कोरोना के साए के बीच किसानों ने जोते उम्मीदों के हल
अच्छे मानसून की कामना की
आज अक्षय तृतीया है। इस अवसर पर किसानों ने खेतों पर पंहुच कर मुहुर्त साधने की रस्म निभाई। इस दौरान किसान सुबह सूरज निकलने से पहले ही अनाज और खेजड़ी की डंठल लेकर गए और उसे अपने खेतों के बीच रखकर हल और कृषि कार्यों में काम आने वाले औजारों की पूजा की और आगामी वर्ष में अच्छी फसल के पैदावार की कामना की। हल के कुमकुम लगाया मोली बांधी और भगवान बलराम से अच्छी फसल की कामना करते हुए सूखी जमीन पर शगुन रूपी हल चलाया। उन्होंने अपने मकान की दीवारों पर कृषि कार्य से संबंधित हल, कुली और फसलों में ज्वारा बाजरे के चित्र उकेरे गए।
आपको बता दें कि आज के दिन किसानों के घर पर लापसी, मूंग की दाल और परांठे, अनाज की खींची, ग्वार की फली आदि बनाकर अपने आराध्य देवों को भोग लगाते हैं। सोशल डिस्टेंसिंग के चलते सामूहिक आयोजन नहीं देखने को मिले। इस बार किसानों ने अपने खेतों में केवल परिवार के साथ खेती में काम आने वाली वस्तुओं का पूजन किया और उनकी महिलाओं ने घर पर ही मंगल गीत गाए। महिलाओं ने बाजरी, गेंहू की खींच, बडि़या और ग्वार, काचरा की सब्जी और मीठी गलवानी बनार्ई। आपको बता दे कि इस दिन तक किसान रबी की फसल की कटाई का काम पूरा कर लेते हैं हालांकि इस बार लॉकडाउन के कारण फसल कटाई का काम पूरा नहीं हो पाया और अब आज पूजा करने के बाद किसान अगले माह से खरीफ की बुवाई शुरू करेंगे। किसानों का कहना है कि किसी भी कार्य के प्रारंभ से पहले किसान भगवान बलराम का स्मरण करके खेतों में काम आने वाले औजारों का पूजन की जाती है।
आज अक्षय तृतीया है। इस अवसर पर किसानों ने खेतों पर पंहुच कर मुहुर्त साधने की रस्म निभाई। इस दौरान किसान सुबह सूरज निकलने से पहले ही अनाज और खेजड़ी की डंठल लेकर गए और उसे अपने खेतों के बीच रखकर हल और कृषि कार्यों में काम आने वाले औजारों की पूजा की और आगामी वर्ष में अच्छी फसल के पैदावार की कामना की। हल के कुमकुम लगाया मोली बांधी और भगवान बलराम से अच्छी फसल की कामना करते हुए सूखी जमीन पर शगुन रूपी हल चलाया। उन्होंने अपने मकान की दीवारों पर कृषि कार्य से संबंधित हल, कुली और फसलों में ज्वारा बाजरे के चित्र उकेरे गए।
आपको बता दें कि आज के दिन किसानों के घर पर लापसी, मूंग की दाल और परांठे, अनाज की खींची, ग्वार की फली आदि बनाकर अपने आराध्य देवों को भोग लगाते हैं। सोशल डिस्टेंसिंग के चलते सामूहिक आयोजन नहीं देखने को मिले। इस बार किसानों ने अपने खेतों में केवल परिवार के साथ खेती में काम आने वाली वस्तुओं का पूजन किया और उनकी महिलाओं ने घर पर ही मंगल गीत गाए। महिलाओं ने बाजरी, गेंहू की खींच, बडि़या और ग्वार, काचरा की सब्जी और मीठी गलवानी बनार्ई। आपको बता दे कि इस दिन तक किसान रबी की फसल की कटाई का काम पूरा कर लेते हैं हालांकि इस बार लॉकडाउन के कारण फसल कटाई का काम पूरा नहीं हो पाया और अब आज पूजा करने के बाद किसान अगले माह से खरीफ की बुवाई शुरू करेंगे। किसानों का कहना है कि किसी भी कार्य के प्रारंभ से पहले किसान भगवान बलराम का स्मरण करके खेतों में काम आने वाले औजारों का पूजन की जाती है।
Category
🗞
News