Dhruv Rathee - Kalpana Chawla | Mystery of NASA Columbia Space Di..

  • 2 months ago
This video delves into the tragic incident of NASA's Columbia Space Shuttle, which disintegrated upon reentering Earth's atmosphere on February 1, 2003, ending the lives of all seven astronauts onboard, including India's Kalpana Chawla. The crew was returning from a two-week mission, and everything appeared normal until communication was suddenly lost. The world watched in shock as the shuttle disintegrated, marking a dark day in space history. It has been 20 years since this disaster, with no similar incidents in space missions since. Join us as we pay tribute to Kalpana Chawla and explore the details of this fateful mission.
Transcript
00:00नवसकार दोस्तों, एक फर्वरी साल 2003 नासा का कॉलंबिया स्पेश शेटर धर्थी पर वापस लॉट रहा था।
00:08इसमें बैठे हैं साथ आश्ट्रनोट्स, जिन मेंसे एक एंडिया के लिए बहुत खास है,
00:13मिशिन स्पेशिलिस्ट कल्पना चावला.
00:15ये सभी आश्ट्रनोट्स दो हफते स्पेश में बिताने के बाद वापस धर्थी पर लॉट रहे हैं,
00:20और इनके परिवार और दोस्त इनका बेस सबरी से इंतिजार कर रहे हैं.
00:24इन सब के लिए ये फ्लाइट बड़ी खास है, लेकिन नासा के लिए ये एक बहुत ही आम रूटीन फ्लाइट है.
00:29क्योंकि स्पेश मिशिन कॉलंबिया प्रोग्राम की ये 28 वी फ्लाइट है.
00:338 बच के 44 मिनट, स्पेश शेटल धर्ती की आट्मॉसफियर में री एंट्री मारता है.
00:38सभी सिस्टम्स ऐस एकस्पेक्टिट काम कर रहे हैं और सब कुछ नॉर्मल लग रहा है.
00:43हैम, इसके साथ नहीं पड़े बोल रहा हैं!
00:49धर्ती पर स्पेश सेंटर में मौझूद हैं कैप्सूल कमीनिकेटर कैपकॉंम चार्ली होबोक.
00:53ये वो इनसान हैं जो सपेश शेटल के साथ कमीनिकेट कर रहे हैं.
00:57कुछ ही मिन्टो बाद चार्ली होबॉग स्पेश शेटल में बैठे आश्ट्रनॉट्स के साथ
01:00टायर प्रेशर की रीडिंग्स को लेकर बात करते हैं।
01:02और कलम्ब्या हॉस्टन, हमें आपका टायर प्रेशर मेंसेजिज़ देते हैं
01:06दूसरी तरफ से मिशेन कमांडर रिक हस्बेंट अपना जवाब दे रहे थे
01:10कि अचानक से लाइन कट हो जाती है।
01:13उनकी तरफ से सिर्फ एक शब्द सुनाई देता है, रॉजर।
01:16और उनका जवाब अधूरा रह जाता है।
01:18चार्ली होबोग दुबारा से कमेनिकेशन बनाने की कोशिश करते हैं, लेकिन दूसरी तरफ से कोई जवाब नहीं।
