दैत्य गुरु शुक्राचार्य के आज्ञा अनुसार असुरेस्वर हिरण्यकश्यप ब्रम्हा जी के आराधना करने के लिए निकल। तब महारानी कयादु रो पड़े। असुरेस्वर ने महारानी सुमति को बताया की उसे समझाए। देबरुसि नारद ने देबराज इंद्र को बताया की जबतक गंगा मैया है उन्हें असुरेस्वर से कोई खतरा नहीं।
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