विश्राम मनुष्य का सहज स्वभाव और अस्तित्व का केन्द्रीय मूल्य है || आचार्य प्रशांत (2015)
- 4 years ago
वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
१६ अगस्त २०१५
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
प्रसंग:
मैं शरीर को लेकर इतना चिंतित क्यों रहता हूँ?
ज्यादा नींद क्यों आती है?
क्या विश्राम मनुष्य का सहज स्वभाव है?
अस्तित्व का केन्द्रीय मूल्य है क्या है?
शब्दयोग सत्संग
१६ अगस्त २०१५
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
प्रसंग:
मैं शरीर को लेकर इतना चिंतित क्यों रहता हूँ?
ज्यादा नींद क्यों आती है?
क्या विश्राम मनुष्य का सहज स्वभाव है?
अस्तित्व का केन्द्रीय मूल्य है क्या है?