01:23दस मिनट बीच जाते हैं, कोशिश जारी है, लेकिन दूसरी तरफ से अभी भी कोई जवाब नहीं।
01:29स्पेस सेंटर में मौझूद नासा की ए टीम इस बात से अनजान है कि कॉलम्बिया स्पेस शटल में एक धमाका हो गया है।
01:39कुछ ही मिन्टो बाद केनेडी स्पेस सेंटर पर एक कॉल आती है, ज़रा टीवी ओन करके न्यूस चला।
01:45जमीन पर मौझूद कुछ लोगों ने आस्मान की तरफ देखा और जो पर जो पर देखा थे जो पर भी ज़रूर्ण नहीं नहीं रहे थे।
02:01जमीन पर मौझूद कुछ लोगों ने आस्मान की तरफ देखा तो उन्हें ये दिखाई दे रहा था।
02:17मानो एक कॉमेट सा गिर रहा हो।
02:19चमकीली सी रोश्नी ये दो तुकडों में तूट जाता है और फिर और तुकडों में बिखरने लगता है।
02:24इस चमकीली सी रोश्नी के बिखरे हुए हिस्से दर्धी की तरफ गिर रहे हैं।
02:289 बच के 12 मिनिट टेक्सिस स्टेट में इस पेशिप के तुकडे आस्मान से गिरने लगते हैं।
02:34नासा को अब तक एहसास हो गया था कि यहाँ एक बेहत खतरनाक हाथसा हुआ है।
02:38कुछ घंटो बाद प्रेज़ेडिन्ट जॉर्ज बुश देश को अट्रेस करते हैं।
02:52सातों के सातों आस्ट्रनोट्स मारे जाते हैं और इन मेंसे एक थी 40 साल की इंडियन बॉन अमेरिकन कलपना चावला।
03:00एक ऐसी महिला जिनकी दास्ता पूरे देश के लिए इंस्पिरेशन बन गई।
03:03आए जानते हैं इनकी पूरी कहानी आज के इस वीडियो में।
03:17कलपना चावला का जन सत्रा मार्च 1962 को हर्याना के करनाल शेहर में एक कंजर्विटिफ परिवार में हुआ था।
03:24इनके पेरेंट्स बनारसी लाल चावला और संज्योती चावला पार्टिशन के दौरान पाकिस्तान से इंडिया आये थे।
03:30और कलपना इनकी चोथी और सबसे छोटी संतान थी।
03:34जब इनोंने स्कूल जाना शुरू किया तो कोई फॉर्मली नाम नहीं दिया गया था इनको।
03:38घर पर इनको मोन्टू करके पुकारते थे।
03:48तो जब ज़रूरत पढ़ी तो इनोंने अपना नाम खुद ही चुना।
03:52कलपना जिसका मतलब हो सकता है इमाजिनेशन।
03:55उस वक्त किसी ने कलपना नहीं करी थी कि ये छोटी सी बच्ची आगे जाकर अपनी जिन्दी में क्या कर दिखाएगी।
04:00इनके भाई संजे चावला बताते हैं कि समाज के साथ इनकी जद्दो जहत बच्चपन से ही शुरू हो गई थी।
04:06मैं इन लड़कों को दिखा दूँगी, मैं कोई एवी लड़की नहीं हूँ।
04:09संजे कहते हैं कि एक बहुत ही डिटरमाइंड लड़की थी।
04:121960s का जमाना इमाजिन करो, आज के दिन भी हर्याना में कई जगहाओं पर मेल चाइड को प्रेफरेंस दी जाती है।
04:18उस जमाने में तो क्या होता होगा?
