प्रेमी तो सब ही हैं मगर वफ़ा कोई बिरला ही निभा पाता है || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2024)

  • 7 days ago
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वीडियो जानकारी: 12.05.2024 , संत सरिता , ग्रेटर नॉएडा

प्रसंग:
हमन है इश्क मस्ताना, हमन को होशियारी क्या?
रहें आज़ाद या जग से, हमन दुनिया से यारी क्या?

जो बिछुड़े हैं पियारे से, भटकते दर-ब-दर फिरते,
हमारा यार है हम में, हमन को इंतजारी क्या?

खलक सब नाम अपने को, बहुत कर सिर पटकता है,
हमन गुरनाम साँचा है, हमन दुनिया से यारी क्या?

न पल बिछुड़े पिया हमसे, न हम बिछड़े पियारे से,
उन्हीं से नेह लागी है, हमन को बेकरारी क्या?

कबीरा इश्क का माता, दुई को दूर कर दिल से,
जो चलना राह नाजुक है, हमन सिर बोझ भारी क्या?

~कबीर साहब


~ जीवन क्या है?
~ प्रेम की असल परिभाषा क्या है?
~ जीवन में प्रेम की कमी क्यों होती है?
~ अगर सब प्रेमी ही हैं तो इंसान और इंसान में किस चीज़ का अंतर है?
~ किस ऊर्जा से यह संसार चलता है?

संगीत: मिलिंद दाते
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