परदेस से वतन लौटे श्रमिकों के लिए मनरेगा बनी सहारा

  • 4 years ago
गोंडा । देशभर में कोरोना संकट को लेकर हुए लॉक डाउन कारण गैर प्रांतों में मेहनत मजदूरी कर रहे श्रमिक अब अपने वतन पहुंच रहे हैं । जिससे गांव में जहां बेकारी बढ़ी है । वही बड़े पैमाने पर रोजी का संकट उत्पन्न हो गया है । अब इन श्रमिकों के लिए मनरेगा ही सहारा बन चुकी है । केंद्र सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा का सुचार रुप से संचालन योगी सरकार की एक बड़ी कामयाबी मानी जा रही है । इससे एक तरफ जहां तालाब पोखरा की खुदाई से प्राकृतिक जल संचय के संसाधन खड़े हो रहे हैं । वहीं दूसरी तरफ श्रमिकों को गांव में ही रोजगार मिलने से उनकी दुश्वारियां कम होने लगी हैं । हालांकि कुछ श्रमिक संगठनों का मानना है कि योजना में भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने के लिए कुछ और सुधार की जरूरत है । ट्रेड यूनियन सीटू के नेता दिलीप शुक्ला का कहना है कि सरकार को कुछ ऐसी तकनीक विकसित कर कार्यस्थल से मनरेगा मजदूरों की ऑनलाइन मानीटरिंग करने की व्यवस्था की जाए । इससे मस्टररोल में हो रहे फर्जीवाड़े की गुंजाइश बिल्कुल समाप्त हो जाएगी । हालांकि उन्होंने स्वीकार किया की योगी सरकार बनने के बाद योजना में भ्रष्टाचार पर काफी हद तक अंकुश लगा है । कहा कि वर्तमान समय में गांव में अकुशल श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी ढाई सौ रुपए है । जबकि शासन द्वारा मनरेगा श्रमिकों की पगार बढ़ाए जाने के बाद वर्तमान समय में 202 रुपए दिए जा रहे हैं । जो सामान्य पगार से कम है । मोदी योगी की घोषणा के बाद की गैर प्रांतों से अपने वतन पहुंचे श्रमिकों को गांव में मनरेगा के तहत रोजगार दिया जाएगा । इसके बाद योजना परवान चढ़ने लगी है ।