कठोर परिश्रम व दृढ़ निश्चय ही सफलता की कुंजी, रूस में भारतीय वैज्ञानिक ने लहराया परचम

  • 4 years ago
बिलग्राम के कच्छनदऊ तिर्वा कुल्ली क्षेत्र के एक छोटे से गॉव गुलाब पुरवा में जन्मे डॉ. विष्णु राजपूत सुपुत्र श्री लछिमन सिंह राजपूत ने रूस में अपने आधुनिक शोधो से पुरे क्षेत्र का नाम रोशन किया और रूस की केंद्रीय विश्वविद्लय के पांच हज़ार वैज्ञानिको में से अत्यधिक दस सक्रिय सफल वैज्ञानिको में जगह बनायीं। भारत में उन्होंने कई शोध संस्थानों में कार्य किया किन्तु वह गति नहीं मिल पायी। इसलिए वह उच्च शिक्षा के लिए चीन चले गए और वंहा से रूस के साउथर्न फ़ेडरल यूनिवर्सिटी में कार्य प्रारम्भ किया। डॉ. राजपूत ने बताया जंहा कच्छनदऊ तिर्वा कुल्ली हरदोई का अत्यंत पिछड़ा क्षेत्र है। शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहा है ऐसे में विदेश से उच्च शिक्षा ग्रहण करना और विदेश में महत्वपूर्ण विषय पर शोध कर अपनी पहचान बनाना कोई सपना से कम नहीं है। डॉ. राजपूत ने प्राइमरी शिक्षा अपने गांव से दो किलोमीटर दूर बने विद्यालय से की, और माध्यमिक-पूर्व माध्यमिक शिक्षा के लिए कन्नौज चले गये।

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