04:20कल्पना चावला को स्पेस में दिल्चस्पी आस्मान में उड़ते हुए प्लेइन्स को देख कर हुई थी।
04:25बच्चपन में अपने पिताजी के साथ लोकल फ्लाइन क्लब में जाती थी और इनके पेरेंट्स ने इनकी इस दिल्चस्पी को नोटिस करना शुरू किये।
04:32लेकिन आगे जाकर जब वो बड़ी हुई तो इनके पिता और इनके प्रोफेसर्स और टीचर्स सभी का यह कहना था कि इस प्रोफेशन को परस्यू मत करो।
04:39लड़कियों के लिए इस करियर पाथ में कुछ नहीं रखा।
04:42संजय चागला बताते हैं कि सब के लिए यह एक बहुत बड़ा शौक था।
04:45सब ने उसे डिसकरेज करने की कुछ करी कि मत करो यह।
04:48लेकिन कलपना को कोई रोक नहीं सका।
04:50पंजाब एंजिनिरिंग कॉलेज से यह एरोनॉर्टिकल एंजिनिरिंग में अपनी बैचलर्स डिक्री कमप्लीट करती हैं।
04:55और उसके बाद चली जाती हैं यह अमेरिका अपनी मास्टर्स डिक्री करने के लिए यूनिवर्सिटी अफ टेकसिस से।
05:01इवन दो इनके पिता इसको लेकर भी डिसप्रूफ कर रहे थे कि बाहर पढ़ने नहीं जाना चाहिए।
05:17आगे चल कर साल 1988 में यह पीछडी भी कर डालती हैं एरोस्पेस एंजिनिरिंग में यूनिवर्सिटी अफ कॉलराडो से।
05:23इनकी उमर करीब 26 साल थी और नासा के एम्स रीसर्च सेंटर में यह काम करने लगती हैं।
05:29इनकी स्पेशलाइजेशन फ्लूइड डाइनेमिक्स एरक्राफ्ट की।
05:33यानि इस चीज़ को स्टडी करना कि जो हवा है वो फ्लूइड की तरहे किस तरीके से फ्लो करती है एरक्राफ्ट के विंगस के राउंड और चारो तरफ से।
05:41इनके बास धेरो पाइलेट के लाइसेंसिस थे।
05:43एरप्लेइन्स, ग्लाइडर्स और सीप्लेइन्स सब उडाना जानती थी।
05:46सल 1991 में ये एमेरिकन सिटिजन बन जाती हैं और 1994 में
05:51नासा चार हजार एपलिकेंट मेंसे 20 लोगों को एस्ट्रेनाट ट्रेनिंग के लिए सेलेक्ट करती हैं
05:55जिन मेंसे एक कलपना चावला भी होती हैं
05:57नवेंबर 1997, 3 साल की ट्रेनिंग के बाद
06:00कलपना अपनी पहली उडान भरती हैं स्पेस में
06:04कॉलंबिया प्रोग्राम के अंडर फ्लाइट STS-87
06:08इस स्पेस शेटल में बैट कर ये 250 से जादा औरबिट्स लगाती हैं धरती के
06:13दो हफते तक स्पेस में रहती हैं
06:15STS का फुल फॉर्म स्पेस ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम
06:18ये उफिशल नाम था नासा के स्पेस शेटल प्रोग्राम का
06:21ये प्रोग्राम चौथा ऐसा प्रोग्राम था जिसमें human space flights होती थी
06:25पहला project Mercury, फिर project Gemini, और फिर सबसे famous वाला Apollo प्रोग्राम
06:30और फिर ये वाला प्रोग्राम, जो साल 1981 में शुरू हुआ
06:34ये इतिहास का सबसे लंबा human space flight प्रोग्राम था, जो 2011 तक चला
06:39यहाँ NASA का focus था re-usability, एक ही space shuttle को बार-बार उपर-नीचे लेकर आय जाए
06:45हर बार नए space shuttles बनाने की ज़रूत ना पड़े
06:47दो main space shuttles थे, जो इस प्रोग्राम में use किये गए
06:50पहला था Challenger और दूसरा Columbia space shuttle
06:53इस Columbia डिजास्टर के बाद Discovery, Atlantis और Endeavour space shuttles भी इस्तिमाल किये गए
06:58जो कि आज के दिन आपको museums में मिल जाएंगे
07:01इन सभी में से Columbia पहला space shuttle था, जो space में गया April 1981 में
07:06डिजास्टर से पहले 27 successful missions ये complete कर चुका था
07:10अब आप यहाँ सोचोगे क्या एक shuttle को इतनी बार use करना safe था
07:14क्या यही कारण तो नहीं है इस डिजास्टर के पीछे
