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*रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ* ✨
अगस्त 31, 2023: सुबह की भावपूर्ण साधना के मुख्य आकर्षण
✨जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की जय!✨
*जगद्गुरु आदेश:*
भगवान् सबके हृदय में रहते हैं - इसका अभ्यास करो
उपदेश तो हम बहुत सुने और जानते भी हैं, लेकिन प्रैक्टिकल में अमल लाने के लिए अभ्यास करना आवश्यक है। सम्मलेन (साधना शिविर) इसलिये होता है कि जो कुछ हमें इसमें मिला, उसको आगे बढ़ाना है। अगर हम हमेशा वहीं के वहीं रह गए, तो ऐसे तो ये मानव देह समाप्त हो जायेगा।

ये हमारा निवेदन है कि आप लोग एक छोटा सा आदेश मानकर रोज़ अभ्यास करें -

1) जैसे वेदों शास्त्रों, संतों ने कहा है, भगवान् सबके हृदय में रहते हैं, यह 'सदा' जानते रहने का हमें अभ्यास करना चाहिये। जैसे 'मैं' को सदा रियलाइज़ करते हो, उसी तरह 'मेरा' वो अंदर बैठा है, उसकी फीलिंग भी एक साथ होनी चाहिये। हर आधे घंटे में एक सेकंड को फील करो कि भगवान् हमारे अंदर बैठे हैं। इससे पाप करने से बचोगे। और इसी प्रकार अभ्यास करते करते नेचुरल होने लग जायेगा - फिर जैसे 'मैं' को रियलाइज़ करते हैं, वैसे भगवान् को भी रियलाइज़ करोगे। ये अभ्यास से ही होगा। अभ्यासेन तु कौन्तेय - अभ्यास से सब कुछ हो जाता है।

2) साथ साथ स्वयं का आत्मनिरीक्षण करो। सहनशीलता कितनी बढ़ी, अहंकार कितना कम हुआ आदि पैमाना हैं। छोटी छोटी बातों पर फील करना, क्रोध करना, दूसरों को दुखी करना, ये सब हमारे प्रैक्टिकल साधना में कमी के लक्षण हैं। हर एक महीने में अध्ययन करना चाहिये कि क्या हम आगे बढ़ रहे हैं। अगर नहीं बढ़े तो फील करके संकल्प करना कि अब की बार ऐसे नहीं होने देंगे।

सब तरह की भगवत्कृपा को रियलाइज़ करके अभ्यास करो।
*कीर्तन:*
- अपनापन रखना मेरे घनश्याम (प्रेम रस मदिरा, प्रकीर्ण माधुरी, पद सं. 1)
- मन तेरो साँचो यार ब्रज राजकुमार (ब्रज रस माधुरी, भाग 1, पृष्ठ सं.53, संकीर्तन सं. 23)
- हरे राम संकीर्तन

*Happy Rakshabandhan!* ✨
August 31, 2023: Highlights of soulful morning sadhana
✨Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj ki Jai!✨
*Jagadguru Aadesh:*
Practice realizing God's presence in everyone
You have heard many discourses and you also know them all now. However, in order to practically implement the learnings, it is necessary to practice. The purpose of spiritual camps (sadhana shivir) is for you to further build upon what you learn here. If you don't progress, one day you will lose the human body, too.

So it is my request that you consider this as a small instruction from me to practice daily -

1) As it has been said by the Vedas, scriptures, and saints, God resides in everyone's heart, - practice realizing this 'all the time'. In the same way, as we realize 'I', feel that the one who is mine is seated within me. Every half an hour for just a second, realize that God is seated within. By doing this, we'll get saved from committing sins. Also, the way we realize the 'I', we'll begin realizing that God is with us all the time. This will happen only through practice. Abyasena tu Kaunteya - everything is possible through practice.

2) Along with this, self-assess yourself. How much did our tolerance increase, how much did our pride reduce, etc. are the parameters to measure our progress. Feeling hurt by others' words, getting angry

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