• 5 years ago
2020# मन के हारे हार, मन के जीते जीत#।।“हार नहीं मानना है”।# कभी हिम्मत नहीं हरनी चाहिए#


~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

मन के हांरे हार है, मन के जीते जीत’ यह युक्ति मन के संदर्भ में ही किसी विचारवान  व्यक्ति ने अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर कहा है । यह सौ आने सच है व्यक्ति तब तक नहीं हारता जब तक कि उसका मन किसी काम से हार नहीं मान लेता । हो सकता है की एक – दो या चार बार कोई काम करते हुए व्यक्ति को असफल भी होना पड़ जाए पर यदि वह अपना यह विचार बनाए रखकर कि “हार नहीं मानना है” और निरंतर प्रयत्न करता रहता है कि मुझे अवश्य सफलता या जीत हासिल करना ही करना है तो कोई कारण नहीं कि उसे सफलता एवं विजय प्राप्त न हो ।

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

मानव मन में आई निराशा की भावना अकसर तन और मन दोनों को कमजोर बनाती है इसी कारण हर स्थिति में# ‘मन बनाए रखने’,# ‘मन को चंचल, अस्थिर, या डांवाडोल न होने देने’ की प्रेरणा दी जाती है क्योंकि मन मानव की समस्त इच्छाओं का केंद्र होता है जो वास्तविक हार और सच्ची जीत के रूप में व्यावहार में दिखाई पड़ता है ।

Category

📚
Learning

Recommended