Mahadev Vani Gyan
यदि तुम मुझे एक बेलपत्र पे बुलाते तो मैं अवश्य चला आता किन्तु तुम्हारे अहंकार के समक्ष बेलपत्र का कभी कोई महत्व ही नहीं था स्वर्णा की चमक तुम्हारी भक्ति को अंधा करती रही सच्ची भक्ति कभी भी व्यक्तिगत लाभ नहीं देखती वह तो केवल समाज का संसार का कल्याण देखती है।
यदि तुम मुझे एक बेलपत्र पे बुलाते तो मैं अवश्य चला आता किन्तु तुम्हारे अहंकार के समक्ष बेलपत्र का कभी कोई महत्व ही नहीं था स्वर्णा की चमक तुम्हारी भक्ति को अंधा करती रही सच्ची भक्ति कभी भी व्यक्तिगत लाभ नहीं देखती वह तो केवल समाज का संसार का कल्याण देखती है।
Category
🦄
Creativity