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राष्ट्रीय लोक अदालत में एक लाख से अधिक प्रकरणों में करीब 50 करोड़ के अवार्ड पारित

- कई पारिवारिक विवाद सुलझे, साथ घर लौटे दंपती

अजमेर. साहब यह सुबह जल्दी नहीं उठती, माता पिता की सेवा में कमी रखती है। बच्चों को स्कूल भेजने में देरी होती है. . .।
वो नहीं बोलता तो मैं आगे होकर क्यों बाेलूं। उसे गरज है तो वह आकर बात कर लेगा. . .।

बार-बार फोन पर मायके वालों से बात करती है। मैं तो तैयार हूं मकान खाली करने को लेकिन अब केस कर दिया है तो अदालत तय करेगी. . ।
यह बानगी है कुछ मामूली प्रकरणों की जो शनिवार को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में सामने आए। दंपतियों में ऐसे कई मामले पिछले कई सालों से चल रहे थे। इन मामलों में समझाइश का असर हुआ और दोनों पक्षों में सहमति के बाद सालों पुराने विवाद पल भर में ही हल हो गए। दंपती साथ घर लौटे तो उनके बच्चों के चेहरों की खुशी देखते ही बनती थी।

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