NDA में मची भगदड़ से सपा को हो रहा है मुनाफा II बीजेपी के लिए मुसीबत बने उसी के साथी !

  • 3 years ago

NDA की भगदड़ से सपा को मिल रहा माइलेज !
अपने ही साथियों को साधने में फेल बीजेपी !
बीजेपी के रुठे साथी सपा में आने के लिए तैयार !
जिनके सहारे बीजेपी ने 2017 में दर्ज की जीत !
अब वही बीजेपी की अनदेखी से दिख रहे हैं खफा !
डैमेज कंट्रोल में बीजेपी के छूट रहे हैं अब पसीने !
बीजेपी की फूट पर सपा रख रही है पैनी नजर !
सपा हर हाल में समीकरणों को फेवर में बदलने में लगी !

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले यूपी की सियासत में सबसे ज्यादा अगर कोई दल परेशानियों से घिरा है तो वो है सत्ताधारी पार्टी बीजेपी क्योंकि बीजेपी के अपनो ने ही बीजेपी की हालत खराब करके रखी है और इसका सीधा सीधा फायदा सपा को मिल रहा है बीजेपी के अपनों की नाराजगी सपा के पक्ष में काम कर रही है जिससे बीजेपी के माथे पर पसीना तो है ही साथ ही चिंता की लकीरें भी दिख रही है…उससे भी गजब अगर बीजेपी के साथियों की नाराजगी की वजह पता करें तो उसके लिए भी बीजेपी ही जिम्मेदार है…क्योंकि सरकार बनने के बाद जिन साथियों ने बीजेपी को जिताने में 2017 में योगदान दिया था बीजेपी ने उन्ही को किनारे लगाने और उनकी अनदेखी शुरू कर दी…जिसका नतीजा है कि एक के बाद एक बीजेपी गठबंधन से तमाम दलों ने किनारा कर लिया…अब जब चुनाव नजदीक हैं तो बीजेपी को लगता है कि अगर पुराने साथी साथ नहीं रहे तो हार पक्की है…हार के डर से बीजेपी पुराने साथियों को जोड़ने में लगी है लेकिन बीजेपी के पसीने छूट रहे हैं…वहीं बीजेपी से दूर हुए साथ सपा के साथ अपने भविष्य को बेहतर देख रहे हैं और इसी बेहतरी की वजह से कई दल सपा के साथ संपर्क में है और वक्त आने पर गठबंधन के साथी बन सकते हैं…बीजेपी के साथ चुनावी राजनीति में उतरने वाले छोटे राजनीतिक दलों की हमेशा से यह शिकायत रही है कि गठबंधन में उन्हें वो सम्मान नहीं मिला जिसके वे हकदार थे…आरोप है कि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की छोटे दलों के प्रति इसी लापरवाही का परिणाम है कि एक-एक कर छोटे दल उससे दूर होते चले गए और कभी दो दर्जन से ज्यादा दलों का गठबंधन एनडीए आज महज चार-पांच दलों तक सीमित होकर रह गया है…अब जब कि उत्तर प्रदेश चुनाव सिर पर हैं, और बिना छोटे दलों का साथ पाए ये किला फतह करना मुश्किल दिख रहा है, बीजेपी को फिर से छोटे दलों की याद आई है…लेकिन खबर है कि इन दलों को दोबारा साधने में बीजेपी नेताओं की कोई चाल काम नहीं आ रही है हर प्रलोभन को छोटे दल ठुकरा रहे हैं और अगर साथ हाने की हामी भी भरते हैं तो फिर हिस्सेदारी भी ज्यादा मांग रहे हैं…बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष और उत्तर प्रदेश प्रभारी राधामोहन सिंह ने जब उत्तर प्रदेश के नेताओं से मुलाकात की थी, उस समय भी उन्हें ये जानकारी दी गई थी कि छोटे दलों की उपेक्षा बीजेपी को भारी पड़ सकती है…इसी के बाद केंद्रीय नेतृत्व के ईशारे पर पार्टी के एमएलसी एके शर्मा ने पूर्वांचल के छोटे दलों को साथ लेने की कोशिश शुरू की…अपना दल (एस) नेता अनुप्रिया पटेल और संजय निषाद से अमित शाह की मुलाकात को छोटे दलों को फिर से साधने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है…इस कोशिश से इतर, एनडीए के नेता ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि बीजेपी नेतृत्व सहयोगी दलों को उनकी उचित भूमिका देने में संकोच करता रहा है…केवल इसी सोच का ही परिणाम हुआ कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ओमप्रकाश राजभर भाजपाई खेमे से दूर हो गये…पूर्वांचल में कुर्मी समुदाय के वोटरों पर अच्छी पकड़ रखने वाली पार्टी अपना दल (एस) की नेता अनुप्रिया पटेल की याद बीजेपी को त