लॉक हुआ अनलॉक : बड़ा सवाल वेंटिलेटर पर पड़े कारोबार को कैसे मिले सांस

  • 4 years ago
मेरठ। पहले नोटबंदी फिर मंदी उसके बाद कोरोना संक्रमण के चलते लाकडाउन और अब देश की घटती जीडीपी दर। कुल मिलाकर ये कुछ ऐसे कारक हैं जिनकी वजह से आज मेरठ की व्यापार इंडस्ट्री पूरी तरह से चौपट हो चुकी है। बता दे कि मेरठ में स्पोर्स्टस,हैंडलूम,कैची, बैंड बाजार व्यवसाय सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया में भी अपना डंका बजवाता है।
करीब 5 महीने के लॉकडाउन ने मेरठ के इस परंपरागत व्यापार की गति को रोक सा दिया है। लॉकडाउन के दिनों में जो समय बीत गया उसे बदला तो नहीं जा सकता। लेकिन लॉकडाउन के बाद जीवन की उस गति को कैसे वापस पटरी पर लाया जाए यह हर किसी के लिए एक बड़ा सवाल बन गया है। उद्योग व्यापार से लेकर हर प्रकार के काम से जुडे़ लोग अब लॉकडाउन के बाद अपने जीवन को वापस पहले की तरह पटरी पर लाने की जद्दोजहद और मंथन में जुटे हैं। व्यापारियों को सरकार से आस :—
आईआईए के चेयरमैन अनुराग अग्रवाल कहते हैं कि लॉकडाउन के कारण उद्योग और व्यापार को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। शहर की बड़ी इंडस्ट्रीज से लेकर छोटे उद्योग, बाजार, दुकानें यहां तक ठेलों पर अपना कारोबार करने वाले हर छोटे व्यापारी को यह लॉक डॉउन भारी नुकसान देकर गया। आंकलन नहीं है कि कारोबार को इस लॉक डॉउन से कितनी क्षति हुई है। लेकिन इन पांच महीनों में नुकसान अरबों में है। मेरठ की स्पोटर्स से लेकर ज्वैलरी और कैंची इंडस्ट्रीज के आर्डर अधर में रुके हुए हैं। जो मॉल तैयार था वह डिलवरी नहीं हो पाया जो मॉल आना था वह कैसिंल हो गया। नए आर्डर कब तक मिलेंगे इसका कोई जवाब नहीं है। ऐसे मे इंडस्ट्रीज से लेकर हर छोटा व्यापारी व कारोबारी अब सरकार की तरफ मदद की आस लगाए बैठा है।
कुछ रियायतें जो देंगी राहत :-
व्यापारी सरकार से अपने नुकसान की भरपाई नहीं बस एक्स्ट्रा चार्ज की रियायत की उम्मीद लगाए हुए है ताकि इस नुकसान को कम करने में उन्हें सरकार की तरफ से थोड़ी राहत मिल जाए। जिला उद्योग की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018 में 900 करोड़ रुपए का एमओयू साइन किया गया। प्रशासनिक अधिकारियों के दौरे हुए। औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने मेरठ में उद्यमियों के साथ बैठक करते हुए नए औद्योगिक प्लाटों को चिन्हित करने के लिए कहा था। लेकिन उद्योगों की डगर पर मेरठ एक कदम नहीं बढ़ा। मेरठ के नए प्रभारी मंत्री श्रीकांत शर्मा ने भी सभी विभागों की बैठक लेते हुए इन्वेस्टर्स समिट की पड़ताल भी की।
लॉकडाउन के बाद हमारे बिजनेस का तरीका बदल जाएगा कई ऐसे बदलाव आएंगे जो हमें अपनाने पडें़गे और उन्हीं के अनुसार अपना प्रोडक्शन, पेमेंट और डिलीवरी का काम करना होगा। हमारी सरकार से कई मांगे लंबित हैं जिनको सरकार यदि पूरा करे तो काफी राहत मिलेगी। इनमें बिजली के फिक्स चार्ज कम करने, लॉक डॉउन की अवधि में वेतन देने, तीन माह का एवरेज बिल जारी करने आदि से संबधित हैं।

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