देवभूमि उत्तराखंड में मानसून की विदाई के समय भारी बारिश से चारों ओर तबाही के मंजर दिखाई दिए। इस आपदा ने एक बार फिर लोगों को केदारनाथ त्रासदी की याद ताजा कर दी। 17 से 19 अक्टूबर 3 दिन तक हुई मूसलाधार बारिश के चलते राज्य में 65 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। राज्य में कई स्थानों पर सड़कें नष्ट हो गईं और भूस्खलन के कारण कई मार्ग अवरुद्ध हो गए। सबसे ज्यादा तबाही कुमाऊं मंडल में हुई। यहां 59 लोगों की मौत हुई, जबकि करीब 2000 करोड़ रुपए की संपत्ति को नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है। मंडल के नैनीताल में सर्वाधिक 35 लोगों ने आपदा में अपनी जान गंवाई। हर जिले में आपदा राहत कार्यों के लिए जिलाधिकारी को 10-10 करोड़ रुपए की राशि दी गई है। एसडीआरएफ की टीमों ने बागेश्वर जिले के पिंडारी और काफनी ग्लेशियरों के करीब फंसे 6 विदेशियों समेत 65 पर्यटकों को सुरक्षित बचाया, जबकि 23 अन्य लोगों को पिथौरागढ़ की दारमा घाटी से निकाला गया। उत्तरकाशी के हर्षिल से हिमाचल प्रदेश के छितकुल तक के रास्ते में लापता एक ट्रेकिंग दल के 5 सदस्यों के शव बरामद हुए।
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