Ratha Yatra is a Hindu festival associated with Lord Jagannath, a reincarnation of lords Vishnu and Krishna held at Puri in the state of Odisha, India. It commemorates his annual visit to his birthplace, Gundicha Temple, and aunt's home along with his elder brother Balabhadra and sister Subhadra.
Credits :
Bhajan Name - Jagannath Ki Mahima
Singer - Sukhwinder
Music and Lyrics - Raj Mahajan
Recording, Mixing and Mastering at Moxx Music Studio
Record Label - Moxx Music
Digital Partner - BinacaTunes Media Pvt Ltd
Producer - Ashwani Raj
Video Edited by Mantu Kumar
► Note: नए कलाकारों के लिए सुनेहरा मौका - अगर आप गायक या गीतकार हैं तो संपर्क करें - 8800694448
Jagannath Ki Mahima Lyrics :-
ओहो हो हो हो ओहो हो हो हो ओहो हो हो हो
पूरी से निकला जगन्नाथ का रथ भीड़ लगी है भक्तो की बहुत
आ के तुम भी अब शीश झुका लो जगन्नाथ महिमा गा लो
कृष्णा जी के हैं ये तो अवतार चलते जब रथ इनके महा वो आषाढ़
छूती है गगन इनकी मूर्ति रथ यात्रा ये है जो मई चलती
पूरी से निकल आती गुंडिचा जहाँ जगन्नाथ की होती है वंदना
भक्तो के वो काज सवारे दुःखियों को वो देते हैं सहारे
जगन्नाथ की राहें सजा लो जगन्नाथ की महिमा गालो
आके तुम भी अब शीश झुका लो जगन्नाथ महिमा गा लो
दो दिन के बाद छेरा पहरा मे करते भक्त पूजा रख श्रद्वा मन मै
श्री मंदिर की बात निराली मन की मुरदे पाएं यहाँ सवाली
सात दिन का फिर होता विश्राम गुंडिचा मंदिर मै जब रथ पहुँच ते
वापसी मै रथ तीनो लौट कर मौसी माँ मंदिर मै आकर रुक ते
ज्ञान बोध पिता की जगा लो जगन्नाथ की महिमा गा लो
आके तुम भी अब शीश झुकालो जगन्नाथ महिमा गा लो
Credits :
Bhajan Name - Jagannath Ki Mahima
Singer - Sukhwinder
Music and Lyrics - Raj Mahajan
Recording, Mixing and Mastering at Moxx Music Studio
Record Label - Moxx Music
Digital Partner - BinacaTunes Media Pvt Ltd
Producer - Ashwani Raj
Video Edited by Mantu Kumar
► Note: नए कलाकारों के लिए सुनेहरा मौका - अगर आप गायक या गीतकार हैं तो संपर्क करें - 8800694448
Jagannath Ki Mahima Lyrics :-
ओहो हो हो हो ओहो हो हो हो ओहो हो हो हो
पूरी से निकला जगन्नाथ का रथ भीड़ लगी है भक्तो की बहुत
आ के तुम भी अब शीश झुका लो जगन्नाथ महिमा गा लो
कृष्णा जी के हैं ये तो अवतार चलते जब रथ इनके महा वो आषाढ़
छूती है गगन इनकी मूर्ति रथ यात्रा ये है जो मई चलती
पूरी से निकल आती गुंडिचा जहाँ जगन्नाथ की होती है वंदना
भक्तो के वो काज सवारे दुःखियों को वो देते हैं सहारे
जगन्नाथ की राहें सजा लो जगन्नाथ की महिमा गालो
आके तुम भी अब शीश झुका लो जगन्नाथ महिमा गा लो
दो दिन के बाद छेरा पहरा मे करते भक्त पूजा रख श्रद्वा मन मै
श्री मंदिर की बात निराली मन की मुरदे पाएं यहाँ सवाली
सात दिन का फिर होता विश्राम गुंडिचा मंदिर मै जब रथ पहुँच ते
वापसी मै रथ तीनो लौट कर मौसी माँ मंदिर मै आकर रुक ते
ज्ञान बोध पिता की जगा लो जगन्नाथ की महिमा गा लो
आके तुम भी अब शीश झुकालो जगन्नाथ महिमा गा लो
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