इक बंगला बना न्यारा, रहे कुनबा जिसमें सारा.... Film: The President - Song: K. L. Sehgal 1937

3 years ago
इक बंगला बना न्यारा, रहे कुनबा जिसमें सारा...
दोस्तों, दुबई के इस पेंटहाउस की कीमत सिर्फ ₹30 करोड़ है, इसका कारपेट एरिया 6400 स्क्वायर फुट है, इसमें 4 बैडरूम है, शानदार किचन है, बाथरूम है, यहां से पूरा दुबई दिखाई देता है, यह कीमत सिर्फ पेंटहाउस की है फर्निशिंग के आपको अलग से पैसे देने होंगे..

Dr. O.P. Verma
M.B.B.S., M.R.S.H.(London)
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डॉ. जोहाना बडविग का कैंसररोधी आहार–विहार
क्रूर, कुटिल, कपटी, कठिन, कष्टप्रद कर्कट रोग का सस्ता, सरल, सुलभ, संपूर्ण और सुरक्षित समाधान

डॉ जोहाना बडविग (जन्म 30 सितम्बर, 1908 – मृत्यु 19 मई 2003) विश्व विख्यात जर्मन बायोकैमिस्ट और चिकित्सक थी। उन्होंने फिजिक्स, बायोकैमिस्ट्री तथा फार्मेसी में मास्टर और नेचुरापेथी में पी.एच.डी. की डिग्री हासिल की । वे जर्मन सरकार के फेडरल इंस्टिट्यूट ऑफ फैट्स रिसर्च में सीनियर एक्सपर्ट थीं। उन्होंने फैट्स और कैंसर उपचार के लिए बहुत शोध किए।

कैंसर के मुख्य कारण की खोज 1931 में डॉ. ओटो वारबर्ग ने कर ली थी। जिसके लिये उन्हें नोबल पुरस्कार से नवाज़ा गया। उन्होंने अपने प्रयोगों द्वारा सिद्ध किया कि यदि सामान्य कोशिकाओं को ऑक्सीजन की आपूर्ति 48 घन्टे के लिए 35 प्रतिशत कम कर दी जाए तो वह कैंसर कोशिकाओं में परिवर्तित हो जाती हैं। सामान्य कोशिकाएँ अपनी जरूरतों के लिए ऑक्सीजन की उपस्थिति में ऊर्जा बनाती है, लेकिन ऑक्सीजन के अभाव में कैंसर कोशिकाएं ग्लूकोज को फर्मेंट करके ऊर्जा प्राप्त करती हैं। विदित रहे कि यदि कोशिकाओं को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती रहे तो कैंसर का अस्तित्व संभव ही नहीं है। हमारे शरीर की ऊर्जा ए.टी.पी. है और ऑक्सीजन की उपस्थिति में ग्लूकोज के एक अणु से अड़तीस ए.टी.पी. बनते हैं, लेकिन फर्मेंटेशन से सिर्फ दो ए.टी.पी. प्राप्त होते हैं। वारबर्ग और अन्य शोधकर्ता मान रहे थे कि कोशिका में ऑक्सीजन को आकर्षित करने के लिए दो तत्व जरूरी होते हैं, पहला सल्फरयुक्त प्रोटीन जो कि पनीर में पाया जाता है और दूसरा कुछ फैटी एसिड्स जिन्हें कोई पहचान नहीं पा रहा था। वारबर्ग भी इस रहस्यमय फैट को पहचानने में नाकामयाब रहे। आप नोबलप्राइज डॉट ऑर्ग पर जाइये, सारे सत्य आपके सामने आ जाएंगे।

डॉ. जोहाना ने 1949 में पेपरक्रोमेटोग्राफी तकनीक विकसित की, जिससे सेल्युलर रेस्पिरेशन के सारे राज़ उजागर हो गए। वे रहस्यमय फैट पहचान लिए गए, जिन्हें दुनिया भर के साइंटिस्ट ढूँड़ रहे थे। वे फैट्स थे अल्फा लिनोलेनिक एसिड (ओमेगा-3 फैट का मुखिया) और लिनोलिक एसिड (ओमेगा-6 फैट का मुखिया), जो अलसी के कोल्ड-प्रेस्ड तेल में भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। ये हमारे शरीर में नहीं बन सकते इसलिए इन्हें असेंशियल फैट्स का दर्जा दिया गया। ये इलेक्ट्रोन युक्त अनसेचुरेटेड फैट्स हैं। इनमें सक्रिय, ऊर्जावान और नेगेटिवली चार्ज्ड इलेक्ट्रोन्स की अपार संपदा होती है। इलेक्ट्रोन्स वजन में हल्के होते हैं और अपने मूल अणु से इनका जुड़ाव तनिक ढीला-ढाला होता है, जिसके फलस्वरूप ये मूल अणु से ऊपर उठ कर आवारा बादल की तरह तैरते हुए दिखाई देते हैं। इसलिए बडविग ने इन्हें इलेक्ट्रोन क्लाउड या पाई-इलेक्ट्रोंस की संज्ञा दी। यह सब बडविग ने पेपर क्रोमेटोग्राफी द्वारा स्पष्ट देखा। ये इलेक्ट्रोन ही कोशिका में ऑक्सीजन को खींचते हैं। बडविग ने अपनी पुस्तक में यह भी लिखा है कि फैट्स हमारे शरीर के लिए सबसे जरूरी तथा सजीव तत्व हैं और प्रोटीन (प्र

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