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श्री गुरु संत रविदास जी 15वीं शताब्दी के दौरान भारत में एक महान संत, दार्शनिक, कवि, समाज सुधारक और ईश्वर के अनुयायी थे। वह निर्गुण संप्रदाय (संत परम्परा) के सबसे प्रसिद्ध और प्रमुख सितारों में से एक थे । उन्होंने अपने प्रेमियों, अनुयायियों और समाज के लोगों को अपनी महान कविताओं के माध्यम से विभिन्न प्रकार के आध्यात्मिक और सामाजिक संदेश दिए थे
गुरु रविदास (Guru Ravidas) जी का जन्म जन्म काशी में 1450 ईस्वी को सीर गोवर्धनपुर, वाराणसी, में हुआ था। इनकी मृत्यु 1540 ईस्वी में हुई, इनके पिता का नाम संतोख दास और माता का नाम कलसा देवी था , इनकी पत्नी का नाम लोना था ,इनके पुत्र का नाम विजय दास था , इनके पिता राजा नगर मल के राज्य में सरपंच के रूप में कार्यरत थे और उनका जूता बनाने और मरम्मत का अपना व्यवसाय था । रविदास जी ने भी जीवन यापन के लिए चर्मकार का कार्य ही चुना था जो की उनका पैतृक कार्य था
रविदास जी जिन्हें संत रविदास, गुरु रविदास, रैदास, रूहिदास और रोहिदास जैसे अनेको नाम से भी जाना जाता है एक परोपकारी और दयालु व्यक्ति थे।

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