मां के आंचल को ही नहीं संभाल पा रहा हमारा पुरुषप्रधान समाज

  • 5 years ago
एक संघर्ष के बाद किन्‍नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्‍वर बनी हैं। महाकाल की भक्‍त हैं और कई तरह के सामाजिक कार्यों में उनका योगदान है। लेकिन दूसरी तरफ बहुत स्‍टाइलिश हैं। खुद को आधुनिक कहना पसंद करती हैं और यहां तक कि अपने ब्‍वॉयफ्रेंड के बारे में भी खुलकर बात करती हैं अपने मन की बात की। वे एक ट्रांसजेंडर हैं और नाम है लक्ष्‍मीनारायण त्रिपाठी।

कई सालों से अपने में कोई बदलाव नहीं करने के सवाल पर वे कहती हैं, लक्ष्मीनारायण पहले कभी नहीं बदली और आगे भी नहीं बदलेगी। हालांकि प्रकृति का नियम है बदलते रहना, लेकिन जो अपनी आत्मा को बदल दे, वो आदमी ही क्या?

किन्‍नर अखाड़े की स्‍थापना पर उनका कहना है कि कई लोग और अन्य अखाड़े किन्नर अखाड़े के खिलाफ थे, लेकिन मैंने संघर्ष किया और किन्नर अखाड़ा स्थापित किया और अंतत: किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर भी बनी। इसमें कई तरह की बाधाएं आईं, लेकिन जो काम मुझे करना था, वो किया।