इन लक्षणों को भूलकर भी न करें नजरअंदाज, हो सकता है Corona

  • 4 years ago
कोविड-19 (Covid-19) यानी कोरोना (Corona) की गंभीरता को इसी से समझा जा सकता है कि भारत में 1 लाख 25 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं और 3 हजार 500 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इस मामले में छोटी-सी भी लापरवाही न सिर्फ स्वयं व्यक्ति के लिए बल्कि उसके परिवार के लिए भी घातक हो सकती है। इस बीमारी को छिपाएं तो बिलकुल भी नहीं और यदि सामान्य लक्षण भी नजर आते हैं तो तत्काल डॉक्टर या अस्पताल से संपर्क करना चाहिए।

इंदौर में कोविड-19 अस्पताल के रूप में चिन्हित चोइथराम हॉस्पीटल के ICU एवं क्रिटिकल केयर के विभागाध्यक्ष और चीफ कंसल्टेंट इन्टेंसिविस्ट डॉ. आनंद सांघी ने वेबदुनिया से खास बातचीत में बताया कि कोरोना वायरस का साइकल 21 दिन तक का होता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि यह बीमारी एक से दूसरे में फैलती है, लेकिन इससे डरने की बिलकुल भी जरूरत नहीं है। जरूरत है तो समय रहते उपचार करवाने की।

डॉक्टर सांघी ने बताया कि यदि किसी व्यक्ति को बुखार है तो उसे खुद को दूसरे परिजनों से पूरी तरह अलग कर लेना चाहिए। क्योंकि कई बार ऐसा होता है कि व्यक्ति बुखार की दवाई लेकर ठीक भी हो जाता है, लेकिन वह ऐसी स्थिति में कोरोना कैरियर बन सकता है। अर्थात दूसरे लोगों में वह बीमारी फैला सकता है। उन्होंने कहा कि यदि परिवार में एक से अधिक लोगों को बुखार है तो इसे चेतावनी के रूप मे लेते हुए तत्काल अस्पताल से संपर्क करना चाहिए।

लगातार कोविड मरीजों के बीच रहकर उनका उपचार कर रहे डॉ. सांघी ने बताया कि कई ऐसे लक्षण हैं, जो कोरोना के हो सकते हैं। इसके अलावा कई ऐसे लक्षण भी होते हैं, जो सामान्य लक्षणों से अलग होते हैं। इन्हें भी हलके में नहीं लेना चाहिए।


आखिर क्या हैं कोरोना के लक्षण, आइए जानते हैं...

सामान्य लक्षण-
बुखार : बुखार को बिलकुल भी नजरअंदाज न करें। हलका बुखार हो तो भी खुद को परिवार से अलग कर लें। अन्यथा यह दूसरों में फैल सकता है।
सूखी खांसी
बदन दर्द
सिर दर्द
शरीर का टूटना
सांस लेने में तकलीफ

सामान्य लक्षणों से अलग लक्षण-
छाती में जलन वाला दर्द
सूंघने की शक्ति कम होना
स्वाद (टेस्ट) की शक्ति कम होना
पेट खराब होना (दस्त लगना)
डॉ. सांघी ने कहा कि उपर्युक्त लक्षणों में से यदि कोई लक्षण नजर आते हैं तो किसी को भी इन्हें अनदेखा नहीं करना चाहिए। क्योंकि यदि मरीज बीमारी के पहली स्टेज में ही डॉक्टर के पास पहुंच जाता है तो उपचार में आसानी होती है, जबकि देरी होने पर स्वाभाविक रूप से पेशेंट की मुश्किलें बढ़ जाती हैं।

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