• 4 years ago
हमारे देश की संस्कृति, सभ्यता और धर्म से वट का गहरा नाता है। वट वृक्ष एक ओर शिव का रूप माना गया है तो दूसरी ओर पद्म पुराण में इसे भगवान विष्णु का अवतार कहा गया है। अतः सौभाग्यवती महिलाएं ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा और अमावस्या को व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा करती हैं, जिसे वट सावित्री व्रत कहते हैं।

प्राचीन ग्रंथ वृक्षायुर्वेद में बताया गया है कि जो यथोचित रूप से बरगद के वृक्ष लगाता है, वह शिव धाम को प्राप्त होता है। धार्मिक दृष्टि से तो वट का महत्व है ही, चिकित्सा की दृष्टि से भी बरगद बहुत उपयोगी है।

* आयुर्वेदिक मत से वट वृक्ष के सभी हिस्से कसैले, मधुर, शीतल तथा आंतों का संकुचन करने वाले होते हैं।
* कफ, पित्त आदि विकार को नष्ट करने के लिए इसका प्रयोग होता है।
* वमन, ज्वर, मूर्च्छा आदि में इसका प्रयोग लाभदायक है।

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