• 3 years ago
Mahadev Vani Gyan

यदि तुम मुझे एक बेलपत्र पे बुलाते तो मैं अवश्य चला आता किन्तु तुम्हारे अहंकार के समक्ष बेलपत्र का कभी कोई महत्व ही नहीं था स्वर्णा की चमक तुम्हारी भक्ति को अंधा करती रही सच्ची भक्ति कभी भी व्यक्तिगत लाभ नहीं देखती वह तो केवल समाज का संसार का कल्याण देखती है।