07:17जवाब है नहीं, STS प्रोग्राम को specifically re-usability के लिए ही design किया गया था
07:22हर flight के बाद एक बहुत ही लंबा process होता था
07:25Shuttles को inspect करने का, repair करने का और इने refurbish करने का
07:29Columbia हादसे के बीचे जो actual कारण था वो एक बहुत ही minor reason था
07:32जिसकी बात आगे वीडियो में करते हैं
07:34लेकिन as a concept इस STS प्रोग्राम में कुछ गलत नहीं था
07:38Columbia Space Shuttle की जो 24th flight थी वो Kalpana Chawla की पहली space flight थी
07:43STS-87 इसमें वो mission specialist का काम कर रही थी
07:46Flight में एक robotic arm की वो main operator थी
07:49इस flight में उनका काम था एक robot arm को operate करना है
07:52जो Spartan Satellite को deploy करें
07:54एक ऐसी satellite जिसे भेजा जाएगा सूरच की बाहर की layer को study करने के लिए
07:59लेकिन इस mission के दुरान कुछ ऐसा होता है
08:01इससे उनका confidence थोड़ा हिलसा जाता है
08:031360 किलो की ये satellite out of control चले जाती है और ये उसे retrieve नहीं कर पाती
08:09तीन दिन बाद एक space walk करके इस satellite को वापस लाना पड़ता है
08:13लेकिन बाद में NASA के scientist इन्हें actually में congratulate करते हैं और इनकी तारीफ करते हैं
08:18University of Texas की magazine को वो बताती है
08:22बहुत बड़े senior astronauts ने उन्हें ये कहा था
08:25पता चलता है कि गलती उनकी नहीं थी बलकि shuttle crew में मौझूद किसी और की गलती थी
08:29इस successful mission के चलते Kalpana पहली Indian origin औरद बन जाती है space में जाने वाली
08:34और पहली South Asian American woman भी
08:37उस वक्त के Indian Prime Minister इंदर कुमार गुझराल ने इन्हे congratulate भी किया था
08:52और Kalpana खुद कैसा feel कर रही थी पहली बार space में जाकर
08:56उनका कुछ ऐसा कहना था
08:58जब आप आस्मान की तरफ देखते हो तारो और Galaxies की और
09:02आपको ऐसा महसूस होता है कि आप किसी चोटे से जमीन के तुकडे के हिस्से नहीं हो
09:06बलकि पूरे Solar System, पूरे ब्रह्मान का एक हिस्सा हो
09:09मतलब किसी शेहर, किसी देश या किसी Continent से पहले हम इनसान पूरी धरती और सौर मंडल को बिलॉंग करते हैं
09:17ये फ्लाइट 16 दिन तक चली थी और इसमें कई और Scientific Experiments भी करे गए
09:21जैसे की ये देखा गया कि Microgravity में प्लांट की Reproduction कैसे काम करती है
09:26लेकिन इससे भी ज्यादा दिल्चस्प वो Experiments थे जो इनकी दूसरी और आखरी फ्लाइट में करे गए क्रैश से पहले
09:3216 जन्वरी 2003 सुभाए के 10 बचके 29 मिनित
09:35Columbia Space Shuttle आखरी बार इस धर्ती से रवाना होता है
09:46ये Mission उरिजिनली 2001 के लिए प्लैन किया गया था और 13 बार डिले हुआ
09:51फाइनली 2003 में जाकर Kennedy Space Center से ये लॉंच होता है
09:55Mission STS-107 इसमें टोटल में 7 आश्ट्रिनोट्स थे जिनने लीड कर रहे थे कमांडर Rick Husband
10:01एक पेलोड कमांडर थे Michael Anderson और 3 Mission Specialist थे जिनमें से एक कलपना चावला थी
10:07पाइलेट थे William McCool और Israel Space Agency से एक Elan Ramon भी थे जो पेलोड Specialist थे
10:14इन आश्ट्रिनोट्स का मिशें था 24 घंटे non-stop experiments करना
