक्रिया वह आपे मा और पिताजी का ताबुत था
29:30भाई को भी उनके साथ दफना दिया

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