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15 दिन के अंतराल में दो बार क्यों रखा जाता है वट सावित्री व्रत ? ज्येष्ठ अमावस्या और ज्येष्ठ पूर्णिमा में वट सावित्री का व्रत रखा जाता है. लेकिन इसके पीछे क्या कारण है कि एक ही महीने में 15 दिन के अंतराल में दो बार एक ही व्रत रखे जाते हैं. जबकि दोनों पर्व में पूजा, विधि-विधान, कथा और महत्व आदि समान है. आइये जानते हैं इसके बारे में. स्कन्द पुराण और भविष्य पुराण के अनुसार, वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को किया जाता है. लेकिन निर्णयामृतादि के अनुसार इस व्रत को ज्येष्ठ महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को करने के विधान के बारे में बताया गया है. वहीं भारत में इसे लोग अमावस्या और पूर्णिमा दोनों तिथियों में करते हैं. जबकि दोनों में केवल तिथियों का ही अंतर है और बाकी सारी विधियां समान है. वीडियो में जानें वट सावित्री पूर्णिमा 2023: दो बार क्यों रखा जाता है वट सावित्री व्रत | वट सावित्री पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है...

Vat Savitri fast is observed on Jyestha Amavasya and Jyeshtha Purnima. But what is the reason behind this that the same fast is observed twice in the same month with an interval of 15 days. While the worship, rituals, story and importance etc. are same in both the festivals. Let's know about it. According to Skanda Purana and Bhavishya Purana, the Vat Savitri fast is observed on the full moon day of Shukla Paksha of Jyestha month. But according to Nirchanamrutadi, it has been told about the law of observing this fast on the new moon day of Krishna Paksha of Jyestha month. Whereas in India, people do it on both Amavasya and Purnima dates. Whereas there is only difference of dates in both and all other methods are same. Watch Video and Know Vat Savitri Purnima 2023: Do Baar Kyu Rakha Jata Hai Vat Savitri Vrat | Vat Savitri Purnima Kyu Manayi Jati Hai ?

#VatSavitriPurnima2023
~HT.97~PR.111~ED.119~

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