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डोसा किंग राजगोपाल मूल रूप से तमिलनाडु के तोतिकोरीन का रहने वाला था। इसके माँ-बाप प्याज की खेती करते थे और ये उनकी इकलौती संतान था। प्याज़ की खेती ही इस परिवार की इकलौती आय थी और ये बात है कुछ 1973 की। राजगोपाल का खेती मे मन नहीं लगता था इसलिए वो अपना गाँव छोड़ कर मद्रास यानि की चेन्नई या गया। चेन्नई के केके नगर मे उसने एक छोटी सी किराने की दुकान खोल ली जो की उसने कुछ 8 साल तक चलाई। इसी बीच उसकी मुलाकात एक ज्योतिषी से हुई। उस ज्योतिषी ने उसको सलाह दी की वो किराने की दुकान छोड़ कर एक रेस्टोरेंट खोले तो उसको ज्यादा मुनाफ़ा होगा।
ज्योतिषी के कहेनुसार राजगोपाल ने एक रेस्टोरेंट खोला जिसका नाम उसने दिया सर्वना भवन। इस रेस्टोरेंट मे इसने दोसां इडली, वड़ा और पूरी बनाना और बेचना शुरू किया। 70 का दशक एक ऐसा समय था जब हमारे देश के लोग बाहर रेस्टोरेंट मे खाना खाने का सोचते भी नहीं थे लेकिन फिर भी राजगोपाल ने ये रिस्क लिया। उसने पूरी, इडली, डोसा और वड़ा बनाने के लिए कोकनट ऑयल का इस्तेमाल किया और मसाले भी वो अच्छे क्वालिटी के ही इस्तेमाल करता था। शुरुवात करते समय उसने इस एक थाली की कीमत रखी सिर्फ 1 रुपया जिसके चलते उसको पहले महीने मे ही 10 हजार की पहाड़ जैसी रकम का लॉस हुआ। मगर राजगोपाल इस घाटे से हतोत्साहित नहीं हुआ और न ही उसके क्वालिटी से कोई समझौता किया।
#dosaking #jivajothi #chennai
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https://www.insidestories.co.in/2020/01/the-fire-fall-of-madras-chennai-dosa.html
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ज्योतिषी के कहेनुसार राजगोपाल ने एक रेस्टोरेंट खोला जिसका नाम उसने दिया सर्वना भवन। इस रेस्टोरेंट मे इसने दोसां इडली, वड़ा और पूरी बनाना और बेचना शुरू किया। 70 का दशक एक ऐसा समय था जब हमारे देश के लोग बाहर रेस्टोरेंट मे खाना खाने का सोचते भी नहीं थे लेकिन फिर भी राजगोपाल ने ये रिस्क लिया। उसने पूरी, इडली, डोसा और वड़ा बनाने के लिए कोकनट ऑयल का इस्तेमाल किया और मसाले भी वो अच्छे क्वालिटी के ही इस्तेमाल करता था। शुरुवात करते समय उसने इस एक थाली की कीमत रखी सिर्फ 1 रुपया जिसके चलते उसको पहले महीने मे ही 10 हजार की पहाड़ जैसी रकम का लॉस हुआ। मगर राजगोपाल इस घाटे से हतोत्साहित नहीं हुआ और न ही उसके क्वालिटी से कोई समझौता किया।
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