10:18अब non-stop का मतलब ये नहीं कि बिना सोए बलकि शिफ्ट्स में काम करके ओबियस्ली
10:2216 दिन तक जिस समय स्पेस में रहे इनोंने करीब 80 अलग-अलग experiments किये
10:27Life Sciences, Material Science और Fluid Physics के
10:31कल्पना चावला फोकस कर रही थी Microgravity पर कि कैसे स्पेस में
10:34Combustion होती है, कैसे आग को सप्रेस किया जा सकता है, कैसे
10:38Crystal Growth होती होती है और even Prostate Cancer कैसे Grow करता है स्पेस में
10:42जियादा Details में आ जाते हो ये चीज़ काफ़ी दिल्चस्प थी क्योंकि
10:46धर्ती पर मौझूद Laboratories में जब Cells ग्रोव करते हैं
10:49तो वो Two Dimensional Monolayers में ग्रोव करते हैं, Culture Dishes में
10:53लेकिन Space में Cells Three Dimensions में ग्रोव करते हैं
10:57Spheroids की Shape में
10:59Similar तरीके से हमारी Bodies में Cancer की Tumors भी बनते हैं
11:02तो इस से Tumor Behavior को समझने में काफ़ी मदद मिली
11:05इस Mission में Spacehab नाम की एक Company ने भी NASA के साथ Collaborate किया था
11:09जिसकी मदद से दुनिया भर की Universities, Companies और सरकारी Agencies
11:13Space में अपनी Research कर सकती थी
11:15बिना खुद से Space में जाये
11:17मतलब उनके बिहाफ़ पर ये Astronauts एक्स्टेरिमेंट्स कर रहे थे
11:20In fact, Australia, China, Israel, Japan, USA जैसे देशों के 6 स्फूलों से बच्चों को लिया गया
11:26जो अपने Experiments करवाना चाह रहे थे इन Astronauts से
11:29Spiders, Silkworms, Organic Crystals, मचलियां, मदुमक्हियां, Ants ये सब कैसे React करते हैं Space में
11:37बच्चे जानना चाहते थे और इसको लेकर भी Experiments हो रहे थे
11:41आपको लेकर एक बड़ी इंटरेस्टिंग चीज़ पता चली इन Experiments में
11:44कि जो सुगंद इन फूलों की होती है धर्ती पर, Space में उनकी स्मेल ही बदल जाती है
11:49क्यूंकि Mission के दुरान भी Constantly सारा Data धर्ती पर Transmit किया जा रहा था
11:53तो Approximately 30% जो Data था इन Experiments का उसे Save किया गया और Collect करके ग्राउंड स्टेशिन्स में रखा गया
12:01कुछ Successful Experiments के Videos भी Record किये गए जो बच्चों को वापस भेजे गए
12:05जैसे की चीटीों को लेकर और Crystals को लेकर
12:08लेकिन 40 से ज़्यादा Experiments ऐसे भी थे जिनका कोई Data वापस नहीं मिल पाया इस हादसे की बज़े
12:13हाला कि एक Interesting चीज़ यहाँ पर Roundworms का एक Live Group था
12:17जो इस Disaster को Survive कर गया सिर्फ कुछ Minor Heat Damages के साथ
12:21क्योंकि इन्हें एक Aluminium के Canisters में रखा गया था
12:24और हादसे के बाद जो तूटे होए pieces recover किये गए Space Shuttle के
12:27उनमें 5-6 ऐसे Cans पाये गए
12:29जिनकी Petri Dishes में ये Roundworms जिन्दा थे
12:32आगे चलकर जो Missions हुए जैसे की 2011 में Space Shuttle Endeavour का
12:36STS Program का Second Last Mission हुआ
12:39उसमें इन Roundworms के कुछ Descendants को उसमें भेजा गया
12:44अब आते हैं इस वीडियो के सबसे बड़े सवाल पर
12:46आखिर क्या कारण था इस बड़े हादसे के पीछे
12:49क्या पाइलेट ने कुछ गलती करी?
12:51या फिर किसी और क्रूम मेंबर ने कुछ जल्दबाजी में गलती से कुछ डिसिजन्स ले लिए?
12:55किसी आश्ट्रिनाट की कोई गलती थी?
