गाइये गणपति जगवंदन । सिद्धि सदन शिवशंकर नंदन। भक्त जनन के विघ्न विनाशन । भक्ति भाव ते करु नित अर्चन। मन ते करु नित गणपति चिंतन। रसना ते गाइय उन गुनगन । जय हो जय हो गणपति त्रिभुवन वंदन । तुम्हरो कोटि कोटि अभिनंदन । कोउ भल गन भी ले, जग भू रज कन । प
![Mohini](https://s2.dmcdn.net/u/9t8Q_1bSkYBduALJj/25x25)
Mohini