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शहडोल 14 जून: कौन कहता है आसमां में सुराख हो नहीं सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है शहड़ोल प्रेरणा फाऊंडेशन के वो बच्चे जो अब शहड़ोल से पढ़ाई कर देश के अलग अलग हिस्से में पढ़ लिख कर काबिल बन गए है। ये नेत्रहीन बच्चे सामान्य बच्चो की तरह न केवल मोबाइल आपरेट करते है बल्कि मैसेज भी पढ़कर मोबाइल में बात चीत करते है । ऐसे 21 बच्चे आज शहड़ोल में आयोजित एक कार्यक्रम में सम्लित होकर गीत, संगीत के साथ साथ योग कर चेस गेम का जबरदस्त प्रदर्शन किया , जो बच्चे आंखों से देख नहीं सकते, उनके इन कारनामो को देखकर लोग दंग रहे । उनके इस काबलियत के पीछे प्रेरणा फाउंडेशन की संचालिका मधुश्री राय का हाथ है, जो खुद भी दिव्यांग होते हुए जिले में नेत्रहीन बच्चो को ढूंढकर उन्हें निःशुल्क शिक्षा देकर उस मुकाम में पहुचाने का काम कर रही है।

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