12:57सच बात यह है दोस्तों कि इन मेंसे कोई भी कारण नहीं था.
13:00कॉलंबिया में मौझूद इन साथ आश्ट्रिनाट मेंसे किसी ने कोई भी गलती नहीं करी थी.
13:04और इन सब को हादसे से कुछ 3-4 मिनित पहले तक
13:08कोई अंदाजा भी नहीं था कि क्या होने वाला है.
13:10इस वीडियो रिकॉर्डिंग को देखिए हादसे से कुछ मिनित पहले की रिकॉर्डिंग है यह.
13:32आश्ट्रिनाट से हसी मजाग कर रहे हैं.
13:34कलपना चावला भी कुछ बात कर रही है.
13:36यह सिर्फ 8 बचके 58 मिनित पर ही था कि यहां बैठे आश्ट्रिनाट को एक इंडिकेशन मिलता है कि सब कुछ जैसा होना चाहिए वैसा हो नहीं रहा है.
13:44कॉलम्बिया के बैक-अप-फ्लाइट सौफ्टवेर ने डिस्प्लेइ पर कुछ मेसेजिस दिखाये.
13:48यह बताने के लिए कि स्पेश शेटल के लेप्ट साइड वाले लैंडिंग गियर के चार पहियों पर प्रेशर लॉस हो गया है.
13:54और यह वार्णी एक मिनित पहले आई थी उस समय से जब कॉलम्बिया ने धरती से सिग्नल खो दिया था.
14:00जमीन पर बैठे कैप कॉम इसी चीज को लेकर कमिनिकेट करने की कोशिश कर रहे थे.
14:04अब कैसा लगेगा अगर मैं कहूं।
14:06हाला कि एस्ट्रिनोट्स को कोई जानकारी नहीं थी इसके बारे में.
14:09लेकिन नासा में कुछ लोग इस प्रॉबलम के बारे में ज़रूर जानते थे.
14:13हादसे से एक दो घंटे पहले नहीं बलकि पूरे 16 दिन पहले.
14:16उनको ये चीज पता थी जिस दिन ये शैटल लॉंच हुई थी.
14:20बात ये है कि कॉलम्बिया की लॉंच के 81 सेकंड बाद
14:23एक फॉम का चोटा सा तुकड़ा,
14:25शैटल से अलग होकर लेफ्ट विंग पर जाकर टकरा गया था.
14:29ये फॉम उनमे से था जिसको यूस किया जा रहा था
14:31कॉलम्बिया की एकस्टेरनल टैंक को में शैटल से कनेक्ट करने के लिए.
14:34ज्यादा बड़ा तुकड़ा नहीं था.
14:36सिरफ 60 सेंटी मीटर लंबा और करीब 40 सेंटी मीटर चोडा था.
14:40इसका वजन सिरफ 750 ग्राम था.
14:42लेकिन ये लेफ्ट विंग पर जा कर इतनी तेजी से टकराया, इतनी तेजी से टकराया,
14:46कि इसकी विलोसिटी उस वक्त एस्टिमेट करी जाती है कि 700 से लेकर 900 किलो मेटर प्रती घंटे के बीच में होगी.
14:53इस चीज के होने के 2-3 दिन बाद,
14:55नासा के कुछ इंजिनियर्स ने STS प्रोग्राम के मैनेजर रॉन डी डिटर मोर को बोला,
15:00कि पिक्चर्स लिये जाएं इस डैमेज को पता करने के लिए, कि यहाँ क्या डैमेज हुआ है स्पेश शेटल को,
15:05अपनी American Spy Satellites का इस्टिमाल कर सकते हैं.
15:08लेकिन इंजिनियर्स ने बताया कि चीफ ने इस request को मना कर दिया था.
15:12यही कारण है कि जब यह चीज बाद में बदा चली,
15:15तो हाँचसे के बाद April 2003 में इन्होंने अपनी position से इस्टिफा दे दिया,
15:19अपनी गलती सुईकार करते हुए.
