मेरे सपनों की रानी रूही रूही .... Film: शाहजहां - Song: K. L. Sehgal 1946

3 years ago
मेरे सपनों की रानी रूही रूही .... Film: शाहजहां - Song: K. L. Sehgal 1946

स्वर सम्राट कुंदन लाल सहगल ने उस ज़माने में अपना एक नया अंदाज़ दिया जब फ़िल्मी दुनिया अपने शुरुआती दौर में ही थी.
सहगल ने संगीत की हालाँकि कोई नियमित शिक्षा नहीं ली लेकिन उनकी नायाब गायन शैली ने ऐसी पहचान बनाई कि आज भी उनकी जगह कोई नहीं ले पाया.
अलबत्ता बहुत से गायकों ने उनकी नक़ल करने की कोशिश की लेकिन सहगल का अंदाज़ सबसे जुदा रहा है जो आज भी बस अनोखा ही है.
चार अप्रैल 1904 को जम्मू में जन्म लेने वाले सहगल भारत की संगीत दुनिया में एक स्वर्णिम नाम बन चुके हैं.
वर्ष 2004 उनकी सौवीं जन्म वर्षगाँठ है.
मशहूर संगीतकार नौशाद कहते भी हैं कि सहगल की जगह कोई नहीं ले पाया है और आज तक न तो कोई दूसरा सहगल पैदा हुआ है और न ही भविष्य में होगा.
नौशाद कहते हैं कि सहगल बस सहगल ही थे और उनकी किसी से तुलना नहीं की जा सकती.
अनोखी कला
केएल सहगल न सिर्फ़ गायक थे बल्कि अच्छे अभिनेता भी थे और उनकी फ़िल्म देवदास ने 1935 में कामयाबी के ऐसे झंडे गाड़े थे जो एक मिसाल बन चुके हैं.
शरतचंद्र के नायाब उपन्यास पर आधारित फ़िल्म देवदास बाद में दिलीप कुमार और वैजयंती माला को लेकर भी बनाई गई लेकिन कहा गया वह सहगल वाली फ़िल्म के बराबर कामयाब नहीं हो सकी.
सहगल ने अपने फ़िल्मी करियर में 36 फ़िल्मों में काम किया और 200 से ज़्यादा गाने गाए.
उन्होंने फ़िल्मी ग़ज़ल को नए आयाम दिए और एक नई गायन शैली प्रचलित की.
इतना ही नहीं हिंदी फ़िल्म दुनिया के 1932 से 1946 के काल को सहगल दौर कहा गया है.
संगीतकार नौशाद ने सहगल के कई गीतों को अपना करिश्माई संगीत दिया और सहगल का मशहूर गीत - "जब दिल ही टूट गया तो जीकर क्या करेंगे" को नौशाद ने ही अपनी संगीत धुनों में पिरोया था.
फ़िल्म शाहजहाँ का यह गीत अपने आम में एक इतिहास बन चुका है.
सहगल 1930 में फ़िल्मों में गाने की शुरूआत की लेकिन 1934 में चंडीदास फ़िल्म रिलीज़ होने के साथ उन्हें विशेष पहचान मिली.
उसके बाद यहूदी की लड़की, कारवाँ-ए-हयात, पूरन भक्त, देवदास, धूप-छाँव वग़ैरा फ़िल्मों से उन्होंने अपनी नई ज़मीन बना दी.
सहगल ने हिंदी के अलावा बांग्ला, पंजाबी और फारसी सहित कई भाषाओं में गीत गाए.
सहगल की अभिनय क्षमता फ़िल्म देवदास, सूरदास, तानसेन, भँवरा, तदबीर, उमर ख़ैयाम, शाहजहाँ और परवाना में न सिर्फ़ नज़र आई बल्कि बिल्कुल एक नई शैली चलाई.
गायन और अभिनय की दुनिया का यह चमकता सितारा सिर्फ़ 42 वर्ष की उम्र में जनवरी 1947 को दुनिया को अलविदा कह गया.

Dr. O.P. Verma
M.B.B.S., M.R.S.H.(London)
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डॉ. जोहाना बडविग का कैंसररोधी आहार–विहार
डॉ जोहाना बडविगविश्व विख्यात जर्मन बायोकैमिस्ट और चिकित्सक थी। उन्होंने फिजिक्स, बायोकैमिस्ट्री तथा फार्मेसी में मास्टर और नेचुरापेथी में पी.एच.डी. की डिग्री हासिल की । वे जर्मन सरकार के फेडरल इंस्टिट्यूट ऑफ फैट्स रिसर्च में सीनियर एक्सपर्ट थीं। उन्होंने फैट्स और कैंसर उपचार के लिए बहुत शोध किए।

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