15:212008 में आई Space Journalist Michael Cabbage और William Hardwood की किताब,
15:25Comcheck ने यह बताया कि,
15:27Department of Defense तयार थी अपने Spy Cameras इस्टिमाल करने के लिए,
15:31लेकिन Officials ने मना कर दिया था.
15:33एक Internal Commission बना गया था इस चीज में जाँच करने के लिए,
15:37इस नाम था Columbia Accident Investigation Board,
15:40शॉर्ट में CAIB.
15:41August 2003 में इस Commission ने अपनी एक बहुत बड़ी रिपोर्ट निकाली,
15:45जिसमें Detail में Explain किया,
15:47कि ये Columbia Disaster क्यूं हुआ था,
15:49और किस कारण की वजेसे हुआ था.
15:51इस रिपोर्ट में एक बार फिर से Mention किया गया था,
15:53नासा की Negligence को.
15:55नासा के Human Space Flight Chief,
15:57विलियम रेडी का Failure,
15:59इस ओफर को ना एक्सेप्ट करना,
16:01कि इस Spy Satellites का इस्तिमाल करके हम
16:03शटल के डैमेज को देख ले.
16:05यही कारण की इस डैमेज को जाचा नहीं जाता,
16:07और अगले 15 दिन तक ये Mission
16:09as per plan चलता है.
16:11एक First February जब Mission खतम होने के बाद,
16:13इस Space Shuttle को धरती पर
16:15वापस लोटना था.
16:17Space Shuttle के Left Wing पर ये जो डैमेज हुआ था,
16:19इसकी वज़े से एक छोटा सा होल आ गया था.
16:21और धरती की Atmosphere में
16:23नीचे आते हुए, ये डैमेज और
16:25बड़ा होता गया. एक छोटे से होल की
16:41कॉलंबिया का एक बहुत बड़ा हिस्सा, अब बाहर की आग और गैसिस से
16:44एक्सपोस्ट हो रहा था. इसकी वज़े से
16:46पहले Left Wing में लगे Sensors काम करना बंद कर जाते हैं,
16:49Temperature Readings नहीं मिल पाती.
16:51फिर, Tire Pressure की Readings गायब हो जाती हैं.
16:53और देखते ही देखते,
16:55ये Spacecraft तुकडों में विखरने लगता है.
16:58जमीन पर मौझूद लोग इस वीडियो को कैप्चर करते हैं,
17:00जिसमें Bright Flashes दिखते हैं.
17:02एक छोटे से Foam के तुकडे की वज़े से,
17:04ये पूरा हादसा होता है,
17:06और साथ लोग अपनी जान गवा देते हैं.
17:08लेकिन यहाँ पर ये चीज भी मेंशन करनी ज़रूरी है,
17:10कि 2003 में जो CAIB की रिपोर्ट निकली थी.
17:13इसने बताया कि ऐसे Foam Strikes
17:15regularly होते हैं Space Shuttle के Launchs में.
17:1779 Missions, जिनकी फोटोज अवेलेबल थी
17:20Launch के दुरान, उनमें पाया गया कि
17:23ऐसी Foam Strikes पहले भी देखने को मिली हैं.
17:25तो यह बड़ी कॉमन चीज थी ऐसे Foam Strikes होना.
17:27लेकिन इस Foam Strikes के बारे में प्रॉबलम वाली बात यह थी
17:30कि ये तुकड़ा गलत समय पर गलत जगहें जाकर टकरा गया.
17:34हादसे के 5 साल बाद, डिसेंबर 2008 में एक और रिपोर्ट सामने आती है
17:38Columbia Crew Survival Investigation Report.
17:41इस से बता चलता है कि कैबिन प्रेशर डिस्ट्रॉप्ट होने की वज़े से
17:44एस्ट्रनॉट्स की मौत कुछ ही सेकिन्ड के अंदर हो गई थी.
17:47जब Columbia Space Shuttle वालेंड तरीके से बिखर रहा था,
17:50तो उन्हें कोई हीड या डैमेजिस इस तरीके से सेहने नहीं पड़े.
17:53इस रिपोर्ट में, क्रू के आखरी मिंटों को रीकंस्ट्रक्ट करने की कोशिश करी गई.
17:57क्या हुआ उन आखरी मिंटों में?
18:00चारो तरफ वॉर्णिंग साइन्स और एलर्ट्स बज रहे थे.
18:02टायर प्रेशर की प्रॉब्लम, लैंडिंग गेर की प्रॉब्लम.
18:05इस रिपोर्ट में ये भी लिखा गया कि अगर कैबिन में बहतर इक्विप्पेंट मौजूद होती,
18:09तब भी आश्ट्रिनोट्स की जान नहीं बचाई जा सकती थी.
18:21इस हादसे के बाद, नासा ने स्पेश शेटल प्रोग्राम को 2.5 साल के लिए रोक दिया.
18:25और सबसे इंपोर्टेंट चीज, फोम रैम का जो डिजाइन था, वो भी बदला गया.
18:29अब इस तरीके से डिजाइन बदल के किया गया, कि इस तरीके से हादसा दुबारा ना हो सके.
18:34और फैंकफुली, आज के दिन, 20 साल बाद भी, ऐसा कोई हादसा दुबारा नहीं हुआ है.
18:40आगे स्पेस्चेटर प्रोग्राम को तब तक कंटिनी रोखा गया, जब तक इंटरनाशिनल स्पेस्टेशन बन कर तयार नहीं हो गया.
18:46जुलाई 2011 में जब इसे फाइनली खतम किया जाता है, तब तक 135 मिशन्स इस प्रोग्राम में किये जाते हैं और ये 30 साल पूरे कर लेता है.
18:56इन 30 सालों में टोटल में 14 एस्टिनोट्स अपनी जान गवाते हैं, अंफोर्चनेट एकसिडेंटस में.
19:01और इसी मेंसे एक कल्पना चावला, इंडिया अपनी प्राइड को खो देता है.
19:06लेकिन कल्पना चावला का impact लाखों लोगों की जिन्दी पर देखने को मिलता है, directly और indirectly.
19:11कल्पना इतनी passionate थी science education को लेकर कि वो चाहती थी कि इंडिया में हर लड़की को ऐसी education मिल सके.
19:18यही कारण कि उन्होंने NASA को convince किया कि उनका जो secondary school था करनाल में,
19:23Tagore Bal Niketan Senior Secondary School, उसके students हिस्सा ले सके NASA के Summer Space Experience प्रोग्राम में.
19:301998 के बाद से हर साल यह school दो लड़कियों को अमेरिका भेजता था, Houston में.
19:35और Kalpana Chawla इन लड़कियों को अपने घर भी बुलाती थी, डिनर करने के लिए.
19:44NASA ने Kalpana Chawla और बागी crew members को काफी tributes दिये हैं पिछले कुछ सालों में.
19:49जैसे कि Mars पर जो landing करी थी NASA ने, उस जगहें को Columbia Memorial Station बुलाया गया.
19:55और Mars और Jupiter के बीच कई सारे asteroids हैं, जिनका नाम इन crew members के नाम पर रखा गया.
20:01यही कारण कि आज हमारे Solar System में कहीं दूर चक्कर लगा रहा है एक asteroid, जिसका नाम है 51826 Kalpana Chawla.
20:10यह वीडियो पसंद आया, तो यह वाला वीडियो भी जरूर पसंद आयेगा.
20:13एक और ऐसे हादसे की उपर वीडियो है, जहांपर asteroids actually miss survive कर गए.
20:18हफतों तक space में गुम होने के बाद, Apollo 13 का एमिशिन यहां क्लिक कर के देख सकते हैं.
20:23बहुत-बहुत धन्यवाद.

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